कोविड-19: बिना योजना के अर्थव्यवस्थाओं को खोलना ‘बन सकता है त्रासदीपूर्ण’
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि अगर देश वैश्विक महामारी कोविड-19 से बचाव के ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र लागू पाबन्दियाँ हटाना चाहते हैं तो फिर उन्हें पहले संक्रमण के फैलाव पर क़ाबू पाने और लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने के लिये गम्भीरता बरतनी होगी. यूएन एजेंसी प्रमुख ने सोमवार को जिनीवा में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए ऐसे उपायों की जानकारी सामने रखी जिनके ज़रिये समाजों व अर्थव्यवस्थाओं को फिर से पटरी पर लाया जा सकता है.
यूएन एजेंसी प्रमुख घेबरेयेसस ने कहा कि दुनिया आठ महीने से विश्वव्यापी महामारी की चपेट में है - लोग अब थक चुके हैं, वे अपनी सामान्य ज़िन्दगी जीना चाहते हैं और यह भी स्पष्ट है कि देश अपने समाजों व अर्थव्यवस्थाओं को फिर से सामान्य बनाना चाहते हैं.
We are 8 months into the #COVID19 pandemic & we understand that people are tired & yearn to get on with their lives, but no country can just pretend the pandemic is over. This virus spreads easily, & we all must remain serious about suppressing its transmission & saving lives. pic.twitter.com/1d2jR5FfvE
DrTedros
“विश्व स्वास्थ्य संगठन भी यही चाहता है. घर पर रहने सम्बन्धी आदेशों और अन्य पाबन्दियाँ लागू करना कुछ देशों के लिये इसलिए ज़रूरी था ताकि उनकी स्वास्थ्य प्रणालियों पर आने वाले भार को सम्भाला जा सके.”
“लेकिन इससे आजीविकाओं, अर्थव्यवस्थाओं और मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर हुआ है.”
यूएन एजेंसी के प्रमुख ने स्पष्ट किया कि वो बच्चों को स्कूल और लोगों को कार्यस्थल पर लौटते हुए देखना चाहते हैं लेकिन ऐसा सुरक्षा के साथ किया जाना होगा.
उन्होंने कहा कि कोई भी देश इस भुलावे में नहीं रह सकता कि महामारी अब ख़त्म हो गई है.
“वास्तविकता यह है कि कोरोनावायरस अब भी आसानी से फैल रहा है. यह सभी आयुवर्ग के लोगों के लिये घातक साबित हो सकता है और अधिकाँश लोगों पर अब भी इसका जोखिम है.”
महानिदेशक घेबरेयेसस ने ज़ोर देकर कहा कि जो देश पाबन्दियाँ हटाना चाहते हैं उन्हें संक्रमण के फैलाव को दबाने और जीवन बचाने के प्रति गम्भीर होना होगा.
“यह असम्भव सन्तुलन प्रतीत हो सकता है लेकिन यह दरअसल है नहीं. ऐसा किया जा सकता है, और ऐसा किया गया है. लेकिन यह तभी किया जा सकता है जब देश संक्रमण फैलाव पर क़ाबू पा लें.”
उन्होंने आगाह किया कि बिना नियन्त्रण के पाबन्दियाँ हटाना त्रासदी का सबब बन सकता है.
असरदार उपाय
यूएन एजेंसी ने कहा है कि देशों, समुदायों व व्यक्तियों को हालात पर क़ाबू पाने के लिये चार अहम बातें ध्यान में रखनी होंगी:
- ऐसे आयोजनों पर रोक लगाई जाए जिनसे वायरस तेज़ी से फैलता हो. ग़ौरतलब है कि अनेक देशों में स्टेडियम, नाइट क्लब, उपासना स्थलों और अन्य भीड़ भरे स्थानों में वायरस तेज़ी से फैला है.
लोगों केोसमूह में एकत्र होने के सम्बन्ध में निर्णय प्रक्रिया में जोखिम मूल्याँकन को समाहित करना होगा. जिन देशों में वायरस के फैलाव का ख़तरा ज़्यादा है वहाँ ऐसे आयोजन अल्प अवधि के लिये स्थगित करने होंगे, जबकि अन्य देशों में आयोजनों के दौरान रोकथाम के उपाय किये जाने होंगे.
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- निर्बल समूहों, जैसेकि वृद्धजन, पहले से बीमार चल रहे लोगों व ज़रूरी सेवाओं में जुटे लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा सुनिश्चित करके मौतों की संख्या में कमी लाई जाए.
संक्रमण का सबसे ज़्यादा जोखिम झेल रहे लोगों की रक्षा के उपायों से लोगों की ज़िन्दगियों और उन्हें गम्भीर रूप से बीमार पड़ने से बचाया जा सकता है, और स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़ने वाले बोझ को भी सम्भाला जा सकता है.
- स्वयं को और अपने समुदायों को संक्रमण से बचाने के लिये सभी व्यक्ति अपनी ज़िम्मेदारी निभाएँ. इसके तहत एक दूसरे से कम से कम एक मीटर की दूरी रखना, हाथ नियमित रूप से धोना, भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचना और मास्क पहनना जैसे उपाय ज़रूरी हैं.
- सरकारें स्थानीय सन्दर्भ के अनुरूप आवश्यकता अनुसार कार्रवाई करें. संक्रमित लोगों की जानकारी हासिल करना, उन्हें एकान्तवास में रखकर इलाज की व्यवस्था करना, उनके सम्पर्क में आए लोगों को खोजना और उन्हें फिर एकान्तवास (क्वारन्टीन) में रखना महत्वपूर्ण है.
यूएन एजेंसी माजों व अर्थव्यवस्थाओं पर लगी पाबन्दियाँ हटाने के लिये देशों को तथ्य आधारित दिशा-निर्देश मुहैया करा रही है जिन्हें विभिन्न हालात में लागू किया जा सकता है.
इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर 'ACT Accelerator' और 'COVAX Facility' पर काम को आगे बढ़ा रहा है ताकि वैक्सीन या उपचार विकसित होने की स्थिति में उसे न्यायसंगत ढँग से सभी देशों को उपलब्ध कराया जा सके.
इस सिलसिले में महानिदेशक घेबरेयेसस ने योरोपीय आयोग का आभार जताया है.
ग़ौरतलब है कि योरोपीय आयोग ने COVAX Facility में शामिल होने की घोषणा करते हुए 40 करोड़ यूरो का योगदान दिया है.