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यमन: सैन्य गतिविधियाँ तुरंत रोकने की पुकार

यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स मारिब की यात्रा के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए.
Ismini Palla
यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स मारिब की यात्रा के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए.

यमन: सैन्य गतिविधियाँ तुरंत रोकने की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने यमन के उत्तरी इलाक़े का दौरा करते हुए सैन्य गतिविधियाँ तुरंत रोके जाने की पुकार लगाई है. साथ ही उन्होंने युद्धरत पक्षों से से भी युद्धक गतिविधियों में कमी लाने के लिए साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया है.

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मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने शनिवार को मारिब इलाक़े का एक दिन का दौरा करने के बाद पत्रकारों को स्थिति की जानकारी दी.

ग़ौरतलब है कि यमन में सऊदी अरब के समर्थन वाली सरकार और विद्रोही अंसार-अल्लाह नामक विद्रोहियों के बीच युद्धक गतिविधियाँ चल रही हैं.

अंसार-अल्लाह को हूती के नाम से भी जाना जाता है और कहा जाता है कि उन्हें ईरान का समर्थन हासिल है.

अल जौफ़ गवर्नरेट में हाल के समय में भीषण लड़ाई के कारण हज़ारों लोग पड़ोसी मारिब में पहुँचे हैं. इसीलिए विशेष दूत ने इस इलाक़े को सुरक्षित क़रार दिया.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने पत्रकारों को बताया, "मैंने पिछले सप्ताह मैंने सैन्य गतिविधियाँ तुरंत रोकने की सार्वजनिक अपील जारी की थी."

"आज मैं वो अपील फिर दोहरा रहा हूँ कि सैन्य गतिविधियाँ तुरंत और बिना किसी शर्त के रोकी जाएँ. साथ ही तनाव में कमी की ऐसी व्यापक और समावेशी प्रक्रिया शुरू की जाए जिसमें सभी की भागीदारी व जवाबदेही भी निर्धारित हो."

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने मारिब यात्रा के दौरान गवर्नर और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों, स्थानीय अधिकारों के अलावा अनेक लोगों से मुलााक़ात की जिनमें क़बायली प्रमुख, सिविल सोसायटी, महिलाएँ, युवा और विस्थापित लोग भी शामिल थे.

उन्होंने कहा, "युद्ध का उन्माद शुरू होने के बाद भी मारिब तुलनात्मक रूप में शांत व स्थिरता वाला द्वीप रहा है.

सभी पक्षों को ये सुनिश्चित करना होगा कि मारिब एक सुरक्षित इलाक़ा बना रहे और लड़ाई व युद्ध का अगला केंद्र ना बनकर रह जाए."

विशेष दूत ने संयुक्त राष्ट्र का रुख़ दोहराते हुए कहा कि यमन का संघर्ष युद्धक्षेत्र में नहीं हल किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि यमन एक बहुत नाज़ुक मोड़ पर है: "हम या तो हथियारों को ख़ामोश कर देंगे और राजनीतिक प्रक्रिया शुरू होगा, या फिर एक बड़े स्तर वाला संघर्ष हम सबको चपेट में ले लेगा और लोगों को भारी तकलीफ़ों का सामना करना पड़ेगा, जैसाकि सभी ने मारिब में पहुँचे लोगों को देखा है."