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कोविड-19 के दूरगामी दुष्प्रभावों से निपटने के लिए नई योजना पेश

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश कोविड-19 महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर मीडिया को संबोधित करते हुए.
UN Photo/Mark Garten
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश कोविड-19 महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर मीडिया को संबोधित करते हुए.

कोविड-19 के दूरगामी दुष्प्रभावों से निपटने के लिए नई योजना पेश

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को एक नई योजना को पेश किया है जिसमें विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के विनाशकारी नतीजों से निपटने की रूपरेखा बनाई गई है और निम्न व मध्य आय वाले देशों के लिए एक वैश्विक फ़ंड की स्थापना की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोनावायरस महामारी समाजों की बुनियाद और लोगों की आजीविका के साधनों पर हमला कर रही है, बड़ी संख्या में लोगों की मौत का कारण बन रही है और मौजूदा हालात से वैश्विक अर्थव्यवस्था व देशों पर दूरगामी दुष्प्रभाव होने की आशंका प्रबल हो रही है. 

ऑनलाइन माध्यम के ज़रिए मीडिया को संबोधित करते हुए महासचिव ने कहा कि समाजों में उथल-पुथल का माहौल है, अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज की जा रही है और वायरस के कारण हर क्षेत्र में इस सामाजिक-आर्थिक तबाही से निपटने के लिए एकसाथ मिलकर निर्णायक कार्रवाई की ज़रूरत है.

कोविड-19 के कारण अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने पचास लाख से ढाई करोड़ रोज़गार के साधनों पर संकट की आशंका जताई है और श्रमिक आय को होने वाले नुक़सान को 860 अरब डॉलर से 3.4 ट्रिलियन डॉलर के बीच आंका गया है. 

व्यापार एंव विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 30 से 40 फ़ीसदी की कमी हो सकती है.

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यूएन की पर्यटन मामलों की एजेंसी के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में 20 से 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज होने की आशंका है जबकि यूनेस्को के अनुसार 1.5 अरब से ज़्यादा छात्र स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ‘Shared responsibility, global solidarity: Responding to the socio-economic impacts of COVID-10’ नामक इस रिपोर्ट में सभी से एक साथ मिलकर काम करने और सामाजिक व आर्थिक स्तर पर पड़ने वाले असर को कम करने की पुकार लगाई है.  

साझा ज़िम्मेदारी और वैश्विक एकजुटता के इस रोडमैप में तीन प्रमुख बातों पर ध्यान केंद्रित किया गया है:

  • विश्वव्यापी महामारी पर क़ाबू पाने के लिए उसके फैलाव को रोकना
  • लोगों के जीवन और उनकी आजीविका की रक्षा करना
  • मानवीय संकट से सबक लेकर बेहतर पुनर्निर्माण सुनिश्चित करना

 रिपोर्ट दर्शाती है कि कितनी तेज़ी से यह महामारी फैली है और उसका दायरा किस तरह विस्तृत और गंभीर होता गया है. साथ ही कोविड-19 से समाजों और अर्थव्यवस्थाओं पर होने वाले असर का भी ज़िक्र किया गया है.

कोरोनावायरस  के कारण अब तक 203 देशों और क्षेत्रों में सात लाख से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 33 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. 

यूएन प्रमुख ने कहा है कि, “संयुक्त राष्ट्र के गठन के बाद कोविड-19 जितने बड़े ख़तरे का सामना हमने एक साथ पहली बार किया है.”

“इस मानवीय संकट से निपटने के लिए विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा समन्वित, निर्णायक, समावेशी और अभिनव नीतिगत कार्रवाई की आवश्यकता है – और निर्धनतम देशों और संवेदनशील हालात में रह रहे लोगों के लिए ज़्यादा से ज़्यादा वित्तीय और तकनीकी मदद भी चाहिए.”

इस संबंध में महासचिव गुटेरेश ने एक ‘कोविड-19 रिस्पॉन्स एंड रिकवरी फ़ंड’ को स्थापित किया है ताकि निम्न और मध्य वाले देशों को मदद मुहैया कराई जा सके. 

यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की उस घोषणा के बाद आई है जिसमें कहा गया था कि दुनिया वर्ष 2009 के वित्तीय संकट जैसी मंदी की दिशा में बढ़ रही है. साथ ही यह आशंका भी जताई गई थी कि हालात उससे भी ज़्यादा ख़राब हो सकते हैं. 

इस रिपोर्ट में व्यापक स्तर पर समन्वित और व्यापक बहुपक्षीय कार्रवाई का आहवान किया गया है जिसका स्तर वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दस फ़ीसदी आंका गया है. 

संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और शांति, मानवाधिकार, टिकाऊ विकास और मानवीय कार्रवाई में जुटे उसके क्षेत्रीय, उपक्षेत्रीय और देशीय कार्यालयों का वैश्विक नेटवर्क इस कार्य में सभी सरकारों और साझीदारों का सहयोग करने के लिए तैयार है.