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'कोविड-19: वेतनों पर महामारी की तबाही की अभी तो शुरुआत है'

कोटे डीवॉयर के अबीदजान इलाक़े में, कोविड-19 के दौरान सड़कों पर दवाइयाँ बेचती तीन युवा महिलाएँ.
ILO/Jennifer A. Patterson
कोटे डीवॉयर के अबीदजान इलाक़े में, कोविड-19 के दौरान सड़कों पर दवाइयाँ बेचती तीन युवा महिलाएँ.

'कोविड-19: वेतनों पर महामारी की तबाही की अभी तो शुरुआत है'

आर्थिक विकास

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के प्रमुख ने आगाह करते हुए कहा है कि कोविड-19 महामारी की वैक्सीन आने के बाद भी, दुनिया भर में, लोगों के वेतन व रोज़गारों पर पड़ रहे दबाव नहीं रुकेंगे. संगठन के महानिदेशक गाय रायडर ने बुधवार को यह चेतावनी ऐसे समय जारी की है जब महामारी के कारण दुनिया भर में वेतन और भत्तों में बढ़ोत्तरी को धीमा बना दिये जाने या उलट दिये जाने के बारे में एक अहम रिपोर्ट जारी हो रही है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला कामगार और कम वेतन पाने वाल, सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय रायडर ने वैश्विक वेतन रिपोर्ट के मुख्य बिन्दुओं की जानकारी देते हुए कहा, “फिर से उसी मुक़ाम पर लौटने के लिये रास्ता लम्बा होने वाला है, और मेरा ख़याल है कि ये रास्ता तूफ़ान भरा होगा, और ये बहुत मुश्किल होने वाला है.”

संगठन की ये रिपोर्ट हर दो वर्ष में प्रकाशित की जाती है.

असाधारण झटका

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल चीन ऐसा देश है जो महामारी के प्रभावों से तेज़ी से उबर रहा है, उसके अलावा पूरे विश्व को महामारी की तबाही से उबरने, और उस जगह पहुँचनवे में काफ़ी लम्बा समय लग सकता है, जहाँ वो महामारी शुरू होने से पहले थे. कोरोनावायरस महामारी ने रातों-रात कामकाजी दुनिया पर असाधारण तबाही मचा दी है.

श्रम संगठन के महानिदेशक गाय रायडर ने कहा कि ये तबाही काफ़ी लम्बे समय तक नज़र एगी और हलचल व अनिश्चितता से भरपूर होगी.

“हमें वास्तविकता का सामना करना होगा, इस बात की बहुत ज़्यादा सम्भावना है कि सरकारों द्वारा आर्थिक सहायता और वेतन सहायता में कमी आएगी, क्योंकि समय गुज़रने के साथ वेतन प्रणालियों पर दबाव भी बढ़ेगा.”

दैनिक या साप्ताहिक वेतन हासिल करने वाले कामगारों को कोविड-19 के कारण, कम आमदनी होने की सम्भावना है.
ILO Photo/Kevin Cassidy
दैनिक या साप्ताहिक वेतन हासिल करने वाले कामगारों को कोविड-19 के कारण, कम आमदनी होने की सम्भावना है.

लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि दुनिया को कोरोनावायरस की तबाही शुरू होने के पहले के समय में लौटकर जाने की ज़रूरत नहीं है, और इसकी सम्भावना भी नहीं है.

क्रूर वास्तविकता

उनका कहना है, “मुझे कहना पड़ेगा कि महामारी ने, मौजूदा कामकाजी दुनिया की ख़ामियों और ढाँचागत कमज़ोरियों को, बहुत की क्रूर तरीक़े से सामने ला दिया है." 

"और हम सभी को इस मौक़े का फ़ायदा उठाना होगा, मैं जानता हूँ कि महामारी की तबाही के दौर में, मौक़े का फ़ायदा उठाने की बात करना कितना शर्मनाक है, मगर हमें इस नाज़ुक दौर में, वैश्विक अर्थव्यवस्था के कुछ बुनियादी सिद्धान्तों का बारे में नए सिरे से सोचते हुए, आर्थिक पुनर्बहाली को बेहतर बनाने के बारे में सोचना होगा.“

वैश्विक वेतन रिपोर्ट में दिखाया गया है कि महामारी ने किस तरह वेतनों पर बोझ डाल दिया है, और उच्च आय और निम्न आय वाले कामगारों के बीच वेतन की खाई और चौड़ी हो गई है, और इसका सबसे ज़्यादा असर महिलाओं और निम्न वेतन पाने वालों को भुगतना पड़ रहा है.