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लीबिया: उच्चस्तरीय बैठक में शान्ति को प्राथमिकता देने का आहवान

लीबिया के बेनग़ाज़ी शहर में ध्वस्त इमारतों के मलबे के बीच से गुज़रते बच्चे.
OCHA/Giles Clarke
लीबिया के बेनग़ाज़ी शहर में ध्वस्त इमारतों के मलबे के बीच से गुज़रते बच्चे.

लीबिया: उच्चस्तरीय बैठक में शान्ति को प्राथमिकता देने का आहवान

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि लीबिया में हिंसक टकराव में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से शामिल हर पक्ष को शान्ति के एक दुर्लभ अवसर का उपयोग करना चाहिये. लीबिया में हिंसा पर विराम लगाने के उद्देश्य से सोमवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय वर्चुअल बैठक में महासचिव ने यह बात कही है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र के दौरान इस शिखर बैठक का आयोजन किया गया है.

यूएन प्रमुख ने कहा, “लीबिया का भविष्य दाँव पर है और मैं सभी लीबियाई नागरिकों से एक स्थायी युद्धविराम के लिये प्रयास जारी रखने की अपील करता हूँ.”

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“मेरा आप सभी से निवेदन है कि आप संयुक्त राष्ट्र के समर्थन प्राप्त लीबियाई शान्ति प्रयासों को प्रोत्साहन व सहारा दें – ना सिर्फ़ कथनी में, बल्कि करनी में भी.”

महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद ने हथियारों पर जो पाबन्दिया लगाई हैं उन्हें पूर्ण रूप से बिना शर्त लागू किया जाना होगा. 

यूएन प्रमुख ने स्पष्ट किया कि जिन देशों ने देश अब भी हथियारों की आपूर्ति करना और लड़ाकों को सैन्य सहयोग पहुँचाना जारी रखा है वो इसका उल्लंघन कर रहे हैं.
इससे शान्ति के लिये उनके बुनियादी संकल्प पर सवाल पैदा होते हैं. 

यह उच्चस्तरीय बैठक ऐसे समय आयोजित की जा रही है जब अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने लीबिया में त्रासदीपूर्ण और समाधान से दूर हालात पर चिन्ता जताई है. 

आशंका जताई गई है कि लीबिया में अन्य देशों का हस्तक्षेप है और युद्धरत पक्षों को बाहरी ताक़तों से समर्थन मिल रहा है. 

एक विभाजित देश 

तेल सम्पदा सम्पन्न लीबिया संयुक्त राष्ट्र की मान्यता प्रकार सरकार और स्वयंभू लीबियाई नेशनल आर्मी के धड़ों में बँटा है.

लीबियाई नेशनल आर्मी ने राजधानी त्रिपोली में अप्रैल 2019 में धावा बोल दिया था लेकिन 15 महीनों तक जारी रही बमबारी इस वर्ष जून महीने में थम गई. 

वहीं तरहाउना शहर को लीबियाई सरकार के सुरक्षा बलों ने फिर अपने नियन्त्रण में ले लिया है. 

सिरते शहर में अब भी बन्दूकें शान्त हैं लेकिन हालात नाज़ुक डोर से बँधे हुए हैं – दोनों युद्धरत पक्ष आमने-सामने हैं जबकि नागरिक विकट हालात में फँसे हुए हैं.

महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि हाल के महीनों में हिंसा में आई कमी को देखना प्रोत्साहनकारी है.

ग़ौरतलब है कि यूएन मान्यता प्राप्त लीबियाई सरकार के प्रधानमन्त्री सेराज और लीबियन नेशनल आर्मी के समर्थक व हाउस ऑफ़ रिप्रैज़ेण्टेटिव के स्पीकर अगीला सालेह ने युद्धविराम की अपील जारी की है. 

इसके मद्देनज़र यूएन प्रमुख ने हिंसा के शान्तिपूर्ण समाधान की दिशा में हो रही कोशिशों का स्वागत किया है.

बातचीत की सम्भावना

अलग-अलग घोषणाओं में दोनों पक्षों ने तेल नाकेबन्दी को हटाने और राजनैतिक प्रक्रिया की ओर लौटने की पुकार लगाई है. 

