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एशिया-प्रशान्त: अन्तरिक्ष टैक्नॉलॉजी की मदद से टिकाऊ विकास को बढ़त

अन्तरराष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन से खींची गई एक रात्रि तस्वीर, जब स्टेशन जापान के ऊपर से गुज़र रहा था. तस्वीर में, एक सोयूज़ अन्तरिक्षयान भी नज़र आ रहा है, जो स्टेशन के लघु शोध मॉड्यूल-1 से जुड़ा हुआ है, और एक प्रगति अन्तरिक्षयान.
Scott Kelly/NASA
अन्तरराष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन से खींची गई एक रात्रि तस्वीर, जब स्टेशन जापान के ऊपर से गुज़र रहा था. तस्वीर में, एक सोयूज़ अन्तरिक्षयान भी नज़र आ रहा है, जो स्टेशन के लघु शोध मॉड्यूल-1 से जुड़ा हुआ है, और एक प्रगति अन्तरिक्षयान.

एशिया-प्रशान्त: अन्तरिक्ष टैक्नॉलॉजी की मदद से टिकाऊ विकास को बढ़त

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि एशियाई व प्रशान्त देश कोरोनावायरस महामारी के फैलाव व प्रभाव का मुक़ाबला करने और अन्य ज़मीनी चुनौतियों का सामना करने के लिये अन्तरिक्ष भू-स्थानिक टैक्नॉलॉजी का भरपूर फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं.

एशिया - प्रशान्त क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक आयोग (ESCAP) की बुधवार को जारी रिपोर्ट में ऐसे देशों के उदाहरण दिये गए हैं जो टिकाऊ विकास को आगे बढ़ाने के लिये अन्तरिक्ष टैक्नॉलॉजी का प्रयोग कर रहे हैं. 

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इन उदाहरणों में कुछ इस तरह हैं – तालाबन्दी के प्रभावों की निगरानी करने के लिये सैटेलाइट तस्वीरों का सहारा लिया जा रहा है, महामारी और उसके सामाजिक व आर्थिक प्रभावों से सबसे ज़्यादा प्रभावित समुदायों का अनुमान लगाने के लिये ‘हीटमैप्स’ इस्तेमाल किये जा रहे हैं.

वास्तविक परिस्थितियों में विश्लेषण किये जा रहे हैं, और ऐसे डैशबोर्ड तैयार किये गए हैं जिनमें निर्णयों को समर्थन देने के लिये अति महत्वपूर्ण सूचनाएँ व जानकारियाँ शामिल की गई हैं.

रिपोर्ट के अनुसार ये उदाहरण दर्शाते हैं कि अन्तरिक्ष तकनीक व भू-स्थानिक (Geospatial) डेटा ने किस तरह कोविड-19 के बारे में नीति-निर्माताओं और आम जन के लिये महत्वपूर्ण जानकारियाँ उपलब्ध कराई हैं.

सहनक्षमता को मज़बूत करना

इसके अतिरिक्त, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, एकान्तवास, और सामाजिक अलगाव के सन्दर्भ में आकाशीय डेटा को डिजिटल समाधानों व कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के प्रयोग से जोखिम विश्लेषण का सहारा लेकर समुदायों की सहनक्षमता बढ़ाई जा सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की टैक्नॉलॉजी पुनर्बहाली के आरम्भिक चरण में भी काफ़ी मदद कर सकती हैं जोकि अन्ततः बेहतर पुनर्निर्माण का एक हिस्सा है. इनमें तालाबन्दियों में ढिलाई देने और आर्थिक व सामाजिक गतिविधियाँ फिर शुरू करने के बारे में लिये जाने वाले निर्णय भी शामिल हैं.

आयोग की कार्यकारी सचिव अरमीडा सलसियाह अलिस्जाहजबाना का कहना है कि भू-स्थानिक डेटा को मौजूदा आँकड़ों और ज़मीनी सूचनाओं के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से ऐसा महत्वपूर्ण डेटा जारी किया जा सकता है जो तथ्य आधारित निर्णय लेने के लिये सरकारों, कारोबारों, समुदायों और नागरिकों को चाहिये.

ये रिपोर्ट, टिकाऊ विकास के लिये अन्तरिक्ष टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल करने के लिये मंज़ूर की गई कार्य योजना के दो वर्ष बाद जारी की गई है. रिपोर्ट में, क्षेत्र में भविष्य के लिये प्रगति का आकलन करने का एक आधार भी मुहैया कराया गया है. 

महत्वपूर्ण साझेदारियाँ 

रिपोर्ट में, आपदा जोखिम, प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन, इण्टरनेट सम्पर्क, सामाजिक विकास, ऊर्जा, और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों सहित, बहु पक्षीय साझेदारियों की महत्ता को भी उजागर किया गया है.

आयोग का कहना है कि क्षेत्र और देश आधारित बहुत से प्रयास ऐसे नवाचारों को प्रोत्साहित कर रहे हैं जिनके जरिये सार्वजनिक व निजी पूँजी आकर्षित हो रही है, उससे नए व लघु उद्योगों व अन्तरिक्ष टैक्नॉलॉजी आधारित शोध ऐप्लीकेशन्स व पायलट शोध परियोजनाओं को भी सहारा मिल रहा है.

रिपोर्ट में नीति-निर्माताओं के लिये टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में कार्रवाई की योजना और भू-स्थानिक सूचनाओं व ऐप्लीकेशन्स का एकीकरण करने की ख़ातिर सात प्रमुख सिफ़ारिशें पेश की गई हैं.

इनमें, राष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञता बढ़ाने के लिये संसाधन निवेश, भू-स्थानिक सूचना को राष्ट्रीय संस्थानों व मंचों में शामिल करना, भू-स्थानिक डेटा को अन्य डेटा स्रोतों में मिलाना, नीति-निर्माण, नीति क्रियान्वयन और उनकी निग9रानी के लिये भू-स्थानिक डेटा का इस्तेमाल करना, सुरक्षा और नैतिक डेटा, डेटा की मुक्त उपलब्धता, और स्थानीय व अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना शामिल हैं.