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सीरिया: अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का पालन करने में विफल रहे युद्धरत पक्ष

सीरिया के अलेप्पो इलाक़े में हिंसा से बचकर भागे लोगों की मदद के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चलाए गए छह सचल चिकित्सा केंद्रों में से एक पर लगी भीड़.
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सीरिया के अलेप्पो इलाक़े में हिंसा से बचकर भागे लोगों की मदद के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चलाए गए छह सचल चिकित्सा केंद्रों में से एक पर लगी भीड़.

सीरिया: अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का पालन करने में विफल रहे युद्धरत पक्ष

मानवाधिकार

सीरिया में दसवें साल में प्रवेश कर चुके बर्बर गृहयुद्ध में शामिल पक्ष अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के तहत तय दायित्वों को पूरा कर पाने में विफल रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को सीरिया में बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी की रिपोर्ट के सारांश की जानकारी देते हुए बताया कि लड़ाई के दौरान अस्पतालों और नागरिक प्रतिष्ठानों को नहीं बख़्शा गया है. महासचिव ने बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी द्वारा तैयार 185 पन्नों की एक रिपोर्ट का सारांश सुरक्षा परिषद को भेजा है.

यह बोर्ड 1 अगस्त 2019 को पश्चिमोत्तर सीरिया में संयुक्त राष्ट्र की मदद प्राप्त राहत केंद्रों और अन्य नागरिक प्रतिष्ठानों के हमले में निशाना बनाए जाने के बाद स्थापित किया गया था. 

ये हमले उन स्थानों पर किए गए जो उस सूची में शामिल हैं जिनमें उल्लेखित स्थानों को सैन्य ठिकानों के रूप में निशाना नहीं बनाया जा सकता क्योंकि वे या तो स्वास्थ्य केंद्र हैं या फिर पूरी तरह से नागरिक प्रतिष्ठान हैं, या फिर संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित हैं.

महासचिव गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद को लिखे पत्र में कहा है कि पश्चिमोत्तर सीरिया में असैनिक व मानवीय राहत स्थलों पर लड़ाई के प्रभाव स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय मानवीय राहत क़ानूनों का पालन करने का ध्यान दिलाते हैं.

युद्ध के दौरान आम नागरिकों व लड़ाकों, नागरिक प्रतिष्ठानों और सैन्य ठिकानों के बीच भेद करना अनिवार्य है और सैनिक ठिकानों व लड़ाकों पर ही हमले किए जा सकते हैं. 

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लेकिन महासचिव ने बताया है कि अनेक रिपोर्टों के मुताबिक संबंधित पक्ष इसका पालन करने में विफल रहे.

उन्होंने कहा कि आतंकवाद का मुक़ाबला करने के लिए सदस्य देशों द्वारा उठाए जाने वाले क़दम अंतरराष्ट्रीय मानवीय राहत क़ानूनों, मानवाधिकार क़ानूनों और शरणार्थी क़ानूनों के अनुरूप होने चाहिए.

बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी में तीन सदस्य शामिल थे और इसकी अध्यक्षता नाइजीरिया के रिटायर्ड लैफ़्टिनेंट चिकिबिदिया ओबियाकोर ने की थी.

17 सितंबर 2018 को रूस और तुर्की ने इदलिब में हालात को स्थिर बनाने के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे.

पश्चिमोत्तर सीरिया के इदलिब प्रांत में विद्रोही गुट सक्रिय हैं.

इस सहमति पत्र के बाद भी अनेक घटनाएं सामने आई थीं जिनके बाद जॉंच के लिए बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी का गठन किया गया. 

अपनी रिपोर्ट और उसमें उल्लेखित सिफ़ारिशें यूएन महासचिव को एक ऐसा आधार प्रदान करती है जिसकी मदद से संगठन के मानवीय राहत संसाधनों की बेहतर सुरक्षा व प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए उपायों की शिनाख़्त की जा सकती है. 

रिपोर्ट तैयार करते समय बोर्ड ऑफ़ इन्क्वयारी ने कोई क़ानूनी निष्कर्ष नहीं पेश किए हैं और ना ही क़ानूनी दायित्वों से संबंधित सवालों पर विचार किया है.

लेकिन रिपोर्ट के सारांश के मुताबिक जिन स्थलों का जायज़ा लेने के लिए कहा गया था उनमें से किसी भी स्थान पर जाने में बोर्ड असमर्थ साबित हुआ क्योंकि इसके लिए सीरिया सरकार ने उन्हें अनुमति नहीं दी.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों व संस्थाओं, ग़ैर-सरकारी संगठनों, प्रत्यक्षदर्शियों और सैटेलाइट तस्वीरों सहित अन्य स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर छह अलग-अलग स्थानों पर हुए हमलों को विस्तार से समझने का प्रयास किया गया है. 

बोर्ड ने बताया कि अब मिली सूचना की पृष्ठभूमि में कहा जा सकता है कि 3 मई 2019 को इदलिब गवर्नरेट के रकाया प्राथमिक चिकित्सा देखभाल केंद्र पर हमले के पीछे सीरियाई सरकारी सुरक्षा बलों का हाथ होने की प्रबल संभावना है. 

उन्होंने कहा कि यह संभव है कि हमा गवर्नरेट के कफ़्र नबूथा में एक स्वास्थ्य केंद्र पर 7 मई 2019 को हुए हमले में क्षतिग्रस्त होने के पीछे सरकार और उसके साझीदारों का हाथ है.   

14 मई 2019 को एलेप्पो एयरपोर्ट के पास नायराब फ़लस्तीनी शरणार्थी कैंप पर हमले में 11 लोगों की मौत हुई थी और 29 लोग घायल हुए थे.

बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी ने संभावना जताई है कि ये हमले या तो हथियारबंद विरोधी गुटों द्वारा किए गए थे या फिर इन्हें चरमपंथी गुट हयात तहरीर अल-शाम ने अंजाम दिया था जिसे सुरक्षा परिषद ने आतंकवादी संगठन घोषित किया हुआ है.  

बोर्ड के मुताबिक इदलिब गवर्नरेट के कफ़्र नोबोल सर्जिकल अस्पताल के 4 जुलाई 2019 को क्षतिग्रस्त होने की वजह सरकार और उसके साथियों द्वारा कार्रवाई हो सकती है.

इसकी ‘प्रबल संभावना’ जताई गई है लेकिन इस संबंध में पुख़्ता सबूत उपलब्ध नहीं हैं.   

बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी बताती है कि इसकी संभावना प्रबल है कि इदलिब गर्वनरेट में एक बाल संरक्षण केंद्र पर 28 जुलाई 2019 को हमला सरकार या उसके समर्थकों द्वारा किया गया था.

बोर्ड ने ज़ोर देकर कहा है कि पर्याप्त सबूतों के अभाव में किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता.

बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी ने हमा गर्वनरेट में अस-सुक़िलाबियाह में राष्ट्रीय अस्पताल पर 26 मई 2019 को हुई सातवीं घटना का निरीक्षण नहीं किया है.

ना तो यह संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल है और ना ही उसे संगठन से समर्थन प्राप्त है.