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यूएन महासभा के 76वें सत्र को, इसराइल का सम्बोधन

इसराइल के प्रधानमंत्री नफ़ताली बेनेट, यूएन महासभा के 76नें सत्र की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए. (27 सितम्बर 2021)
UN Photo/Cia Pak
इसराइल के प्रधानमंत्री नफ़ताली बेनेट, यूएन महासभा के 76नें सत्र की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए. (27 सितम्बर 2021)

यूएन महासभा के 76वें सत्र को, इसराइल का सम्बोधन

यूएन मामले

इसराइल के प्रधानमंत्री नफ़ताली बेनेट ने सोमवार को, यूएन महासभा को सम्बोधित करते हुए कहा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम एक घातक मोड़ पर हैं और देश को परमाणु हथियार प्राप्ति से रोका जाना होगा.  

नफ़ताली बेनेट ने इसराइल के प्रधानमंत्री के रूप में, पहली बार यूएन महासभा के 76वें सत्र की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कहा कि, “ईरान का व्यापक लक्ष्य” क्षेत्र पर “एक परमाणु छाते के नीचे” अपना दबदबा स्थापित करना है.

लाल रेखाओं का उल्लंघन

उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम एक अति महत्वपूर्ण बिन्दु पर है. तमाम लाल रेखाएँ पार कर ली गई हैं, निरीक्षणों की अनदेखी की गई है, और तमाम सद इच्छाएँ ग़लत साबित हुई हैं.

नफ़ताली बेनेट ने कहा कि ईरान ने हाल के वर्षों में, परमाणु अनुसन्धान और विकास, उत्पादन क्षमता और यूरेनियम संवर्धन में एक प्रमुख बढ़त हासिल की है.

उन्होंने कहा कि ईरान, संयुक्त राष्ट्र के परमाणु ऊर्जा निगरानी संगठन – IAEA के साथ किये गए सुरक्षा समझौतों का उल्लंघन कर रहा है, और वो, ऐसा करते हुए, आसानी से बच निकल रहा है.

नफ़ताली ने देशों के प्रतिनिधितियों को सम्बोधित करते हुए कहा, “ईरान का परमाणु कार्यक्रम एक ख़तरनाक मोड़ पर पहुँच चुका है, और हमारी बर्दाश्त भी एक नाज़ुक पड़ाव पर है. केवल शब्दों के बल पर, सैण्ट्रीफ़्यूजेज़ (Centrifuges) को घूमने से नहीं रोका जा सकता.”

“दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जो परमाणु हथियार हासिल करने की ईरान की इच्छा को, एक अपरिहार्य यानि, नहीं टाली जा सकने वाली वास्तविकता के रूप में देखते हैं, या फिर वो इस मुद्दे के बारे में सुन-सुनकर तंग आ चुके हैं.”

“इसराइल के पास ये विकल्प मौजूद नहीं है. हम थकने वाले नहीं हैं. इसराइल, ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने की इजाज़त नहीं दे सकता.”

नफ़ताली बेनेट ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई करने का आग्रह किया.

“मैं हर किसी को बताना चाहता हूँ: अगर हम सभी इस मुद्दे पर सोचें, अगर हम इसे रोकने के लिये वाक़ई गम्भीर हैं, हम अगर अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल करें, तो हम इसे रोक सकते हैं. और हम बिल्कुल ऐसा ही करने वाले हैं.”

आसमानों में आतंक

इसराइल के प्रधानमंत्री ने अपने देश और दुनिया के सामने दरपेश अतिरिक्त ख़तरों का ज़िक्र किया.

उन्होंने कहा कि इसराइल दरअसल हिज़बुल्लाह, शिया लड़ाकों, इस्लामिक जिहाद और हमास से घिरा हुआ है, जो मध्य पूर्व में अपना दबदबा क़ायम करना चाहते हैं, और दुनिया भर में अतिवादी इस्लाम फैलाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, “इन सभी में क्या सामान्य है? ये सभी मेरे देश को नष्ट करना चाहते हैं, और इन सभी को ईरान का समर्थन हासिल है.”

“उन्हें ईरान से धन मिलता है, उन्हें ईरान से प्रशिक्षण मिलता है, और उन्हें ईरान से हथियार मिलते हैं.”

इसराइली प्रधानमंत्री ने कहा कि ईरान ने एक ऐसी घातक आतंकी यूनिट गठित की है जिसमें घातक हथियारों से युक्त मानव रहित रहित ऐसे हवाई वाहन (UAVs) शामिल हैं, जो कभी भी हमले कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, “वो इस घातक फ़ोर्स के सहारे, मध्य पूर्व के आसमानों पर अपना क़ब्ज़ा करने की योजना बना रहे हैं.”

उन्होंने बताया कि इस तरह के हथियार, सऊदी अरब, इराक़ में अमेरिकी ठिकानों और, समुद्र में नागरिक जहाज़ों पर, पहले ही इस्तेमाल किये जा चुके हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा, “ईरान, यमन, इराक़, सीरिया और लेबनान में अपने लड़ाकों को, ये हथियार देने की योजना बना रहा है, शुरू में, सैकड़ों, मगर बाद में हज़ारों की संख्या में. आप इसकी अनदेखी कर सकते हैं, मगर अनुभव हमें बताता है कि जो कुछ मध्य पूर्व में शरू होता है, वो वहीं नहीं रुकता.”

उन्होंने अलबत्ता ये भी कहा कि मध्य पूर्व में सभी कुछ केवल अन्धकार से भरा हुआ नहीं है. इस सन्दर्भ में उन्होंने अरब व मुस्लिम देशों के साथ इसराइल के बढ़ते सम्बन्धों का ज़िक्र करते हुए, “नए मित्रों” की सराहना की.

इन नए मित्रों में 38 ऐसे देश भी शामिल बताए जिन्होंने, नस्लभेद के ख़िलाफ़ बिगुल बजाने वाले डरबन घोषणा पत्र की 20वीं वर्षगाँठ के अवसर पर, 22 सितम्बर को आयोजित यूएन सम्मेलन का बहिष्कार किया. उन्होंने इस सम्मेलन को यहूदी विरोधी क़रार दिया.

कोविड-19 बूस्टर टीके

प्रधानमंत्री नफ़ताली बेनेट ने कोविड-19 महामारी के मुद्दे पर बताया कि इसराइल ने लोगों का टीकाकरण करने में बहुत सक्रियता दिखाई है. उन्होंने कहा कि देश में बूस्टर टीके दिये जाने में भी काफ़ी तेज़ी से काम हुआ और तीसरे टीके, जुलाई में लगाए गए. 

इस सक्रियता की बदौलत, देश में संक्रमण की चौथी लहर के कारण, देश में एक अन्य तालाबन्दी लागू करने की नौबत नहीं आई.