पुनर्वासित शरणार्थियों की संख्या दो दशकों में सबसे निचले स्तर पर

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने इस वर्ष पुनर्वासित होने वाले शरणार्थियों की संख्या में भारी कमी आने की बात कही है. यूएन एजेंसी के मुताबिक 2020 के पहले नौ महीनों में महज़ 15 हज़ार 425 लोगों के लिये ही पुनर्वास सम्भव हो चुका है जबकि 2019 में यह संख्या 50 हज़ार से ज़्यादा थी. वर्ष 2016 में पुनर्वासित शरणार्थियों की संख्या एक लाख 26 हज़ार से ज़्यादा थी.
यूएन एजेंसी में संरक्षण के लिये सहायक उच्चायुक्त गिलियन ट्रिग्गस ने बताया, “मौजूदा दर पिछले दो दशकों में पुनर्वास के सबसे कम स्तर को दर्शाती है. यह शरणार्थी संरक्षण के लिये और ज़िन्दगियाँ बचाने और जोखिम का सामना कर रहे लोगों की रक्षा करने के प्रयासों को झटका है.”
Low quotas and the impact of COVID have meant that we are witnessing one of the lowest levels of resettlement in almost two decades. This is a blow for refugee protection and for the ability to save lives and protect those most at risk.https://t.co/zHTEcVs65s
GillianTriggs
इस वर्ष सबसे बड़ी संख्या में सीरियाई नागरिक (41 फ़ीसदी) पुनर्वासित किये गए हैं जिसके बाद काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य (16 प्रतिशत) का स्थान है. अन्य शरणार्थी इराक़, म्याँमार और अफ़ग़ानिस्तान से पुनर्वासित किये गए.
जनवरी से सितम्बर महीनों के बीच पुनर्वासित 15 हज़ार लोगों में लगभग 30 फ़ीसदी हिंसा या यातना के शिकार रहे हैं. कोविड-19 महामारी के कारण शरणार्थियों को अन्य देशों में भेजा जाना मुश्किल हो गया है.
इसके अलावा, महामारी की वजह से लीबिया से शरणार्थियों के लिये सहायता प्रयासों में रुकावटें आई हैं और पुनर्वास प्रक्रिया 15 अक्टूबर को ही शुरू हो पाई है.
एजेंसी के मुताबिक जो लगभग 280 शरणार्थी पहले निजेर और रवाण्डा में आपातकालीन केन्द्रों पर भेजे गए थे, वे अभी पुनर्वास के लिये देशों का रुख़ करने का इन्तज़ार कर रहे हैं जबकि 354 अन्य लोग इस सम्बन्ध में निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
शरणार्थी एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि अगस्त 2020 में बेरूत बन्दरगाह पर हुए विस्फोट से प्रभावित शरणार्थियों को, महामारी की वजह से तालाबन्दी उपाय हटने के बाद अनेक देशों में पुनर्वास के लिये प्राथमिकता मिली है.
अगस्त और सितम्बर महीनों में एक हज़ार से ज़्यादा शरणार्थी लेबनान से पुनर्वास के लिये 9 अन्य देशों के लिये रवाना हुए हैं.
पूरे साल में यूएन एजेंसी के कर्मचारियों ने 50 देशों में 31 हज़ार शरणार्थियों की आवेदन फ़ाइलों की शिनाख़्त करने के बाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है. लेकिन इसकी आधी संख्या में ही लोगों को सफलतापूर्वक पुनर्वासित किया जाना सम्भव हो पाया है.
संगठन ने देशों से, और ज़्यादा संख्या में शरणार्थियों को स्थान देने का आग्रह किया है ताकि अन्तरराष्ट्रीय संरक्षण के ज़रूरतमन्दों को अगले वर्ष के कोटे में अपना स्थान ना खोना पड़े.
गिलियन ट्रिग्गस ने कहा, “पुनर्वास सहित अन्य सुरक्षित और क़ानूनी रास्तों से संरक्षणों का दायरा बढ़ाने से शरणार्थियों की ज़िन्दगियों की रक्षा होती है और इससे उनके द्वारा भूमि और समुद्री मार्ग से ख़तरनाक यात्राओं पर जाने की मजबूरी को कम किया जा सकता है.”
पुनर्वास प्रयासों के तहत शरणार्थियों को शरण लेने वाले एक देश से उन देशों में भेजा जाता है जो उन्हें स्वीकार करने और स्थायी रूप से बसाने के लिये राज़ी हो गए हों.
वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शरणार्थियों पर ‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट’ का अनुमोदन किया था जिसका हिस्सा बनने के लिये अन्य देशों से पुकार लगाई गई है.
यूएन एजेंसी ने कार्यक्रम के तहत शरणार्थियों के लिये बेहतर संरक्षण और उन देशों के लिये समर्थन को रेखांकित किया है जो बड़ी संख्या में शरणार्थी आबादी की मेज़बानी करते हैं.
यूएन शरणार्थी एजेंसी की संविदा (Statute) और यूएन महासभा द्वारा जारी शासनादेश के मुताबिक संगठन पर पुनर्वास कराने का दायित्व है.
वर्ष 2019 में यूएन एजेंसी दुनिया भर में दो करोड़ से ज़्यादा शरणार्थियों की मदद के लिये प्रयासरत थी लेकिन हर साल एक फ़ीसदी से भी कम शरणार्थियों के लिये पुनर्वास सुनिश्चित करना सम्भव हो पाता है.
जिन 14 लाख शरणार्थियों को पुनर्वास की आवश्यकता है, उनमें अफ़्रीका में सबसे बड़ी संख्या (छह लाख 67 हज़ार) है जिसके बाद योरोप (चार लाख 20 हज़ार), मध्य पूर्व और उत्तर अफ़्रीका क्षेत्र (दो लाख 49 हज़ार) और अमेरिकी क्षेत्र (लगभग पाँच हज़ार) का स्थान है.