यूएन महासचिव ने सभी पक्षों से एक साथ मिलकर सृजनात्मक ढँग से बातचीत आगे बढ़ाने पर ज़ोर दिया है, विशेष रूप से सैन्य मसलों पर.

“यह हिंसक संघर्ष बहुत ज़्यादा समय से चला आ रहा है और इसे समाप्त करने का संकल्प लेने के लिये आज हमारे पास फिर एक अवसर मौजूद है.”

देश के पूर्वी हिस्से में दूसरे धड़े की सरकार ने 13 सितम्बर को इस्तीफ़ा दे दिया और यूएन मान्यता प्राप्त सरकार के प्रधानमन्त्री सिराज ने अक्टूबर तक सत्ता सौंपने की घोषणा की है. 

लीबिया की राजधानी त्रिपोली में एक बन्दीगृह में ज़मीन पर बिछाए गए गद्दों पर बैठे हुए कुछ महिलाएँ और बच्चे
© UNICEF/Alessio Romenzi
लीबिया की राजधानी त्रिपोली में एक बन्दीगृह में ज़मीन पर बिछाए गए गद्दों पर बैठे हुए कुछ महिलाएँ और बच्चे

एंतोनियो गुटेरेश ने मौजूदा घटनाक्रम से सम्वाद को और स्फूर्ति मिलने की सम्भावना ज़ाहिर की है जिससे देश को टिकाऊ शान्ति, स्थिरता और विकास मार्ग पर आगे बढ़ाया जा सके. 

ये भी पढ़ें - लीबिया के भविष्य के प्रति 'आशावान' हैं यूएन प्रमुख

अगस्त महीने में हुई वार्ता के दौरान सभी पक्षों ने सैन्य व सुरक्षा मुद्दों पर ध्यान देने, असैन्य क्षेत्र का इन्तेज़ाम करने सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की थी. 

यूएन प्रमुख ने सोमवार की बैठक में सभी प्रतिनिधियों को ध्यान दिलाया कि शान्ति को सर्वोपरि रखते हुए लीबियाई पक्षों को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी. देश में हिंसक टकराव की रोकथाम करना संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च प्राथमिकता है. 

जनवरी 2020 में बर्लिन सम्मेलन के दौरान शामिल हुए देशों के विदेश मन्त्रियों के अलावा सोमवार की उच्चस्तरीय बैठक में क्षेत्रीय व उपक्षेत्रीय संगठनों के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी शामिल हुए. 

लीबिया के पड़ोसी देश अल्जीरिया, चाड, निजेर, सूडान और ट्यूनीशिया के अलावा मोरक्को व दक्षिण अफ़्रीका के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की. 

यूएन मिशन के अनुसार लीबिया में हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या में तेज़ी से गिरावट आई है. अप्रैल व जून 2020 में यह संख्या 358 था लेकिन जून और सितम्बर में यह घटकर 19 रह गया है. 

हिरासत केन्द्रों पर बदहाल हालात

इस बीच जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के 45वें सत्र के दौरान लीबिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन की कार्यवाहक प्रमुख स्टेफ़नी विलियम्स ने प्रवासी हिरासत केन्द्रों को तत्काल बन्द कराए जाने का आहवान किया है. 

उन्होंने कहा कि इन हिरासत केन्द्रों पर हज़ारों की संख्या में महिलाओं, पुरुषों व बच्चों को बेहद ख़राब हालात में रहने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है. 

ये लोग योरोप जाने का प्रयास कर रहे थे जब इन्हें समुद्री मार्ग से यात्रा के दौरान हिरासत में लिया गया. 

“हमें सभी हिरासत केन्द्रों से लोगों को मनमाने व ग़ैरक़ानूनी ढँग से हिरासत में लिये जाने, प्रताड़ना, जबरन गुमशुदगी, न्यायेतर मौतों व यौन हिंसा की रिपोर्टें मिलना जारी हैं.”

यूएन मिशन के ताज़ा आँकड़े दर्शाते हैं कि पश्चिमी लीबिया में तीन हज़ार से ज़्यादा बन्दियों को हिरासत केन्द्रों में रखा गया है जिनमें महिलाएँ, बच्चे और अकेले यात्रा कर रहे नाबालिग़ हैं. पूर्वी लीबिया में यह संख्या 371 है.