सीरिया: आमजन पर ज़ुल्म ढाने में सभी पक्ष हैं शामिल, जाँच आयोग की रिपोर्ट

सीरिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के जाँच आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2020 में युद्धविराम लागू होने के बाद से बड़े पैमाने वाली युद्धक गतिविधियों में तो कुछ कमी आई है, मगर अब भी सशस्त्र गुट आम लोगों पर बहुत ज़ुल्म ढा रहे हैं, और जानबूझकर व सोचसमझकर लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है.
यूएन सीरिया जाँच आयोग की सोमवार को जारी 25 पन्नो की रिपोर्ट में देश भर में विभिन्न इलाक़ों पर नियन्त्रण रखने वाले हथियारबन्द गुटों की दमनात्मक व हिंसक गतिविधियों का लेखा-जोखा पेश किया गया है.
3/7 COI Chair Paulo Sérgio Pinheiro: suffering is compounded by the deepening economic crisis, tightening sanctions and the #COVID-19 pandemic. Calls on Gov of Syria and armed groups to cease #torture, including #SGBV, and release all arbitrarily detained prisoners pic.twitter.com/CD9bLTGNR4
UNCoISyria
रिपोर्ट में लोगों को निशाना बनाकर यानि चुन-चुनकर लोगों पर ज़ुल्म ढाने के मामलों बढ़ोत्तरी भी दर्ज की गई है, मसलन, लोगों ही हत्याएँ करना, यौन व लैंगिक हिंसा, और लोगों की निजी सम्पत्ति की लूटपाट या उसे छीनकर उस पर क़ब्ज़ा कर लेना.
इन हालात में आमजन को तकलीफ़ें पहुँचाया जाना एक प्रमुख हिस्सा रहा है.
जाँच रिपोर्ट के अध्यक्ष पाओलो पिनहेरीयो के अनुसार, “लगभग एक दशक से महिलाओं, पुरुषों, लड़कों और लड़कियों को सुरक्षा मुहैया कराने की पुकारें नज़रअन्दाज़ कर दी गई हैं. इस संघर्ष में कोई भी हाथ ज़ुल्म करने से बचा हुआ नज़र नहीं आता है लेकिन यथास्थिति को जारी नहीं रहने दिया जा सकता.”
रिपोर्ट में ख़ासतौर से ऐसी दमनात्मक गतिविधियों पर ध्यान दिया गया जो बड़े पैमाने की युद्धक गतिविधियों से दूर और अलग हो रही हैं.
रिपोर्ट में पाया गया है कि वर्ष 2020 की पहली छमाही में लोगों को जबरन ग़ायब कर दिये जाने और उनका नागरिक अधिकारों व स्वतन्त्रताओं से वंचित कर देने के मामले जारी रहे. इस रणनीति में लोगों में असहमति को दबाने या फ़िरौती वसूलने के लिये डर फैलाना भी शामिल रहा है.
रिपोर्ट में सीरियाई सुरक्षा बलों, सीरियाई नेशनल आर्मी (एसएनए), सीरियाई लोकतान्त्रिक बल (एसडीएफ़) चरमपन्थी गुट हयात तहरीर अल शाम और अन्य पक्षों द्वारा द्वारा लोगों को बन्दी बनाकर रखने के दौरान उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन किये जाने मामलों का भी ज़िक्र किया गया है.
जाँच आयोग के एक सदस्य हानी मीगली ने बताया, “सीरिया में सभी पक्ष आम लोगों को किसी सबूत या क़ानूनी प्रक्रिया के बिना ही बन्दी बना लेते हैं.”
रिपोर्ट में निष्कर्ष पेश किया गया है कि हाल के समय में लोगों को जबरन ग़ायब किये जाने, लोगों की प्रताड़ना, यौन हिंसा और सरकारी बलों की हिरासत में मौत होने के मामले, ना केवल मानवता के ख़िलाफ़ अपराध की श्रेणी में आते हैं, बल्कि उनसे दक्षिणी प्रशासनिक इलाक़ों (गवर्नेरेट) के बीच तनाव भी बढ़ता और परिणामस्वरूप लड़ाई-झगड़ आगे बढ़ता है.
जाँच आयोग के सदस्य हानी मीगली का कहना था, “जिन लोगों को मनमाने तरीक़े से उनकी स्वतन्त्रताओं और नागरिक अधिकारों से वंचित किया गया है, उन्हें तुरन्त रिहा किया जाना होगा. अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को और ज़्यादा कार्रवाई करनी चाहिये, बल्कि करनी होगी...”
रिपोर्ट के अनुसार सीरिया के उत्तरी हिस्से में सीरियाई नेशनल आर्मी (एसएनए) आफ़रीन व आसपास के इलाक़ों में युद्धापराध मानी जाने वाली गतिविधियों में संलिप्त हो सकती है, इनमें लोगों को अगवा करना, प्रताड़ित करना और बलात्कार जैसे कृत्य शामिल हैं.
इनके अलावा लोगों की हत्याएँ करना और विस्फोटकों का इस्तेमाल करके, लोगों को अपाहिज़ बनाना भी शामिल है. ऐसा गोलाबारी व रॉकेट हमलों के ज़रिये भी किया जाता है.
इनके अलावा लोगों की निजी ज़मीन पर हमला करके उन पर क़ब्ज़ा कर लेने के मामलों में भी इज़ाफ़ा हुआ है, ख़ासतौर से कुर्दिश इलाक़ों में. उपग्रहों से प्राप्त तस्वीरों से यूनेस्को द्वारा सूचीबद्ध बहुमूल्य धरोहरों की लूटपाट और उन्हें नुक़सान पहुँचाने की हरकतों की भी जानकारी मिलती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीरिया में जारी संघर्ष को लगभग एक दशक पूरा होने वाला है, और वहाँ इस गृहयुद्ध के कारण, प्रतिबन्धों के प्रभावों और कोविड-19 महामारी की तबाही ने इन सम्भावनाओं व उम्मीदों को और धूमिल कर दिया है कि सीरियाई लोगों को अच्छे स्तर का रहन-सहन नसीब हो सकेगा.
इनके अलावा, पूरे देश में लोगों के जीवन-स्तर की परिस्थितियाँ बहुत ख़राब हो चुकी हैं और सरकार के नियन्त्रण वाले अनेक इलाक़ों में भी तबाही के निशान व बाधाएँ हर तरफ़ मौजूद हैं.
जाँच आयोग की एक अन्य सदस्य कैरेन कोनिन्ग अबूज़ायद का कहना था, “सीरिया में साल 2020 की पहली छमाही के दौरान खाद्य असुरक्षा के कारण लोगों की बढ़ी तकलीफ़ें बहुत चिन्ता की बात हैं. मानवीय सहायता पहुँचाने के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को हटाया जाना होगा.”
रिपोर्ट में निष्कर्ष में अनेक सिफ़ारिशें पेश की गई हैं जिनमें प्रमुख सिफ़ारिश में तमाम पक्षों से एक ऐसे राष्ट्रीय संघर्षविराम पर अमल करने की पुकार लगाई गई है जो दीर्घकालीन हो, जैसाकि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 2254 (2015) में आहवान किया गया है.
जाँच आयोग ने लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने के लिये आहवान किया है कि बन्दी बनाए गए लोगों व क़ैदियों को बड़े पैमाने पर रिहा किया जाए. ख़ासतौर से ऐसे में जबकि दुनिया भर में देखा गया है कि बहुत भीड़ भरी जेलों में कोविड-19 का संक्रमण फैलने के लिये बहुत अनुकूल हालात होते हैं.
जाँच आयोग ने सीरिया सरकार से भी उन लोगों के बारे में तुरन्त जानकारी मुहैया कराने के क़दम उठाने का आग्रह किया है जिन्हें या तो बन्दी बनाया गया है या जबरन ग़ायब किया गया है.
जाँच आयोग के अध्यक्ष का कहना था, “मैं संघर्ष से सम्बद्ध सभी पक्षों का आहवान करता हूँ कि वो रिपोर्ट की सिफ़ारिशों पर ध्यान दें, ख़ासतौर से, टिकाऊ शान्ति स्थापना के बारे में.”
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने स्वतन्त्र अन्तरराष्ट्रीय जाँच आयोग को सीरिया में मार्च 2011 के बाद से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन के मामलों को दर्ज करने और उनकी जाँच करने की ज़िम्मेदारी सौंपी हुई है. इस आयोग के सदस्य हैं – पाउलो सर्गियो बिनहेरियो, कैरेन कोनिन्ग अबूज़ायद और हानी मीगली.