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कोविड-19: मौसम निगरानी प्रणाली की सटीकता पर संदेह के बादल

सैटेलाइट के ज़रिए मौसम की निगरानी.
NASA
सैटेलाइट के ज़रिए मौसम की निगरानी.

कोविड-19: मौसम निगरानी प्रणाली की सटीकता पर संदेह के बादल

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र की मौसम विज्ञान एजेंसी (WMO) ने कोविड-19 के कारण मौसम पूर्वानुमान प्रणाली और निगरानी प्रक्रिया में आने वाले व्यवधान पर चिंता जताई है. यूएन एजेंसी का कहना है कि ऑंकड़ों की उपलब्धता और मौसम विश्लेषण की गुणवत्ता प्रभावित होने से पूर्व चेतावनी प्रणाली पर भी असर पड़ने की आशंका है. 

यूएन एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले असर और मौसम संबंधी आपदाओं की संख्या बढ़ना जारी है और ऐसे में विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से एक और चुनौती खड़ी हो गई है.

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इससे देशों के लिए कई प्रकार के मौसम संबंधी ख़तरों का जोखिम बढ़ गया है. 

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस ने कहा कि, “राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और जलविज्ञान सेवाएं कोरोनावायरस महामारी की कठिन चुनौतियों के बावजूद चौबीसों घंटे और सप्ताह के सातों दिन अपने ज़रूरी कार्य को जारी रखे हैं ”

“जीवन और संपत्ति बचाने के प्रति उनके समर्पण को हम सलाम करते हैं लेकिन हम समझते हैं कि इन क्षमताओं और संसाधनों पर बोझ बढ़ रहा है.”

हालात की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने कहा है कि कोरोनावायरस के बावजूद सरकारों को मौसम पर नज़र रखने की क्षमता और पूर्व चेतावनी मुहैया कराने वाली प्रणालियों पर ध्यान देते रहना होगा. 

निगरानी प्रणाली पर असर

विश्व मौसम विज्ञान संगठन का ‘ग्लोबल ऑब्ज़रविंग सिस्टम’ मौसम और जलवायु संबंधी सभी सेवाओं के लिए एक बेहद मज़बूत आधार प्रदान करता है जिसके ज़रिए 193 सदस्य देश अपने नागरिकों तक जानकारी पहुंचाते हैं.

इस प्रणाली की मदद से वायुमंडल और महासागरों की सतह की स्थिति पर भूमि, समुद्र और आकाश में तैनात उपकरणों से नज़र रखी जाती है. इस प्रक्रिया से एकत्र डेटा का उपयोग मौसम विश्लेषण, पूर्वानुमान, सलाह और चेतावनी जारी करने के लिए किया जाता है. 

अधिकतर मामलों में निगरानी प्रणाली जैसे सैटेलाइट और भूमि-स्थित नेटवर्क आंशिक या पूर्ण रूप से स्वचालित (ऑटोमेटेड) हैं और उनके कई हफ़्तों तक बिना किसी मुश्किल के काम करने की संभावना जताई गई है.

लेकिन अगर कोविड-19 से उपजी चुनौती लंबे समय तक रहती है तो फिर ऐसे उपकरणों की मरम्मत, रखरखाव, आपूर्ति और पुर्नतैनाती चिंता का सबब बन जाएगी. 

उन विकासशील देशों में स्थिति पर ख़ास तौर पर चिंता जताई गई है जहां डेटा को मौसम विश्लेषक स्वयं एकत्र करते हैं और फिर अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस में साझा करते हैं.

मौसम निगरानी प्रणाली के कुछ हिस्से पहले से ही प्रभावित हैं. हवाई यातायात में भारी कमी आई है जिसका असर पड़ा है. उड़ान के दौरान विमान आस-पास के तापमान, हवा की गति और दिशा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करते हैं जिसका इस्तेमाल मौसम पूर्वानुमान और जलवायु निगरानी में किया जाता है. 

योरोपीय क्षेत्र में एयर ट्रैफ़िक रीडिंग में 85 से 90 फ़ीसदी की कमी आई है और 31 राष्ट्रीय मौसम प्रणाली विमानों से ना मिल पा रहे डेटा के विकल्पों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं. 

अमेरिका में योरोप जितना व्यापक असर नहीं देखा गया है क्योंकि कमर्शियल उड़ानों में 60 फ़ीसदी की कमी आई है. कोविड-19 के कारण हवाई यातायात में कमी आने से पहले कमर्शियल विमान प्रतिदिन सात लाख से ज़्यादा ऑंकड़े एकत्र करने में योगदान देते थे.