अन्तरिक्ष सैक्टर कोविड-19 के दौरान समाजों और अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर रखने में मददगार

संयुक्त राष्ट्र की वृहद अन्तरिक्ष मामलों के लिये एजेंसी (UNOOSA) की अध्यक्ष सिमोनेट्टा डी पिप्पो ने कहा है कि अन्तरिक्ष सैक्टर में दशकों के दौरान हुए विकास का सदुपयोग कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में किया जा रहा है, जिससे देशों को उनके नागरिकों को सुरक्षित रखने और अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर रखने में मदद मिल रही है.
अन्तरिक्ष एजेंसी (UNOOSA) प्रमुख ने बुधवार को ये बात जी-20 समूह के देशों की एक बैठक को एक सम्बोधन में कही जो वैश्विक अन्तरिक्ष सैक्टर पर केन्द्रित थी.
The keynote, delivered by @SDiPippo_OOSA , concluded with recommendations on how #space data and know-how can be shared among nations going forward, to better respond to future crises. Read her remarks here: https://t.co/ROuCp6KApT (3/3) #Space20 #G20
UNOOSA
एजेंसी प्रमुख ने इस बैठक में कुछ विस्तार से बताया कि अन्तरिक्ष सैक्टर में हुई प्रगति से किस तरह महामारी का मुक़ाबला करने और पुनर्बहाली प्रयासों में फ़ायदा उठाया जा रहा है.
एजेंसी प्रमुख सिमोनेट्टा डी पिप्पो ने कहा, “मौजूदा महामारी एक ऐसा संकट है जैसा हमने पहले कभी नहीं देखा.
इसने हमें सबक़ सिखाया है कि निर्णायक कार्रवाई बहुत मायने रखती है. इसने ये भी दिखाया है कि ज़रूरत पड़ने पर अन्तरिक्ष सैक्टर बहुत अच्छे परिणाम दे सकता है.”
जी-20 का ये स्पेस20 नामक वर्चुअल सम्मेलन अपनी तरह का पहला था और सिमोनेट्टा डी पिप्पो को मुख्य भाषण देने के लिये सऊदी अरब ने आमन्त्रित किया था. सऊदी अरब ही इस संगठन का मौजूदा अध्यक्ष है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव के अनुरूप, वर्ष 1999 के बाद से ही, 4 से 19 अक्टूबर तक की अवधि को विश्व अन्तरिक्ष सप्ताह के रूप में मनाया जाता है.
4 अक्टूबर 1957 को स्पूतनिक-1 नामक उपग्रह छोड़ने जाने की याद में ही ये तारीख़ चुनी गई. 10 अक्टूबर 1967 को वृहद यानि बाहरी अन्तरिक्ष सन्धि पर दस्तख़त किये गए थे.
इस वर्ष की थीम रखी गई – ‘उपग्रहों से जीवन बेहतर होता’ है.
शीर्ष यूएन अधिकारी सिमोनेट्टा डी पिप्पो ने सम्मलेन में प्रतिभागियों से कहा कि कोविड-19 महामारी शुरू होने के समय से ही, यूएन एजेंसी ने अन्तरिक्ष और कोविड-19 नाम से एक जानकारी वितरण पोर्टल शुरू किया था जिसमें अन्तरिक्ष की सक्रियता की झलकियों को लम्हों में क़ैद करके उन्हें सम्बन्धित पक्षों के साथ बाँटा गया.
इसके तहत लगभग 100 विशेषीकृत योगदानों का लेखा-जोखा तैयार किया गया है.
सिमोनेट्टा डी पिप्पो ने बताया कि मुख्य रूप से तीन प्रकार की अन्तरिक्ष टैक्नॉलॉजी हैं: पृथ्वी की निगरानी, वैश्विक संचालन सैटेलाइट प्रणाली और सैटेलाइट संचार.
इन प्रौद्योगिकियों को अन्तरिक्ष योग्य मोबाइल ऐपलीकेशन्स में एकीकृत करके, ज़रूरी चीज़ो को सीमाओं के पार हासिल करने और शारीरिक दूरी बनाने के नियमों का पालन करने में मदद मिली है.
सरकारों ने भी राष्ट्रीय कोरोनावायरस ट्रैक एण्ड ट्रेस कार्यक्रम चलाए हैं जिनमें अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी से मदद मिली है.
उन्होंने कहा, “आसान भाषा में कहा जाए तो अन्तरिक्ष में सीमित व्यवधान हुआ है और इससे हमारे समाजों व अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर रखने में मदद मिली है.”
अन्तरिक्ष सैक्टर का योगदान यहीं ख़त्म नहीं होता. दुनिया भर में तालाबन्दी लागू होने के माहौल में, लोग अन्तरिक्ष टैक्नॉलॉजी की बदौलत ही, एक दूसरे के सम्पर्क में हैं.
विकासशील देशों में अब चिकित्साकर्मी ई-स्वास्थ्य मंचों का इस्तेमाल कर रहे हैं, और अनगिनत बच्चे डिजिटल शिक्षण कार्यक्रमों के ज़रिये अपनी शिक्षा जारी रखे हुए हैं.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अन्तरिक्ष एजेंसियों ने व्यावसायिक अन्तरिक्ष सैक्टर से भी कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में शामिल होने के लिये कहा है, परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में अत्याधुनिक टैक्नॉलॉजी और अन्तरिक्ष ऐपलिकेशन समाधान सामने हैं, इनमें स्वास्थ और शिक्षा क्षेत्र प्रमुख हैं.