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बेलारूस: विमान को जबरन उतारे जाने व पत्रकार की गिरफ़्तारी पर गहरी चिन्ता

हवाई अड्डे की ओर बढ़ रहा रायन एयर का विमान.
Unsplash/Fotis Christopoulos
हवाई अड्डे की ओर बढ़ रहा रायन एयर का विमान.

बेलारूस: विमान को जबरन उतारे जाने व पत्रकार की गिरफ़्तारी पर गहरी चिन्ता

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बेलारूस में एक यात्री विमान को जबरन उतारे जाने और उसके बाद सरकार के विरुद्ध कथित रूप से मुखर पत्रकार को हिरासत में लिये जाने पर गहरी चिन्ता जताई है.

रविवार को रोमान प्रोतेसेविच रायन एयर की उड़ान से ग्रीस से लिथुएनिया जा रहे थे, जहाँ वो वर्ष 2019 में बेलारूस छोड़ने के बाद, कथित रूप से निर्वासन में से रह रहे थे.  

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पिछले वर्ष अगस्त में विवादित राष्ट्रपति चुनावों के बाद बेलारूस में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भड़क उठे थे.

इसके बाद, राष्ट्रपति अलेक्ज़ेण्डर लुकाशेन्को की सरकार ने रोमान प्रोतेसेविच पर कथित रूप से सार्वजनिक अराजकता व सामाजिक नफ़रत को उकसावा देने के आरोप तय किये थे.

ख़बरों के अनुसार, 23 मई को रायन एयर के विमान को, बेलारूस के एक लड़ाकू विमान ने जबरन देश में उतरने के लिये मजबूर किया गया.

रोमान प्रोतेसेविच और उनकी महिला मित्र के साथ मिन्स्क में गिरफ़्तार कर लिया गया, जहाँ तीन अन्य यात्री भी विमान से उतर गए.  

बेलारूस का कहना है कि बम के ख़तरे के मद्देनज़र विमान को मिन्स्क की ओर मोड़ा गया और लड़ाकू विमान का इस्तेमाल उसे सुरक्षित उतारने के लिये किया गया.

जाँच की माँग

यूएन प्रमुख के प्रवक्ता ने उनकी ओर से एक बयान कर किया जिसमें उन्होंने जबरन विमान उतारे जाने और उसके बाद बेलारूस के पत्रकार को हिरासत में लिये जाने पर गहरी चिन्ता जताई है.

संयुक्त राष्ट्र ने विचलित कर देने वाली इस घटना की एक पूर्ण, पारदर्शी व स्वतंत्र जाँच कराये जाने की माँग की है, और सभी पक्षों से जाँच में सहयोग करने की माँग की है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि चुनावों के बाद बेलारूस में मानवाधिकारों की बदतर होती स्थिति पर वह चिन्तित हैं.

उन्होंने बेलारूस प्रशासन से सभी अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों का सम्मान करने का आग्रह किया है, जिसमें अभिव्यक्ति, शान्तिपूर्ण ढँग से एकत्र होने की आज़ादी के अधिकार भी हैं.

अन्तरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संघ (ICAO) ने रविवार को अपने एक ट्वीट सन्देश में इस घटना पर गहरी चिन्ता जताई थी.

संगठन का कहना है कि यह मामला अन्तरराष्ट्रीय नागरिक विमानन सन्धि का उल्लंघन हो सकता है, जिसे शिकागो सन्धि के नाम से भी जाना जाता है.

इस सन्धि पर 1944 में हस्ताक्षर हुए और इसके तहत एयरलाइन उद्योग में सिद्धांतों व नियमों का पालन किया जाता है.