जर्मन संसद में यूएन प्रमुख का भाषण, वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये, वैश्विक समाधानों की ज़रूरत
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार को जर्मन संसद को सम्बोधित करते हुए आगाह करने के अन्दाज़ में कहा है कि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिये, जिन वैश्विक समाधानों की ज़रूरत है, उसके लिये अन्तरारष्ट्रीय सहयोग की बहुत कमी है.
यूएन प्रमुख ने ये सम्बोधन जर्मन भाषा में दिया जिसमें उन्होंने मौजूदा समय में दरपेश कुछ चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी, एक पूरी पीढ़ी को प्रभावित करने वाला वैश्विक आर्थिक संकट, और टिकाऊ विकास व लैंगिक समानता पर धीमी होती प्रगति शामिल हैं.
I am grateful for the opportunity to speak in the German Bundestag today.Around the world, Germany is a vital ally in our push for peace, a driving force for #ClimateAction and a leader in global cooperation. https://t.co/aj5pHKxEx3 pic.twitter.com/7y4bOsWZTa
antonioguterres
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश ने अपने सम्बोधन में कहा, “ये स्पष्ट है कि भविष्य को अच्छा बनाने का रास्ता, विश्व में खुलापन क़ायम करने से होकर जाता है. मगर फिर भी, अनेक स्थानों पर, हमें बन्द दिमाग़ नज़र आते हैं.”
यूएन प्रमुख को जर्मन संसद में भाषण देने के लिये, संयुक्त राष्ट्र संगठन की 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आमन्त्रित किया गया था.
जनता वैक्सीन
यूएन महासचिव ने अपने भाषण में, विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोविड-19 महामारी की वैक्सीन पहल एसीटी-एक्सैलेरेटर और कोवैक्स सुविधा के लिये जर्मन समर्थन के लिये आभार प्रकट किया.
इन कार्यक्रमों का मक़सद महामारी की वैक्सीन विकसित करने, सभी के लिये उसके समान वितरण, बीमारी की जाँच-पड़ताल और उपचार मुहैया कराना है.
उन्होंने कहा कि अगला क़दम ये होगा कि वैक्सीन को, हर जगह, हर किसी को उपलब्ध कराया जाए.
“हमारे सामने अब ये सुनिश्चित करना एक चुनौती है कि वैक्सीनों को वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक भलाई के लिये इस्तेमाल किया जाए – ये वैक्सीन हर जगह, हर किसी को आसानी से उपलब्ध हों, यानि एक जनता वैक्सीन.”
दुष्प्रचार का मुक़ाबला
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि इसके साथ ही, एक ये भी चुनौती है कि दुष्प्रचार के वायरस का मुक़ाबला भी किया जाना है.
उन्होंने आगाह करते हुए कहा, “दुनिया भर में, हमने देखा है कि लोकलुभावन वादे और रुझान प्रचिलत हो रहे हैं जो विज्ञान को नज़रअन्दाज़ करके, आम लोगों को गुमराह कर रहे हैं. झूठी ख़बरों और बेसिरपैर का दावों के साथ मिलकर, इन रुझानों ने हालात को और भी ज़्यादा ख़राब बना दिया है.”
इस सन्दर्भ में, यूएन प्रमुख ने, जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने शुरुआती स्तर पर ही, विज्ञान, स्थानी आँकड़ों और स्थानीय कार्रवाइयों पर आधारित निर्णायक क़दम उठाए, जिनकी बदौलत वायरस के संक्रमण को दबाने और लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने में मदद मिली.
“अध्ययनों से नज़र आता है कि कोविड-19 महामारी के दौरान महिलाओं के नेतृत्व में, ज़्यादा प्रमाण आधारित, टिकाऊ, समावेशी और प्रभावशाली परिणाम हासिल हुए हैं.”
जलवायु सुरक्षा
यूएन प्रमुख ने जलवायु सुरक्षा के मुद्दे की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि जैव-विविधता और पारिस्थितिकी क्षेत्र में कमी होने के कारण, मरुस्थलीकरण और रासायनीकरण, और विनाशकारी आग, बाढ़ और तूफ़ानों में ख़ासी बढ़ोत्तरी हुई है.
उन्होंने तीन क्षेत्र में कार्रवाई किये जाने का आहवान किया: रोकथाम, वित्त और अनुकूलन.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि तमाम मोर्चों पर एक मज़बूत वैश्विक ताक़त रहा है, जिसमें वर्ष 2050 तक नैट-ज़ीरो कार्बन स्थिति हासिल करने का उसका संकल्प भी शामिल है.
“हम चाहते हैं कि अन्य देश भी आपकी मिसाल पर अमल करें और कार्बन निष्पक्षता के लिये एक वैश्विक गठबन्धन बनाने में मदद करें. सभी देशों, ख़ासतौर पर मुख्य अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों, को वर्ष 2050 तक नैट-ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिये ठोस योजनाओं के साथ आगे आना चाहिये.”