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कोविड-19: लातिन अमेरिका व कैरिबियाई क्षेत्र को उबारने के लिये नीतिगत उपाय

कोलम्बिया के बुगा में अपने घर और दुकान के बाहर खड़ी एक महिला.
World Bank/Charlotte Kesl
कोलम्बिया के बुगा में अपने घर और दुकान के बाहर खड़ी एक महिला.

कोविड-19: लातिन अमेरिका व कैरिबियाई क्षेत्र को उबारने के लिये नीतिगत उपाय

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में आती तेज़ी के बीच लातिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र के कुछ देशों में बड़ी संख्या में महामारी के मामले दर्ज किये जा रहे हैं. यूएन प्रमुख ने इस क्षेत्र के लिए अपना नया नीति-पत्र जारी किया जिसमें बताया गया है कि पहले से ही निर्धनता, भुखमरी, बेरोज़गारी और विषमता से पीड़ित यह क्षेत्र महामारी के असर से किस तरह उबर सकता है. 

गुरुवार को जारी नीति-पत्र में बताया गया है कि किस तरह क्षेत्र के अनेक देशों में अब संक्रमण की दर सबसे ऊँची है और इसका आदिवासी समुदायों, महिलाओं और अन्य निर्बल समूहों पर कितना असर हो रहा है.   

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने अपने वीडियो सन्देश में कहा, “निर्बल समुदाय और लोग एक बार फिर बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.”

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उन्होंने चिन्ता जताते हुए कहा कि कार्यबल में महिलाओं का हिस्सा 50 फ़ीसदी से ज़्यादा है लेकिन अब उन्हें अतिरिक्त देखभाल, बुज़़ुर्गों और विकलांगों का भी सहारा बनना पड़ रहा है.

इन सभी समूहों पर वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा ज़्यादा है. साथ ही आदिवासी, अफ़्रीकी मूल के लोगों, प्रवासी एवँ शरणार्थियों पर इस महामारी का भारी असर हुआ है. 

रिपोर्ट के मुताबिक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 9.1 प्रतिशत तक सिकुड़ने का ख़तरा है जो एक सदी में सबसे ज़्यादा है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि वायरस के फैलाव को रोकने के लिए हर सम्भव प्रयास करने के साथ-साथ उसके अभूतपूर्व आर्थिक और सामाजिक प्रभावों से भी निपटा जाना होगा. 

नीति-पत्र में संकट से उबरने के लिये अनेक तात्कालिक और दीर्घकालीन उपाय रेखांकित किये गए हैं जिनमें दूरस्थ पढ़ाई-लिखाई को प्राथमिकता देने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है ताकि शिक्षण में आए व्यवधान को दूर करने और बच्चों पर आधारित सेवाएँ जारी रखना सम्भव हो सके. 

साथ ही सरकारों से ग़रीबी, खाद्य असुरक्षा, कुपषोण घटाने के लिये और ज़्यादा प्रयास करने का आहवान किया जा रहा है, उदाहरणस्वरूप - आपदा के हालात से निपटने के लिए बुनियादी आय और भुखमरी की रोकथाम के लिए अनुदान - जैसे उपाय. 

यूएन प्रमुख ने इस दिशा में अन्तरराष्ट्रीय समर्थन के महत्व की तरफ़ भी ध्यान खींचा है. उन्होंने कहा, “मैंने बचाव और पुनर्बहाली राहत के लिये विश्व अर्थव्यवस्था के 10 फ़ीसदी से ज़्यादा पैकेज की माँग की है.

उनके मुताबिक लातिन अमेरिकी और कैरिबियाई देशों को नक़दी प्रदान करने, वित्तीय समर्थन मुहैया कराने और कर्ज़ अदायगी में मदद करने में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की बड़ी भूमिका है.

“लातिन अमेरिकी और कैरिबियाई देशों – और विशेषत: लघु द्वीपीय विकासशील देशों – को वैश्विक सहायता के दायरे से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए. अन्तरराष्ट्रीय बहुपक्षीय कार्रवाई को मध्य-आय वाले देशों तक बढ़ाए जाने की ज़रूरत है.”

बेहतर पुनर्बहाली 

व्यापक ढाँचागत चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर पुनर्बहाली और क्षेत्रीय विकास के मॉडल की कायापलट किये जाने की दरकार है.  

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि चहुँओर व्याप्त विषमता की पृष्ठभूमि में ध्यान रखना होगा कि सुलभ और व्यापक स्वास्थ्य प्रणालियाँ विकसित करनी होंगी. 

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न्यायोचित टैक्स प्रणाली  बनानी होगी, अच्छे व उपयुक्त रोज़गारों को बढ़ावा देना होगा, पर्यावरणीय टिकाऊशीलता को मज़बूत करना होगा और सामाजिक संरक्षा के उपायों को और ज़्यादा मज़बूती से लागू करना होगा. 

इसके अलावा क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण की ज़रूरत है जिसमें महिलाओं की सार्वजनिक और आर्थिक जीवन में पूर्ण और सुरक्षित भागीदारी हो. 

“बेहतर पुनर्बहाली के लिये टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा के अनुरूप लोकतान्त्रिक शासन, मानवाधिकार संरक्षण और क़ानून का शासन मज़बूत करने की आवश्यकता है.”

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि विषमता, राजनैतिक अस्थिरता और विस्थापन के बुनियादी कारण दूर करने होंगे. उनके मुताबिक ऐसे समय जब बड़ी संख्या में नागरिक ख़ुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं, ज़्यादा जवाबदेही और पारदर्शिता का होना बेहद अहम है. 

उन्होंने चुनौतियों से जूझ रहे लातिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र के साथ अपनी पूर्ण एकजुटता ज़ाहिर करते हुए कहा कि एकजुटता और करुणा ही उनकी मार्गदर्शक होनी चाहिए. 

महासचिव गुटेरेश ने भरोसा दिलाया कि एक साथ मिलकर हम इस संकट पर क़ाबू पा सकते हैं और सभी के लिए समावेशी व टिकाऊ समाजों का निर्माण कर सकते हैं.