यूएन वार्षिक रिपोर्ट: कोविड-19 से उबरने का पैमाना आर्थिक के बजाय मानवीय होना चाहिये
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरुवार को संगठन के कामकाज पर आधारित वार्षिक रिपोर्ट जारी की है. यूएन की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर पेश की गई इस रिपोर्ट में यूएन प्रमुख ने एक समावेशी व टिकाऊ दुनिया के निर्माण का संकल्प लिये जाने की अहमियत पर बल दिया है.
यूएन प्रमुख नेरिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है कि संयुक्त राष्ट्र वर्ष 2020 में अपने चार्टर पर हस्ताक्षर की 75वीं वर्षगाँठ मना रहा है, जोकि हमारी साझा प्रगति और साझा भविष्य पर चिन्तन का एक अवसर है.
There is no other way to address global challenges but to act collectively. It is not enough to proclaim the virtue of multilateralism - we must prove its added value.-- @antonioguterres in his annual report on the work of the UN. https://t.co/eHzHaYGEP3 pic.twitter.com/7brUpnYZXB
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उन्होंने कहा है कि समानता, पारस्परिक सम्मान और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग पर आधारित मूल्यों व दूरदृष्टि ने तीसरे विश्व युद्ध से दुनिया को बचाया है, जिसके पृथ्वी के लिये विनाशकारी नतीजे हो सकते थे.
यूएन प्रमुख के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र दुनिया भर में चौबीसों घण्टे करोड़ों लोगों तक मदद पहुँचाने के प्रयासों में जुटा है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने वर्ष 2019-2020 में मुख्य तौर पर टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा व कार्रवाई के दशक, जलवायु कार्रवाई और लैंगिक समानता पर ध्यान केन्द्रित किया.
यूएन विकास प्रणाली के तहत विभिन्न देशों में यूएन के प्रतिनिधि सरकारों व साझीदार संगठनों के साथ मिलकर 162 देशों व क्षेत्रों में 2030 एजेण्डा को साकार करने के प्रयासों में लगे हैं.
साथ ही 40 से ज़्यादा शान्तिरक्षा व विशेष राजनैतिक मिशनों के ज़रिये हिंसक टकराव की रोकथाम और शान्तिनिर्माण प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है.
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संयुक्त राष्ट्र सचिवालय में 36 हज़ार से ज़्यादा कर्मचारी और 95 हज़ार शान्तिरक्षक आठ प्राथमिकताओं वाले क्षेत्रों और 140 से ज़्यादा देशों में 35 से ज़्यादा कार्यक्रमों के तहत अपने दायित्वों के निर्वहन में प्रयासरत हैं.
इनमें टिकाऊ विकास, मानवीय राहत, शान्ति व सुरक्षा, मानवाधिकार, निशस्त्रीकरण, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून व न्याय और आतंकवाद सहित अन्य मुद्दें शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र का वार्षिक कामकाज 14 अरब 20 करोड़ डॉलर की धनराशि के ज़रिये सम्भव बनाया जाता है - इनमें तीन अरब डॉलर नियमित बजट, शान्तिरक्षा अभियानों के लिये सात अरब 20 करोड़, और चार अरब डॉलर के स्वैच्छिक योगदान शामिल हैं.
लेकिन यूएन प्रमुख का मानना है कि ये प्रयास भय, नफ़रत, विषमता, ग़रीबी और अन्याय की समस्याओं पर क़ाबू पाने के लिये पर्याप्त नहीं है.
कोविड-19 महामारी ने इन चुनौतियों को और भी ज़्यादा गहरा कर दिया है जिसके विनाशकारी सामाजिक व आर्थिक दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं.
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यूएन प्रमुख ने मौजूदा दौर में देशों के बीच आपसी भरोसे के अभाव पर चिन्ता जताई और वैश्विक शासन व्यवस्था के लिये एक नया मॉडल अपनाने का आग्रह किया है.
इसके लिये वित्तीय और व्यापार प्रणालियों में बेहतर सन्तुलन, बहुपक्षवाद, निष्पक्ष वैश्वीकरण, सर्वजन के अधिकारों व गरिमा की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण को अहम बताया गया है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी मानवता के लिये एक भीषण त्रासदी है लेकिन यह पुनर्बहाली प्रक्रिया के दौरान रूपान्तकारी बदलावों को सम्भव बनाने का एक अवसर भी है.