'वैक्सीनों से कोरोनावायरस महामारी के पूर्ण उन्मूलन की गारंटी नहीं'

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वरिष्ठ अधिकारियों ने, सोमवार को, वर्ष 2020 की अपनी अन्तिम प्रेस वार्ता में आगाह करते हुए कहा है कि, ज़रूरी नहीं है कि कोरोनावायरस बहुत बड़ा वायरस है, बल्कि दुनिया भर में, एक अन्य, कहीं ज़्यादा गम्भीर महामारी के फैलने की बहुत ज़्यादा सम्भावना है. उन्होंने ये भी कहा कि वैक्सीनों के ज़रिये, इस महामारी के पूरी तरह सफ़ाए की गारंटी नहीं दी जा सकती है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के आपदा कार्यक्रम के मुखिया डॉक्टर माइक रायन ने कहा, “अगली महामारी, और भी ज़्यादा गम्भीर हो सकती है, हम सभी को, अपने क़दम एकजुट करने होंगे”, क्योंकि हम एक बहुत ही नाज़ुक ही ग्रह पर, और लगातार जटिल हो रहे समाजों में, रह रहे हैं. “आइये, हम अपने कामकाज और कार्रवाइयों में, बेहतरी लाकर, उन्हें सम्मान दें जिन्हें हम खो चुके हैं.”
कोविड-19 महामारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की तकनीकी प्रमुख डॉक्टर मारिया वैन करख़ोव ने ध्यान दिलाया कि जिन देशों ने महामारी का मुक़ाबला प्रभावशाली और सफलतापूर्वक किया है, ज़रूरी नहीं कि वो उच्च आय वाले देश थे, बल्कि उनमें ऐसे देश ज़्यादा ते जिन्होंने अन्य संक्रामक बीमारियों का भी असरदार तरीक़े से सामना किया है.
उन्होंने कहा कि इन देशों ने दुखद घटनाओं की गहरी स्मृतियों का सहारा लेकर, अपनी व्यवस्थाओं को त्वरित गति से काम करने, और वायरस का मुक़ाबला, व्यापक और एकजुट रूप में करने के लिये क़दम उठाए.
डॉक्टर वैन करख़ोव और डॉक्टर माइक रायन ने संयुक्त रूप से, विश्व का आहवान किया है कि अगले किसी स्वास्थ्य संकट का सामना करने के लिये बेहतर तैयारी मौजूद रहे, जिसमें, व्यापक रूप से प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी अत्याधुनिक टैक्नॉलॉजी का भरपूर फ़ायदा उठाते हुए अपना काम कर सकें, और नागरिक, ख़ुद को व्यापक रूप से जानकार रखते हुए, ख़ुद को सुरक्षित रखने में सक्षम हो सकें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने पत्रकारों को बताया कि ये यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, वायरस के बारे में, हर दिन नई बातें सीख रही है, जिनमें इस वायरस के नए रूपों के फैलाव, लोगों को बीमार बनाने, या मौजूदा परीक्षण, इलाज सुविधाओं और वैक्सीनों पर सम्भावित असर छोड़ने की क्षमता के बारे में जानकारी शामिल है.
टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में किये जा रहे काम का ख़ास ज़िक्र किया जहाँ, वैज्ञानिक गण, इस तरह के प्रयोगशाला परीक्षण और अध्ययन कर रहे हैं जिनसे स्वास्थ्य एजेंसी के अगले क़दमों को रास्ता मिलेगा.
उन्होंने कहा, “अगर देश प्रभावशाली तरीक़े से परीक्षण करेंगे, तभी हम वायरस के नए रूपों की पहचान कर सकेंगे और उसके अनुसार ही, सामना करने की अपनी रणनीति समायोजित कर सकेंगे."
"हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे देशों को दंडित ना किया जाए जो पारदर्शी तरीक़े से अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियाँ अन्य देशों के साथ साझा कर रहे हैं.”
टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के साथ, वर्ष 2020 के दौरान काम करने वाले सभी साझीदारों व संगठनों का आभार प्रकट करते हुए, वर्ष 2021 के लिये आशाएँ भी प्रकट कीं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों ने हालाँकि ये भी आगाह किया कि एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना, जल्दबाज़ी या अपरिवक्वता हो सकती है जिसमें कोविड-19 को पूरी तरह से मिटा दिया जाए.
इस प्रेस वार्ता में अतिथि वक्ता प्रोफ़ेसर डेविड हैयमैन ने कहा कि अब हमारे पास ऐसे हुनर और उपकरण हैं जिनके माध्यम से जीवन बचाए जा सकते हैं, और हम कोविड-19 के रहते भी जीवन जी सकते हैं.
प्रोफ़ेसर विश्व स्वास्थ्य संगठन के सतर्कता दल और बीमारी विशेषज्ञ हैं जिन्हें दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 का मुक़ाबला करने के प्रयासों को मज़बूत करने के लिये, वर्ष 2020 के शुरू में ही तैनात किया गया था.
डॉक्टर माइक रायन ने सहमति व्यक्त करने के अन्दाज़ में कहा कि कोविड-19 के, वैश्विक आबादी में एक महामारी बनकर रह जाने की सम्भावना है. वैक्सीनों और टीकाकरण के सहारे, ये गारंटी नहीं दी जा सकती कि संक्रामक बीमारियों का बिल्कुल उन्मूलन हो जाएगा.
उन्होंने कहा, “समाज, इस महामारी के पूर्ण उन्मूलन के लक्ष्य का पीछा करने के बजाय, पूरी ताक़त व क्षमता के साथ, जीवन जीने पर ध्यान केन्द्रित करके हालात बेहतर बना सकते हैं.”