
कोविड-19: घबराएँ नहीं, धैर्य रखें - एक डॉक्टर का अहम संदेश
शियांग लू उन हज़ारों चीनी डॉक्टरों में से एक हैं जिन्हें सबसे ज़्यादा प्रभावित हूबेई प्रान्त में कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के लिए भेजा गया था. ये तब जब वहाँ कोविड-19 संक्रमण अपने चरम पर पहुँच गया था. यूएन न्यूज़ ने जब 23 मार्च को शियांग लू से बातचीत की तो उनका कहना था कि वहाँ स्थिति में काफ़ी सुधार आ चुका है और शायद जल्द ही उन्हें अपने घर वापिस लौटने का मौक़ा मिल जाए.
चीन के हूबेई प्रान्त में सबसे पहले कोरोनावायरस का संक्रमण जनवरी 2020 के अंतिम दिनों में सामने आया था. तब से वहाँ के लिए चीन के 29 प्रान्तों से 346 चिकित्सा दल लोगों को इसके संक्रमण से बचाने के लिए हूबेई में भेजे जा चुके हैं. ये दल स्थानीय चिकित्सा दलों की मदद करने के लिए वहाँ पहुँचे थे.
शियांग लू नैनजिंग मेडिकल विश्वविद्यालय से संबद्ध यीफ़ू अस्पताल के प्रभार हैं और उन्हें इस मिशन पर जाने की अधिसूचना 24 जनवरी को मिली, चीनी नव वर्ष शुरू होने से ज़रा पहले. ये मौक़ा चीन में तमाम लोगों के लिए हर्षोउल्लास और अपने घर लौटने व परिवारों के साथ मिलने-जुलने का बेहतरीन अवसर होता है. यहाँ प्रस्तुत है शियांग लू से यूएन न्यूज़ चीनी भाषा के साथ हुई बातचीत के संपादित अंश...
एक रात में चिकित्सा दल तैयार
बहुत सारे चिकित्सा स्टाफ़ ने प्रभावित इलाक़ों में जाने की इच्छा व्यक्त की थी, इसलिए बहुत से स्टाफ़ को प्रतीक्षा सूची में रखना पड़ा. पहली चिकित्सा टुकड़ी में छह डॉक्टर व नर्सों को 25 जनवरी को अस्पताल से रवाना किया गया था.
लगभग 30 वर्षों के अनुभव के साथ मैं अग्रिम मोर्चे पर अपनी सेवाएं देने के लिए उत्सुक था, लेकिन महामारी की गंभीरता और दायरा भी बहुत डरावना था. आख़िरकार मुझे 10 फ़रवरी को रवाना होने के लिए फ़ोन के ज़रिए अधिसूचना मिली.
मुझे बताया गया कि मुझे हुआंगशी नामक एक शहर को जाने वाले एक चिकित्सा दल का नेतृत्व करना था. 24 घंटों से भी कम समय में मुझे दर्जन भर अस्पतालों से 310 लोगों की एक अस्थाई चिकित्सा टीम गठित करनी थी, इसलिए मैं बहुत दबाव में था.

मैं कुछ चिकित्सा स्टाफ़ को तो जानता भी नहीं था, और मुझे हुआंगशी के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन मैं ये बख़ूबी समझता था कि प्रबंधन और चिकित्सा क्षेत्रों में मेरा अनुभव अग्रिम मोर्चों पर मेरे काम में मददगार साबित होगा.
इस मिशन में शामिल सभी लोग इस मोर्चे पर काम करने के लिए बहुत इच्छुक थे. मुझे याद है मैं बहुत दबाव महसूस कर रहा था लेकिन मेरे अन्दर आत्मविश्वास भी भरा हुआ था.
उस समय हुआंगशी में कोविड-19 अपने चरम पर पहुँच चुका था. जब हमारा चिकित्सा दल वहाँ पहुँचा तो वहाँ संक्रमम के लगभग 800 मरीज़ थे जिनमें लगभग 100 मरीज़ों की हालत गंभीर थी. चिकित्सा दल के लोग बहुत थके हुए थे और उनके लिए ऐहतियाती सामग्री की भी क़िल्लत थी.
स्पष्ट है कि हमारा चिकित्सा दल कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई के बहुत ही कठिन और सघन समय में वहाँ पहुँचा था. वो सबकुछ बहुत कठिन नज़र आ रहा था, अगर परिस्थितियाँ कमज़ोर हों तो युद्ध लड़ने का कोई तरीक़ा नज़र नहीं आता.
खाने-पीने के लिए भी समय नहीं
पहले दो सप्ताहों के दौरान तो हमने चौबीसों घंटे बिना रुके काम किया. उस दौरान अपने परिवारों से संपर्क बनाने की बात तो दूर, खाने-पीने के लिए भी कोई समय नहीं मिल पा रहा था. हमने अस्पताल में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने के लिए उसका पुनरोद्धार किया और गंभीर स्थिति वाले मरीज़ों को सर्वश्रेष्ठ अस्पताल में रखा.
यहाँ तक कि जनरल वॉर्डों को गहन चिकित्सा कक्षों में तब्दील करने के लिए मैंने एक बढ़ई का काम भी किया ताकि उसे रातों-रात राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जा सके.
वैसे तो कोविड-19 के संक्रमण का इलाज करने वाली कोई दवा उपलब्ध नहीं है, मगर मेरा अनुभव बताता है कि संक्रमण की जाँच करके उसका पता लगाना और उसे जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना बेहद महत्वपूर्ण है. मैंने कुछ सकारात्मक परिणाम देखे हैं: गभीर स्थिति वाले एक 93 वर्षीय मरीज़ की हालत सुधर गई थी, और एक अन्य मरीज़ को दो सप्ताहों तक वेंटीलेटर पर रखने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.
डॉक्टर मुश्किलों से नहीं, ग़लतफ़हमी से घबराते हैं
शुरू से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस वायरस के ख़िलाफ़ चीन की लड़ाई का वस्तुनिष्ठ आकलन किया और सही निर्णय लिए. मेरा ख़याल है कि ये एकजुटता और सहायता का एक प्रतीक था.
मेरे ख़याल से ये बहुत अहम है कि अन्य लोगों द्वारा ग़लत नहीं समझा जाए. डॉक्टर होने के नाते हम मुश्किलों से नहीं घबराते हैं, थकान से भी नहीं डरते हैं. लेकिन हम ये उम्मीद ज़रूर करते हैं कि लोग हमें सही संदर्भ में समझें, ख़ासतौर से ऐसे मुश्किल हालात में.
दहशत में ना आएं
अगले सप्ताह मेरी टीम अपना मिशन पूरा करके अपने घर को लौटेगी. ये कहते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है कि हमारी मेडिकल टीम के किसी सदस्य या किसी स्थानीय चिकित्सा स्टाफ़ को संक्रमण नहीं हुआ.
आम लोगों के लिए मेरा संदेश है कि – घबराएँ नहीं और ना ही दहशत में आएँ.
जब वूहान में संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई तो बहुत से लोग बहुत ज़्यादा घबरा गए थे और अस्पतालों की तरफ़ भागने गे थे, जिससे संक्रमण और भी ज़्यादा फैल गया.
इसलिए शान्त रहें, जहाँ तक संभव हो, चीर दीवारी में रहें. यही सबसे ज़्यादा अहम सन्देश है जो मैं लोगों से कहना चाहता हूँ.