वनुआतू कम विकसित देशों (LDC) की सूची से उबरने में कामयाब

प्रशान्त क्षेत्र के एक द्वीप देश वनुआतू कम विकसित देशों (LCD) की सूची से औपचारिक रूप से बाहर निकलने में कामयाब हो गया है. 1971 में विकास की ये श्रेणी सृजित किये जाने के बाद से, वनुआतू छठा ऐसा देश है जो इस श्रेणी से बाहर निकलने की उपलब्धि हासिल कर सका है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने एक सन्देश में कहा है कि वनुआतू का कम विकसित देशों की सूची से बाहर निकलना, दरअसल टिकाऊ विकास पर अनेक वर्षों तक, कठिन परिश्रम से हासिल किये गए नतीजों का हिस्सा है.
वनुआतू ने, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ और कोविड-19 महामारी जैसी अनेक चुनौतियों व झटकों के बावजूद इस सूची से उबरने में कामयाबी हासिल की है. कोविड-19 महामारी ने तो, विदेशों से भेजी जाने वाली रक़म, व्यापार और पर्यटन क्षेत्रों पर ख़ासी तगड़ी चोट की है.
देश ने एक ऐसी संक्रमणकालीन रणनीति बनाई है जिसके ज़रिये विकास पथ पर अगले क़दमों में सहायता मिलेगी.
संयुक्त राष्ट्र की विकास नीति के लिये कमेटी ने, वर्ष 2012 में, वनुआतू को कम विकसित देशों की सूची से ऊपर उठाने की सिफ़ारिश की थी. उससे पहले, यह देश, वर्ष 2006, 2009 और 2012 में, मानव सम्पदा सूचकाँक के लिये आवश्यक मानकों पर खरा उतर चुका था.
इस सिफ़ारिश को आर्थिक व सामाजिक परिषद ने 2012 में, और महासभा ने वर्ष 2013 में मंज़ूरी दे दी थी.
वनुआतू में विनाशकारी तूफ़ान आने के बाद, वर्ष 2015 में कुछ छूट दे दी गई थी और कम विकसित देशों की सूची से बाहर निकलने की समय सीमा दिसम्बर 2020 तक के लिये स्थगित कर दी गई थी.
संयुक्त राष्ट्र के एशिया व प्रशान्त के लिये आर्थिक व सामाजिक आयोग (ESCAP) का कहना है कि इस उपलब्धि से विकास संकेतकों में महत्वपूर्ण बेहतरी झलकती है, मगर वनुआतू, एक छोटा सा द्वीप देश होने क नाते, अब भी बाहरी झटकों के लिये बहुत सम्वेदनशील है.
आयोग की कार्यकारी सचिव अरमीडा सलसियाह अलीसाहबाना का कहना है, “कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला और पुनर्बहाली के प्रयासों के दौर में, हम, विकास आकाँक्षाएँ पूरी करने और संक्रमण रणनीति निर्बाध लागू करने के लिये, वनुआतू की मदद जारी रखने के लिये तैयार और संकल्पबद्ध हैं.”
कम विकसित देश (LDC) उन निम्न आय वाले देशों को कहा जाता है जो टिकाऊ विकास के मामले में अनेक गम्भीर ढाँचागत बाधाओं का सामना कर रहे हैं. ये देश आर्थिक व पर्यावरणीय झटकों के लिए बहुत सम्वेदनशील हैं और उनके पास निचले स्तर वाली मानव सम्पदा है.
उनकी इन विशेष परिस्थितियों के कारण ही, कम विकसित देशों को अनेक अन्तरराष्ट्रीय सहायता उपाय हासिल होते हैं जोकि ख़ासतौर से विकास सहायता और व्यापार क्षेत्र में होते हैं.