विश्व मरीज़ सुरक्षा दिवस: मरीज़ों को बचाने के लिये स्वास्थ्यकर्मियों की रक्षा ज़रूरी

वैश्विक महामारी कोविड-19 ने दुनिया को अहसास दिलाया है कि लोगों की पीड़ाएँ दूर करने और मरीज़ों की ज़िन्दगियाँ बचाने में स्वास्थ्यकर्मियों का अहम योगदान है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरुवार को ‘विश्व मरीज़ सुरक्षा दिवस’ के अवसर पर मरीज़ों की सुरक्षा और सुश्रुषा सुनिश्चित करने के लिये स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा और बचाव के लिये हरसम्भव प्रयास किये जाने की अहमियत पर बल दिया है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, “अपने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा व स्वास्थ्य सुनिश्चित किये बिना, कोई भी देश, अस्पताल या क्लीनिक अपने मरीज़ों को सुरक्षित नहीं रख सकता है.”
इस वर्ष की थीम मरीज़ों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिये स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा (Health Worker Safety: A Priority for Patient Safety) सुनिश्चित करने पर है.
Safe health workers = Safe patients#COVID19 has drawn attention to the huge challenges & risks health workers face. On Thursday's World Patient Safety Day, speak up for health worker safety. https://t.co/SKswXbYMyg via @WHO pic.twitter.com/OmC69qrkSJ
UN
इस सिलसिले में कामकाज के लिये सुरक्षित परिस्थितियों का निर्माण करना, बेहतर प्रशिक्षण, वेतन और सम्मान सुनिश्चित किया जाना अहम बताया गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दिवस पर स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षा चार्टर (Health Worker Safety Charter) जारी किया है जिसमें देशों की सरकारों और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवा प्रशासनों से स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिये पाँच अहम कार्रवाई बिन्दुओं पर ध्यान देने का आग्रह किया गया है...
- स्वास्थ्यकर्मियों को हिंसा से बचाना
- मानसिक स्वास्थ्य में बेहतरी लाना
- शारीरिक और जैविक जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करना
- स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रमों को बढ़ावा देना
- स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षा नीतियों को मरीज़ सुरक्षा के लिये मौजूदा नीतियों से जोड़ना
इस चार्टर के साथ-साथ यूएन एजेंसी ने विश्व मरीज़ सुरक्षा दिवस 2020 पर विशिष्ट लक्ष्य पेश किये हैं और स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े नेताओं से निवेश करने व स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिये उपाय लागू करने का आहवान किया है.
इसके तहत स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी सुविधाओं में पाँच प्रमुख बातों पर ध्यान देने की बात कही गई है:
- स्वास्थ्यकर्मियों के ज़ख़्मी होने की रोकथाम करना
- कामकाज सम्बन्धी तनाव और दबाव में कमी लाना
- निजी बचाव सामग्री व उपकरणों के इस्तेमाल को बेहतर बनाना
- स्वास्थ्यकर्मियों के ख़िलाफ़ हिंसा बर्दाश्त नहीं करना (Zero tolerance)
- सुरक्षा से जुड़ी गम्भीर घटनाओं को दर्ज करना और उनका विश्लेषण करना
स्वास्थ्यकर्मियों और उनके परिजनों को ना सिर्फ़ कोविड-19 महामारी से संक्रमित होने का ख़तरा है बल्कि इससे उन पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बढ़ा है.
कुछ देशों से मिले आँकड़े दर्शाते हैं कि आम आबादी की तुलना में स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण की दर कहीं ज़्यादा है.
अधिकाँश देशों में स्वास्थ्यकर्मी कुल आबादी का तीन फ़ीसदी से भी कम हैं लेकिन कोविड-19 संक्रमित स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या कुल मामलों की 14 प्रतिशत तक दर्ज की गई है जबकि कुछ देशों में यह 35 फ़ीसदी तक है.
कोविड-19 महामारी से संक्रमित हज़ारों स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हो चुकी है.
शारीरिक जोखिम के अलावा महामारी से स्वास्थ्यकर्मियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बढ़ा है – उन्हें लम्बे घण्टों तक काम करना पड़ रहा है, संक्रमित होने का भय लगातार बना हुआ है और वे अपने परिजनों से दूर हैं, साथ हीअक्सर कथित सामाजिक कंलक का भी सामना कर रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक ताज़ा समीक्षा दर्शाती है कि हर चार में से एक स्वास्थ्यकर्मी मानसिक अवसाद और बेचैनी से पीड़ित है, जबकि हर तीन में से एक को वैश्विक स्वास्थ्य संकट के दौरान नीन्द ना आने की दिक्क़त पैदा हो गई है.
साथ ही उनके ख़िलाफ़ मौखिक उत्पीड़न, भेदभाव, शारीरिक हिंसा, घरों से निकाले जाने, साइबर हमलों का शिकार होने के मामलों में भी तेज़ बढ़ोत्तरी हुई है.
विश्व मरीज़ सुरक्षा दिवस हर वर्ष 17 सितम्बर को मनाया जाता है जिसमें मरीज़ों की सुरक्षा को वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकता माना गया है.
यह दिवस स्वास्थ्य देखभाल के दौरान मरीज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने की अहमियत को रेखांकित करता है.
विश्व स्वास्थ्य एसेम्बली ने वर्ष 2019 में ये दिवस शुरू किया था जिसके ज़रिये सभी देशों से वैश्विक एकजुटता और समन्वित प्रयासों का आहवान किया गया है ताकि मरीज़ों की सुरक्षा बेहतर ढँग से की जा सके.