ब्लॉग: आर्थिक पुनर्बहाली के लिये वित्तपोषण

एशिया प्रशान्त क्षेत्र में आर्थिक सहयोग और समर्थन के ज़रिये बेहतर पुनर्बहाली सम्भव है. संयुक्त राष्ट्र में अवर-महासचिव और संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग की कार्यकारी सचिव, आर्मिडा सालसियाह अलिसजहबाना का ब्लॉग.
एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में जैसे-जैसे महामारी के सामाजिक, आर्थिक प्रभाव सामने आ रहे हैं, सभी देशों की सरकारें आपातकालीन स्वास्थ्य प्रतिक्रियाओं और खरबों डॉलर के राजकोषीय पैकेजों के ज़रिये इससे निपटने में लगी हैं.
लगातार जारी तालाबन्दी के कारण आवाजाही पर प्रतिबन्ध होने से अर्थव्यवस्था में सुधार के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं. 2019 की आर्थिक स्थिति की तुलना में, पिछले छह महीनों में, एशिया और प्रशान्त देशों में निर्यात आय, प्रेषण, पर्यटन और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा प्रवाह तेज़ी से घटा है.
यह स्थिति चिन्ताजनक है क्योंकि नीति निर्धारकों के सामने ये कठिन स्थिति पैदा हो गई है कि घटते राजकोषीय क्षेत्र के बीच किस तरह विकास पर खर्चों को प्राथमिकता दी जाए.
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य सुनिश्चित करने के लिये एक व्यापक वित्तपोषण रणनीति तैयार करने के मक़सद से एक वैश्विक पहल के तहत इसमें योगदान कर रहा है.
Financing for Development in the Era of COVID-19 and Beyond नामक इस पहल में कैनेडा और जमैका भी सह-संयोजक हैं.
सरकारें यह सुनिश्चित करने के लिये एकजुट हैं कि कोविड-19 ख़त्म होने के बाद एक समावेशी, टिकाऊ और लचीली पुनर्बहाली के लिये पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध हों.
एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में, पहले से ही अनेक देश तीन प्रमुख क्षेत्रों की वित्तपोषण योजना अपना चुके हैं. उनका उद्देश्य है - घटते वित्त और ऋण भेद्यता की चुनौती का समाधान निकालना; पेरिस समझौते और 2030 एजेण्डा की महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप स्थायी पुनर्रनिर्माण सुनिश्चित करना; और विकास के लिये वित्तपोषण के समर्थन में क्षेत्रीय सहयोग की क्षमता का दोहन करना.
एशिया और प्रशान्त के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) ने हाल ही में बेहतर पुनर्निर्माण पर क्षेत्रीय वार्तालाप की पहली श्रृँखला शुरू की है.
हम स्वास्थ्य महामारी और आर्थिक पतन से उबरने के लिये रास्ते सुझाने व सामूहिक अन्तर्दृष्टि की जानकारी मुहैया कराने के लिये मन्त्रियों, निर्णयाकों, निजी क्षेत्रों और अन्तरराष्ट्रीय एजेंसियों के प्रमुखों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
Fiscal Space में सुधार और उच्च स्तर के ऋण संकट के प्रबन्धन के लिये, ऋण सेवा स्थगन पहल जैसी वैश्विक पहलों के तहत क़र्ज़ वसूली को टालने का विस्तार करने की माँग बढ़ रही है. केन्द्रीय बैंक, अर्थव्यवस्था में जान फूँकने और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के प्रयास जारी रख सकते हैं. इसमें कर सुधार बढ़ाना और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में निवेश के लिये सीमित राजकोषीय संसाधनों का उपयोग करते हुए ऋण प्रबन्धन क्षमताओं में सुधार करना शामिल है.
साथ ही, सततता-उन्मुख बाँण्ड और टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में निवेश के बदले ऋण विनिमय जैसे अभिनव वित्तपोषण विकल्पों की खोज होनी चाहिये.
अर्व्यवस्था पर केन्द्रित होने के अलावा, पेरिस समझौते के सामाजिक समानता और पर्यावरणीय स्थिरता सिद्धान्तों को बढ़ावा देते हुए, नीतिगत प्रतिमानों को सस्तो, सुलभ और हरित बुनियादी ढाँचे के मानकों को मुख्यधारा में लाना चाहिये. हम जैसे-जैसे डिजिटल प्रौद्योगिकी और अभिनव प्रयोगों का उपयोग बढ़ा रहे हैं, इन राष्ट्रीय रोज़गार-समृद्ध पुनर्बहाली रणनीतियों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों के वित्तपोषण की भी व्यवस्था होनी चाहिये.
कोई भी देश केवल ख़ुद के दम पर इस एजेण्डा को आगे नहीं ले जा सकता है. क्षेत्रीय समन्वित वित्तपोषण नीतियाँ ही व्यापार फिर से शुरू कर सकती हैं, आपूर्ति श्रृँखलाओं को पुनर्गठित कर सकती हैं और एक सुरक्षित तरीक़े से स्थायी पर्यटन को पुनर्जीवित कर सकती हैं.
एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में, सरकारों को वित्तीय संसाधन मिलाकर एक क्षेत्रीय निवेश कोष बनाना चाहिये. क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करना इसलिये भी ज़रूरी है ताकि सभी देशों को समय पर समान संख्या में टीकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.
हम संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) के माध्यम से ये प्रयास बढ़ाने में मदद कर सकते हैं – ख़ासतौर पर अपने सदस्य देशों, निजी क्षेत्र और अन्वेषकों के साथ मिलकर अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिये सामूहिक वित्तपोषण प्रतिक्रिया का निर्माण करने में मदद दे सकते हैं.
हम साथ मिलकर, एशिया और प्रशान्त की वित्तपोषण रणनीतियाँ बना सकते हैं, जिनसे भविष्य की महामारियों और संकटों से निपटने के लिये सामाजिक कल्याण और आर्थिक लचीलापन बढ़ सके.