कोविड-19: प्रभावित महिलाओं के लिये 'अस्थाई बुनियादी आय' का सुझाव

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने कोविड-19 महामारी के दौरान, उसके सामाजिक-आर्थिक दुष्प्रभावों का सामना कर रही निर्धनतम महिलाओं के लिये, 'अस्थाई बुनियादी आय' प्रदान किये जाने की अहमियत को रेखांकित किया है. यूएन एजेंसी की नई रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय सहायता प्रदान करके, कोरोनावायरस संकट के प्रभावों को कम करने, और उन्हें दैनिक जीवन में, सामने आने वाले वित्तीय दबावों से उबारने में मदद मिलेगी.
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UNDP
यूएनडीपी ने गुरूवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय समर्थन के ज़रिये बढ़ती निर्धनता और गहराती लैंगिक विषमता की रोकथाम की जा सकती है, विशेष रूप से विकासशील देशों में.
यूएन एजेंसी ने कहा, “इस महामारी के दौरान पुरुषों की तुलना में महिलाएँ ज़्यादा प्रभावित हुई हैं. उनकी आय ख़त्म हो गई है, श्रम बाज़ार छोड़ने की दर कहीं अधिक है, और देखभाल सम्बन्धी कामकाज भी उनके हिस्से में ज़्यादा आया है.”
“एक अस्थाई बुनियादी आय के ज़रिये अल्पकाल के लिये वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जा सकती है, जिससे भविष्य में व्यवस्थागत लैंगिक विषमता से निपटने के लिये मार्ग प्रशस्त होगा.”
यूएनडीपी के अनुसार, विकासशील देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.07 से 0.31 प्रतिशत के मासिक निवेश की मदद से, 61 करोड़ से ज़्यादा कामकाजी उम्र की महिलाओं के लिये भरोसेमन्द वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है.
बताया गया है कि इस क्रम में, 51 अरब डॉलर की धनराशि की आवश्यकता होगी.
यूएनडीपी के प्रशासक एख़िम श्टाइनर ने कहा कि सरकारें, गम्भीर सामाजिक-आर्थिक दबाव झेल रही महिलाओं तक, ज़रूरी धनराशि पहुँचा कर, इस अभूतपूर्व दौर में भी उनके लिये जीवनरक्षक मदद सुनिश्चित कर सकती हैं.
“इस अर्थपूर्ण निवेश का लाभ ये होगा कि ऐसा करने से, ना केवल महिलाओं व उनके परिवारों को महामारी के झटके से उबरने में मदद मिलेगी, बल्कि धन, आजीविका, और जीवन में महत्वपूर्ण विकल्पों का चयन करने के लिये भी महिलाएँ सशक्त बनेंगी.”
यूएन एजेंसी की यह रिपोर्ट को, 8 मार्च को मनाए जाने वाले, अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जारी की गई है.
यूएनडीपी के अनुसार, कोविड-19 संकट से प्रभावित महिलाओं के लिये, सामाजिक संरक्षा योजनाओं को सुलभ बनाने हेतु तत्काल कार्रवाई की ज़रूरत है.
आमतौर पर महिलाओं द्वारा किये जाने वाले कार्य की पगार कम मिलती है, और उनके लिये सामाजिक संरक्षा व सुरक्षा तानेबाने का अभाव होता है. महिलाएँ, मुख्यत: उन क्षेत्रों में ज़्यादा काम करती हैं, जो कोरोनावायरस संकट के कारण वैश्विक तालाबन्दियों से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
इसके अलावा, अवैतनिक कार्य का हिस्सा भी महिलाओं के लिये बड़ा है, और तालाबन्दी के कारण घरेलू हिंसा के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है. असुरक्षित हालात में अक्सर उन्हें, अपने घर पर रहने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है.
रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये समर्थन के अलावा, निर्धनता का शिकार महिलाओं और पुरुषों के बीच के अन्तर को पाटने में, अस्थाई बुनियादी आय के ज़रिये मदद मिलेगी.
इससे, घर में आर्थिक संसाधनों पर नियन्त्रण में भी सन्तुलन क़ायम किया जा सकता है.