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अमेरिका में प्रदर्शनों पर सभी से संयम बरतने की अपील

अमेरिका के दर्जनों शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. न्यूयॉर्क सिटी में हुए प्रदर्शनों का एक दृश्य.
UN News/ Shirin Yaseen
अमेरिका के दर्जनों शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. न्यूयॉर्क सिटी में हुए प्रदर्शनों का एक दृश्य.

अमेरिका में प्रदर्शनों पर सभी से संयम बरतने की अपील

क़ानून और अपराध रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता ने अमेरिका के अनेक शहरों में जारी विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की वो अपील दोहराई है कि किसी भी तरह की शिकायतें शान्तिपूर्ण तरीक़ों से सुनी जानी चाहिए, साथ ही पुलिस व सुरक्षा बलों को भी और ज़्यादा संयम दिखाना होगा. ध्यान रहे कि कुछ स्थानों पर इन प्रदर्शनों के सन्दर्भ में अनेक पक्षों की तरफ़ से हिन्सा भी हुई है.

ये ग़ुस्सा व नाराज़गी उस समय शुरू हुई जब पिछले सप्ताह के शुरू में एक ऐसी वीडियो वायरल हो गई जिसमें मिनीयापोलिस शहर में एक श्वेत पुलिस अधिकारी को एक 46 वर्षीय काले व्यक्ति जियॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन पर 8 मिनट से ज़्यादा देर तक दबाव डालते हुए देखा गया था.

उसी दौरान जियॉर्ज फ्लॉयड जीवनरहित हो गये थे, और पुलिस हिरासत में उनकी मौत हो गई.

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ये दृश्य देखने के बाद अनेक शहरों में लाखों लोगों ने रास्तों पर निकलकर विरोध प्रदर्शन किए हैं जो मुख्य रूप में शान्तिपूर्ण रहे.

लेकिन कुछ स्थानों पर कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस को निशाना बनाकर की गई हिन्सा भी देखी गई है और लूटपाट भी हुई है. साथ ही पुलिस ने भी अनेक शहरों में कुछ हिन्सक रणनीतियाँ अपनाई हैं.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्तफ़ाँन दुजैरिक ने अपने वक्तव्य में कहा, “अमेरिका में हम जो स्थिति देख रहे हैं, वैसी स्थिति दुनिया के अनेक हिस्सों में अब से पहले भी देखी गई है.”

उन्होंने कहा कि महासचिव एंतोनियो गुटेरेश का सन्देश हमेशा प्रासंगिक रहा है, “शिकायतें और परेशानियाँ सुनी जानी चाहिएँ, लेकिन उनकी अभिव्यक्ति भी... शान्तिपूर्ण तरीक़ों से ही होनी चाहिए, और अधिकारियों को भी प्रदर्शनकारियों का सामना करते हुए संयम दिखाना होगा.”

प्रवक्ता ने नियमित दैनिक वर्चुअल प्रैस वार्ता के दौरान एक पत्रकार के सवाल के जवाब में कहा कि विश्व के किसी भी देश की ही तरह, “विविधता एक समृद्धता है, ना कि कोई ख़तरा, लेकिन किसी भी देश में विवधता भरे समाजों की सफलता लिये सामाजिक समावेश व भाईचारे के लिए भारी प्रयासों के निवेश की ज़रूरत होती है.” 

प्रवक्ता ने ध्यान दिलाते हुए कहा, “इसके लिए असमानताएँ कम करना, भेदभाव के सम्भावित क्षेत्रों को समझकर उनका हल निकालना, सामाजिक संरक्षा मज़बूत करना, और सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना” ज़रूरी है.

प्रवक्ता ने कहा, “इन प्रयासों और इन निवेशों के लिए राष्ट्रीय सरकारों को... स्थानीय प्राधिकारियों, निजी सैक्टर, सिविल सोसायटी, आस्था आधारित संगठनों और पूरे समाज को सक्रिय होना होगा.”
और पुलिस हिंसा की घटनाओं के सन्दर्भ में प्रवक्ता ने संयुक्त राष्ट्र का रुख़ दोहराया जिसमें सम्पूर्ण जाँच कही गई है.

यूएन प्रवक्ता ने कहा, “हमने हमेशा कहा है कि दुनिया भर में पुलिस बलों को समुचित व उपयुक्त मानवाधिकार सुरक्षा प्रशिक्षण देना होगा." 

"साथ ही पुलिस को सामाजिक व मनोवैज्ञानिक सहायता देने में भी संसाधन निवेश करने होंगे ताकि पुलिस समुदायों को संरक्षा व हिफ़ाज़त मुहैया कराने में अपना काम सही तरीक़े से कर सके.”

हिंसक ग़ुस्सा फूटा

जियॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद मिनीयापोलिस और देश भर के अनेक शहरों में स्थिति भड़क उठी. वैसे तो ज़्यादातर दिन के दौरान शान्तिपूर्ण प्रदर्शन ही हुए लेकिन रात होते-होते वो हिंसक हो गए, जिसके परिणामस्वरूप अनेक शहरों में रात का करफ़्यू लगाना पड़ा.

बीते सप्ताहान्त, अनेक स्थानों पर गोलीबारी, लूटपात और सम्पत्तियों को नुक़सान पहुँचाने की भी ख़बरें भी आईं, इनमें न्यूयॉर्क, शिकागो, फ़िलाडेल्फ़िया और लॉस एंजेलेस भी शामिल थे. 

इस बीच दंगा विरोधी पुलिस अनेक स्थानों पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आँसू गैस के गोले छोड़े और मिर्च भरी गोलियाँ चलाईं और ख़बरों के अनुसार, लगभग 4400 लोग गिरफ़्तार किए गए हैं.

कुछ जानकारों का कहना है कि मानवाधिकारों की रक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी हस्ती माने जाने वाले डॉक्टर मार्टिन लूथर किन्ग की 1968 में हत्या हो जाने पर भड़की अशान्ति व ग़ुस्से बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने नस्लीय नाराज़गी देखी जा रही है.

प्रदर्शनकारियों से जुड़ा संक्रमण

अलबत्ता कुछ दिन पहले तक कोविड-19 महामारी के कारण अनेक सप्ताहों से देश भर में अनेक रास्ते, बाज़ार व सड़कें सुनसान पड़े थे, मगर अब अनेक शहरों में इन विरोध प्रदर्शनों में सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम की भी अनदेखी की जा रही है, लोग कन्धे से कन्धा मिलाकर प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे हैं, जबकि कोविड-19 का संक्रमण फैलने का ख़तरा बरक़रार है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन में संक्रामक बीमारियों की विशेषज्ञ डॉक्टर मारिया वान करख़ोव ने एक वर्चुअल प्रैस वार्ता में कहा कि लोगों के बीच दूरियाँ बनाए रखने इस महामारी को और आगे फैलने से रोकने के प्रयासों में बहुत असरदार उपाय है.

उनका कहना था, “अभी ये महामारी समाप्त नहीं हुई है, और हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि जिन स्थानों पर इस तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं, वहाँ संक्रमण के मामलों को रोकने, उनकी जानकारी मिलने पर समुचित क़दम उठाए जाने की ठोस व्यवस्था मौजूद हो.”