सभी क्षेत्रों व समाजों में व्याप्त है ‘नस्लवाद की दुखदायी बुराई’
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि मौजूदा दौर का नस्लवाद, सदियों के औपनिवेशवाद और दासताकरण (Enslavement) में गहराई से समाया हुआ है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने, रविवार, 21 मार्च, को नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस से पहले, शुक्रवार को यूएन महासभा में आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए, नस्लवाद से निपटने और नस्लीय न्याय सुनिश्चित करने की पुकार लगाई है.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, रविवार को अन्तरराष्ट्रीय दिवस से पहले, यूएन महासभा में आयोजित एक बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा, “आज रंगभेद मृत है. लेकिन, दुखद है कि नस्लवाद जीवित है – सभी क्षेत्रों और समाजों में.”
The dangerous rise in extremism, white supremacy, antisemitism & Islamophobia should worry each one of us.We all need to mobilize to #FightRacism everywhere and uphold human rights & human dignity. https://t.co/RgGmBjlXII
antonioguterres
यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन में, अफ़्रीकी मूल के लोगों द्वारा झेले जाने वाले भेदभाव व बहिष्करण, आदिवासियों द्वारा अनुभव किये गए दमन, यहूदीवाद-विरोध और मुस्लिम-विरोधी भावना की पीड़ाओं की तस्वीर को उकेरा.
उन्होंने कहा कि हाल के समय में एशियाई मूल के लोगों को, कोविड-19 के लिये अन्यायपूर्ण ढंग से निशाना बनाकर हिंसा की गई.
“हम इसे, चेहरे की शिनाख़्त करने और आर्टिफ़िशियल इंटैलीजेंस के कोड में निहित पूर्वाग्रहों में भी देखते हैं,” और साथ ही “श्वेत वर्चस्ववादी समूहों और अन्य चरमपंधी गुटों के घिनौने विचारों में भी.”
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि पिछले वर्ष, विश्व भर में नस्लीय अन्याय के विरुद्ध प्रदर्शन आयोजित किये गए, और नस्लवाद को एक ज़हरीली वैश्विक महामारी के रूप में देखा गया.
यूएन प्रमुख ने कहा कि नस्लवाद एक गहराई तक समाई हुई बुराई है – ख़तरनाक. घृणास्पद. कुरूप. और सर्वत्र.
अतीत सुधारने की पुकार
यूएन प्रमुख ने, नस्लवाद के ख़िलाफ़ विश्व सम्मेलन की कार्ययोजना और डरबन घोषणापत्र की 20वीं वर्षगाँठ के अवसर पर, स्पष्ट किया कि वर्ष 2021 मौजूदा हालात का मूल्याँकन करने और भावी दिशा तय करने का एक अवसर है.
उन्होंने कहा कि नस्लवाद अनेक रूपों में उभर कर आता है, जिससे निपटने के लिये हर दिन, हर स्तर पर कार्रवाई किये जाने की ज़रूरत है.
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि ऐतिहासिक अन्यायों के कारण व्यक्तियों व देशों में, निर्धनता, अल्पविकास, हाशियेकरण, सामाजिक बहिष्करण और अस्थिरता के हालात उत्पन्न हुए हैं, और कि यह समय पुरानी ग़लतियों को सुधारने और उनके दुष्प्रभावों को दूर करने का है.
यूएन के शीर्ष अधिकारी के अनुसार आपसी मेल-मिलाप, हिंसक संघर्ष की रोकथाम करने और न्यायोचित व समान समाजों के सृजन के लिये, मुआवज़ा-युक्त न्याय सुनिश्चित किये जाने की ज़रूरत है.
यूएन महासचिव ने नस्लवाद से लड़ाई में युवाओं की भूमिका के महत्व को रेखांकित किया है, और कहा है कि उनका रवैया या व्यवहार, आने वाले दिनों की दिशा और समाजों के रूप को आकार देगा.
कोविड का गहरा असर
यूएन महासभा अध्यक्ष वोल्कान बोज़किर ने अपने सम्बोधन में आगाह किया कि अफ़्रीकी मूल के लोगों को अक्सर चिकित्सा देखभाल में असमान सुलभता का सामना करना पड़ता है.
इन हालात में उनके कोरोनावायरस से गम्भीर रूप से संक्रमित होने और मौत होने की सम्भावना बढ़ जाती है.
संक्रमित मरीज़ों के ठीक होने की स्थिति में, स्वास्थ्य देखभाल की ऊँची क़ीमत और महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों से, अफ़्रीकी मूल के व्यक्तियों के निर्धनता के गर्त में धँसने का ख़तरा पैदा हो रहा है.
उन्होंने कहा, जब स्वास्थ्य देखभाल व अन्य प्रणालियों, जैसेकि न्याय, आवास व शिक्षा में अफ़्रीकी लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है, तो इससे विषमताओं व अन्यायों को बढ़ावा मिलता है.
“यह हम सभी का दायित्व है कि अफ़्रीकी मूल के लोगों के बुनियादी अधिकारों को बरक़रार रखा जाए. आज मैं, यहाँ जनरल असेम्बली में कहना चाहूँगा: ब्लैक. लाइव्स. मैटर.”