हिंसा, आर्थिक बदहाली, विस्थापन, महामारी – अफ़ग़ानिस्तान में 'अविश्वसनीय' संकट
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए आगाह किया है कि अफ़ग़ानिस्तान में हिंसक संघर्ष, सूखे और कोविड-19 महामारी से अविश्वसनीय स्तर पर एक संकट आकार ले रहा है, जो स्थानीय समुदायों को मानवीय विनाश की ओर धकेल रहा है.
यूएन एजेंसी ने बुधवार को कहा कि हर तीन में से एक अफ़ग़ान नागरिक – क़रीब एक करोड़ 40 लाख लोग – को भूखे पेट सोना पड़ रहा है और 20 लाख कुपोषित बच्चों को तत्काल उपचार की आवश्यकता है.
इस वर्ष की शुरुआत से अब तक, हिंसक संघर्ष व असुरक्षा के कारण साढ़े पाँच लोगों को अपने घर छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा है.
लगभग 70 हज़ार लोगों ने देश के अन्य हिस्सों से राजधानी काबुल में शरण ली है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम के क्षेत्रीय निदेशक जॉन एलियेफ़ ने बताया कि अनाज की क़ीमतें पिछले कुछ महीनों में 25 फ़ीसदी तक बढ़ गई है.
उन्होंने कहा है कि मौजूदा आर्थिक हालात में स्थानीय जनता के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर पाना और बाल कुपोषण से निपटना चुनौतीपूर्ण है.
अगस्त महीने में यूएन एजेंसी की योजना, अफ़ग़ानिस्तान के चौथे सबसे बड़े शहर मज़ार-ए-शरीफ़ में पाँच लाख लोगों के लिये आटा, तेल, दाल व नमक की व्यवस्था करना है.
52 वर्षीय अफ़ग़ानी दिलावर ने बताया, “ना फ़सल है, ना बारिश, ना जल और लोग विपत्ति में जीवन गुज़ार रहे हैं.”
40 फ़ीसदी से अधिक फ़सलें, सूखे और पिछले तीन वर्षों में जल की क़िल्लत के कारण बर्बाद हो गई हैं जिससे खाद्य असुरक्षा का संकट और गहरा हुआ है.
उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम से प्राप्त मदद ज़रूरतमन्दों व निर्धनों के लिये एक बड़ी सहायता है.
वित्तीय समर्थन की दरकार
हालांकि, यूएन एजेंसी ने चेतावनी जारी की है कि अक्टूबर महीने तक आटे का मौजूदा भण्डार ख़त्म हो जाने की आशंका है. इन हालात में लाखों ज़रूरतमन्दों तक मदद जारी रखने के लिये तत्काल वित्तीय सहायता की पुकार लगाई गई है.
संगठन के मुताबिक यह अफ़ग़ानिस्तान के लिये एक बेहद ज़रूरत भरी घड़ी है और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को आगे बढ़कर समर्थन देना होगा.
काबुल के हवाई अड्डे से हज़ारों लोग देश छोड़कर जाने की कोशिश कर रहे हैं, मगर पड़ोसी देशों में कम संख्या में ही लोगों ने शरण ली है.
एजेंसी के अनुसार अगर लोग सीमा पार कर अन्य देशों में प्रवेश करते हैं तो सहायता जारी रखने के लिये योजना है.
मगर अगर दानदाता शरणार्थियों के बड़े प्रवाह को टालना चाहते हैं तो यह अनिवार्य है कि अफ़ग़ानिस्तान में खाद्य सहायता में किसी प्रकार का व्यवधान ना आने दिया जाए.
यूएन एजेंसी का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान और ताजिकिस्तान में वित्तीय सहायता की मौजूदा ज़रूरतें सबसे अधिक हैं.
अफ़ग़ानिस्तान के लिये 20 करोड़ डॉलर और पड़ोसी देशों के लिये दो करोड़ 20 लाख डॉलर का प्रबन्ध किये जाने का आग्रह किया गया है.