कोविड-19: तालाबन्दी व पाबन्दियाँ चरणबद्ध ढंग से हटाना अहम

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि तालाबंदी और अन्य पाबंदियों में ढिलाई देते समय सतर्कता बरतनी होगी और इस प्रक्रिया को चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ाया जाना होगा. विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के संक्रमण से अब तक 22 लाख लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है और एक लाख 52 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने रविवार को जी-20 समूह के स्वास्थ्यमंत्रियों की वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए ये बात कही.
जी-20 समूह की अध्यक्षता संभाल रहे सऊदी अरब ने कोविड-19 के ख़िलाफ़ वैश्विक प्रयासों के लिए 50 करोड़ डॉलर देने का संकल्प लिया है जिसका यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने स्वागत किया है.
ऑस्ट्रिया, जर्मनी और इटली सहित कुछ अन्य देश अब पाबंदियों में ढिलाई बरतने संबंधी घोषणाओं की तैयारी में जुटे हैं.
इन देशों में संक्रमण के मामलों और अस्पतालों में होने वाली मौतों की संख्या में गिरावट आई है जिसके बाद तालाबंदी को चरणबद्ध ढंग से हटाने पर विचार शुरू हुआ है.
I had three asks of @g20org health ministers today:1. Fight #COVID19 with determination, guided by science & evidence2. Continue to support the global response3. Work together to increase the production & equitable distribution of essential supplies & remove trade barriers. pic.twitter.com/mjSLicnqVV
DrTedros
यूएन एजेंसी के प्रमुख घेबरेयेसस ने कहा कि यह देखना अहम है कि पाबंदियाँ हटाए जाने का अर्थ किसी भी देश में महामारी का अंत नहीं है; यह दूसरे चरण की शुरुआत भर है.
“इस दूसरे चरण में यह महत्वपूर्ण होगा कि देश अपने लोगों से बातचीत करके उन्हें शिक्षित और सशक्त बनाएँ ताकि इसके फिर तेज़ी से उभरने पर जवाबी कार्रवाई हो सके.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास मामलों का पता लगाने, संक्रमितों को अलग रखने और उनकी देखभाल करने और उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने की क्षमता विकसित हो.
संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ने की स्थिति में स्वास्थ्य प्रणाली मज़बूत होने से सहायता मिलेगी.
उन्होंने चिंता जताई कि अब वायरस के मामले ऐसे देशों में रफ़्तार पकड़ रहे हैं जहां स्वास्थ्य सुविधाएँ जी-20 समूह के देशों की तुलना में बेहद कमज़ोर हैं. इस पृष्ठभूमि में ज़रूरतमंद देशों को तत्काल समर्थन की पुकार लगाई है.
कोविड-19 से निपटने के शुरुआती चरण में विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर हाल के दिनों में सवाल उठे हैं जिसके जवाब में महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि शुरू से ही एजेंसी ने अलार्म की घंटी तेज़ और स्पष्टता से बजा दी थी.
“और हमने वैश्विक कार्रवाई में समन्वय के अपने दायित्व को निभाना जारी रखा है और ज़िंदगियां बचाने के लिए साझीदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. हमने दुनिया भर में हज़ारों वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से संपर्क साधा है ताकि देशों के लिए तकनीकी दिशानिर्देश तैयार किए जा सकें.”
इसके अलावा लैब डायग्नोस्टिक और निजी बचाव उपकरण अनेक देशों में भेजे गए हैं और परीक्षण की क्षमता बढ़ाई जा रही है.
इस सिलसिले में अब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 15 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण मुहैया कराया है, असरदार इलाज की तलाश करने के लिए ‘एकजुटता ट्रायल’ शुरू किया है ताकि चार दवाईयों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सके.
वैश्विक कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी समर्थन मिला है और अब तक एजेंसी के रणनीतिक तैयारी व कार्रवाई योजना (Strategic Preparedness and Response Plan) के लिए 90 करोड़ डॉलर से ज़्यादा धनराशि का संकल्प लिया जा चुका है.
उन्होंने बताया कि यूएन सप्लाई चेन टास्क फ़ोर्स के ज़रिए स्वास्थ्य संगठन विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और अन्य साझीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि दुनिया भर में निजी बचाव सामग्री व उपकरण वितरित किए जा सकें.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने दुनिया की सबसे मज़बूत अर्थव्यवस्थाओं से तीन अनुरोध किए हैं: