कोविड-19: पीड़ितों व ज़रूरतमंदों के लिए राहत के मरहम की पुकार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित लोगों और ज़रुरतमंद समुदायों के लिए भोजन सहित अन्य आवश्यक सेवाएं सुनिश्चित करने का आहवान किया है. उन्होंने भारत सरकार की उस योजना का उल्लेख किया है जिसके तहत विकट हालात का सामना कर रहे लोगों की मदद के लिए 24 अरब डॉलर के राहत पैकेज की घोषणा की गई है.
बुधवार को जानकारी देते हुए महानिदेशक टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण के मामले चौथे महीने में प्रवेश कर रहे हैं और वैश्विक फैलाव में तेज़ी गहरी चिंता का सबब है.
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WHO
अब तक सवा आठ लाख मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 40 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
पिछले पॉंच हफ़्तों में संक्रमण के नए मामलों में भारी बढ़ोत्तरी हुई है जो लगभग हर देश, क्षेत्र और इलाक़े में दिखाई दे रहे हैं.
पिछले एक सप्ताह में मौतों की संख्या दोगुनी हो गई है – अगले एक हफ़्ते में संक्रमितों की संख्या 10 लाख और मृतकों का ऑंकड़ा 50 हज़ार से ज़्यादा होने की आशंका है.
राहत की दरकार
उन्होंने ध्यान दिलाया कि कई देशों में लोगों से घरों पर रहने और आबादी की आवाजाही को रोकने के लिए कहा जा रहा है.
इससे वायरस के फैलाव को सीमित करने में मदद मिल सकती है लेकिन इसके निर्धनतम और कमज़ोर वर्गों पर अनचाहे दुष्परिणाम भी हो रहे हैं.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि मौजूदा हालात से जिन समुदायों पर गंभीर असर हुआ है उनकी मदद के लिए भोजन और अन्य आवश्यक ज़रूरतों को पूरा किया जाना होगा.
“भारत में, उदाहरणस्वरूप, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की है, जिससे अगले तीन महीनों तक 80 करोड़ वंचितों के लिए राशन, 20 करोड़ 40 लाख निर्धन महिलाओं के लिए नक़दी वितरण और आठ करोड़ से ज़्यादा घरों के लिए खाना पकाने के लिए मुफ़्त ईंधन की व्यवस्था की जाएगी.”
उन्होंने कहा कि कई विकासशील देशों के लिए इस प्रकार के सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को लागू करना मुश्किल भरा हो सकता है. ऐसे देशों को कर्ज़ से राहत दिया जाना बेहद आवश्यक है ताकि वे अपने लोगों का ख़याल रख सकें और आर्थिक बर्बादी से बच सकें.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की यही अपील है – विकासशील देशों के लिए कर्ज़ राहत.
तथ्यों की जॉंच-परख
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि तीन महीने पहले इस वायरस के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन हर दिन नई बातों का पता चल रहा है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी सर्वश्रेष्ठ तथ्यों को आधार बनाते हुए सभी लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कटिबद्ध है.
इसके अलावा संक्रमण से बचाव में फ़ेस मास्क की अहमियत को भी परखा जा रहा है.
कोरोनावायरस पोर्टल व न्यूज़ अपडेट
हमारे पाठक नॉवल कोरोनावायरस के बारे में संयुक्त राष्ट्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन व अन्य यूएन एजेंसियों द्वारा उपलब्ध जानकारी व दिशा-निर्देश यहाँ देख सकते हैं. कोविड-19 के बारे में यूएन न्यूज़ हिंदी के दैनिक अपडेट के लिए यहाँ क्लिक करें.“विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्राथमिकता है कि अग्रिम मोर्चे पर जुटे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए ज़रूरी निजी सुरक्षा सामग्री उपलब्ध हो, जिनमें मेडिकल मास्क और श्वास यंत्र शामिल हैं.”
यही सुनिश्चित करने के लिए यूएन एजेंसी सरकारों और कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि फ़ेस मास्क सहित अन्य सामग्री व उपकरणों का उत्पादन और वितरण को संभव बनाया जा सके.
सामुदायिक स्तर पर फ़ेस मास्क के इस्तेमाल पर बहस हो रही है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक जो लोग बीमार हैं या संक्रमितों की देखभाल कर रहे हैं उन्हें फ़ेस मास्क पहनना चाहिए.
लेकिन इन हालात में फ़ेस मास्क तभी कारगर हैं जब उन्हें अन्य बचाव उपायों के साथ अपनाया जाए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन सभी उपलब्ध तथ्यों को एकत्र कर उनके विश्लेषण में जुटा है ताकि यह सामुदायिक स्तर पर वायरस के फैलाव को रोकने में फ़ेस मास्क की भूमिका पर ठोस जानकारी मिल सके.
दुनिया भर से प्राप्त तथ्यों और विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर ही यूएन संगठन ने अपने दिशानिर्देश तैयार किए हैं जिसमें उपलब्ध तथ्यों के अनुरूप निरंतर बदलाव किए जा रहे हैं.
उदाहरण के तौर पर, यूएन एजेंसी ने हाथ धोने और शारीरिक दूरी बरतने जैसे ऐहतियाती उपायों पर ख़ासा ज़ोर दिया है. लेकिन साफ़ पानी के अभाव में या भीड़भाड़ भरे स्थानों पर रहने को मजबूर लोगों के लिए यह मुश्किल साबित हो सकता है.
इस समस्या से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) और ‘इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ द रेड क्रॉस’ की मदद से हाथ धोने को सुलभ बनाने का प्रयास किया गया है. इसके तहत सार्वजनिक इमारतों, कार्यालयों, बस व ट्रेन स्टेशनों के बाहर हाथ धोने के लिए स्टेशन बनाए गए हैं.
साथ ही कोविड-19 के उपचार में असरदार दवाईयों की शिनाख़्त के लिए दुनिया भर में शोधकर्ताओं के साथ मिलकर काम जारी है. चार दवाईयों के ‘एकजुटता ट्रायल’ के असर को मापने की इस मुहिम में अब तक 74 देश शामिल हो चुके हैं.