सीरिया में हिरासत में बंद लोगों के मुद्दे पर 'विफल रही सुरक्षा परिषद'

सीरिया में हिंसक संघर्ष के दौरान हिरासत में लिए गए लोगों और उनके परिजनों की मदद करने में सुरक्षा परिषद पूरी तरह विफल रही है. बुधवार को 'फ़ैमिलीज़ फ़ॉर फ़्रीडम' की सह-संस्थापक आमिना खोलानी ने सुरक्षा परिषद को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जेल में बंद और लापता लोगों की हरसंभव सहायता की जानी चाहिए.
सीरिया में एक लाख से ज़्यादा पुरुष, महिलाएँ और बच्चे लापता हैं. इनमें से अधिकतर लोग सीरियाई सरकार की हिरासत में हैं लेकिन चरमपंथी और विरोधी गुट भी लोगों के ग़ायब होने के लिए ज़िम्मेदार बताए गए हैं.
सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के पास यह एक ऐसा अवसर था जिसमें उन्हें जबरन ग़ायब किए लोगों के परिजनों की तकलीफ़ों को सीधे तौर पर सुनने का अवसर मिला.
खोलानी ने कहा, “सीरियाई लोगों को एक ऐसे तंत्र से बचाना आपकी ज़िम्मेदारी है जो मारता है, प्रताड़ना देता है और ग़ैरक़ानूनी ढंग से अपने नागरिकों को हिरासत में रखता है.”
‘फ़ैमिली फ़ॉर फ़्रीडम’ की नींव 2017 में उन परिवारों ने डाली थी जिनके प्रियजनों को या तो हिरासत मे ले लिया गया या फिर ग़ायब कर दिया गया था.
आमिना खोलानी ने बीमार, घायल और मौत के कगार पर खड़े लोगों की व्यथा को बयान करते हुए कहा कि कुछ बंदियों को रोज़ क्रूरता का शिकार होना पड़ता है जबकि कुछ मौत की सज़ा का इंतज़ार कर रहे हैं. आरोप है कि शायद ही किसी को निष्पक्ष अदालती प्रक्रिया का सहारा मिला हो.
खोलानी के परिवार के दो सदस्यों को एक ही दिन, 15 जनवरी 2013 को, मौत की सज़ा सुनाई गई थी.
खोलानी ने माना कि वह सुरक्षा परिषद को कोई नई बात नहीं बता रही हैं, लेकिन अगर परिषद चाहे और क़दम उठाए तो लोगों की जान बचा सकती है. “वीटो और बहानों की वजह से सही और न्यायोचित काम नहीं हो पा रहा है.”
अमीना खोलानी ने सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों से अनुरोध किया कि हिरासत में लिए गए और जबरन ग़ायब किए गए लोगों के मुद्दे को प्राथमिकता देना आवश्यक है.
इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सीरियाई सरकार और हथियारबंद गुटों पर दबाव पड़ना चाहिए कि हिरासत में लिए गए लोगों की पहचान कराई जा सके और मानवीय संगठन उन तक पहुंच सकें.
संयुक्त राष्ट्र में राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने सुरक्षा परिषद को बताया कि हिरासत में बंद, अगवा किए गए या लापता लोगों तक पहुँच नहीं होने की वजह से उनके संबंध में संयुक्त राष्ट्र के पास आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं.
“यूएन अभी तक पुष्टि नहीं कर पाया है लेकिन रिपोर्टों के अनुसार एक लाख से ज़्यादा लोगों को या तो हिरासत में लिया गया है, अग़वा किया गया है या फिर वे लापता हैं.”
उन्होंने स्पष्ट किया कि कई परिवारों के पास अपने परिजनों के संबंध में सूचना नहीं है.
बंदियों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं जिन्हें बिना किसी प्रक्रिया के हिरासत में लिया गया है. इन हिरासत केंद्रों पर संयुक्त राष्ट्र या अन्य अंतरराष्ट्रीय निगरानीकर्ताओं की पहुंच नहीं है; अस्पतालों और क़ब्रगाहों के रिकॉर्ड सार्वजनिक नहीं किए गए हैं और कुछ परिवारों को अपने प्रियजनों के बारे में जानकारी के बदले बड़ी धनराशि देनी पड़ी.
संयुक्त राष्ट्र राजनैतिक मामलों की प्रमुख ने क़रीब सात हज़ार से ज़्यादा ऐसे शवों की तस्वीरें दिखाई हैं जिनके शरीर पर चोट के निशान थे. इन तस्वीरों के ज़रिए सरकारी हिरासत केंद्रों में प्रताड़ना और बुरे बर्ताव का पता चला है.
सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों की ओर संकेत करते हुए रोज़मैरी डीकार्लो ने मनमाने ढंग से पकड़े गए लोगों को रिहा करने की अपील की.
“सभी पक्षों को हिरासत में लिए गए लोगों को अंतराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपने दायित्व निभाते हुए एकतरफ़ा ढंग से रिहा कर देना चाहिए.”
“अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों के गंभीर उल्लंघन के मामले सीरिया में स्थाई शांति हासिल करने और उसे क़ायम रखने के केंद्र में है.”
उन्होंने कहा कि हिंसा में शामिल सभी पक्षों, विशेषकर सीरियाई सरकार को अंतरराष्ट्रीय निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच तंत्र के साथ पूरी तरह सहयोग करना चाहिए.