दुनिया भर में शांति और सामंजस्य के लिए एकजुटता की पुकार

उथल-पुथल और मुश्किलों से भरे मौजूदा दौर में विश्व भर के लोगों को शांति व सामंजस्य में एकजुटता दिखाने की ज़रूरत है. ये शब्द हैं यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के जो उन्होंने शुक्रवार को वेटिकन में रोमक कैथोलिक चर्च के मुखिया पोप फ्रांसिस के साथ मुलाक़ात करने के बाद कहे. महासचिव ने संयुक्त राष्ट्र को समर्थन देने के लिए पोप का शुक्रिया भी अदा किया.
यूएन प्रमुख ने मानवता के दूत होने के लिए पोप की सराहना भी की. ध्यान रहे कि पोप फ्रांसिस ने दुनिया भर में मौजूद शरणार्थी संकट, ग़रीबी, असमानता और जलवायु आपदा जैसे मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी है.
I'm delighted to have met His Holiness Pope Francis. @Pontifex is a messenger of hope & dignity, supporting human rights, refugees & migrants, and building bridges between communities. He is a champion for the protection of the planet. We need his moral voice more than ever. pic.twitter.com/YurnbR4Vh9
antonioguterres
“ये संदेश संयुक्त राष्ट्र चार्टर के बुनियादी मूल्यों से भी मेल खाते हैं. इनमें से कुछ का नाम लिया जाए तो इनमें शामिल हैं - इंसान के अस्तित्व और सम्मान की पुष्टि किया जाना, तमाम आमजनों से प्रेम और पृथ्वी का ख़याल रखने के चलन को बढ़ावा देना, इंसानियत को बरक़रार रखना और हम सबके साझा घर (पृथ्वी) की हिफ़ाज़त करना शामिल हैं. हमारी दुनिया पहले से कहीं ज़्यादा हमारी ज़रूरत है.”
एंतोनियो गुटेरेश स्पेन की राजधानी मैड्रिड से रोम पहुँचे थे. मैड्रिड ने उन्होंने जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप-25 में शिरकत की थी जिसमें मुद्दों पर कोई आम सहमति नहीं बन सकी.
महासचिव ने सभी देशों से वर्ष 2050 तक कार्बन निष्पक्षता का लक्ष्य हासिल करने का आहवान किया था. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर पृथ्वी को बचाना है तो ये लक्ष्य हासिल करना बहुत ज़रूरी है.
पोप फ्रांसिस ने भी जलवायु कार्रवाई तुरंत किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.
पोप ने स्पेनिश भाषा में अपनी बात रखते हुए उन लोगों को धन्यवाद कहा जो इंसानियत और न्याय से भरपूर समाज बनाते हैं. साथ ही उन्होंने दुनिया भर के लोगों का आहवान किया कि वो युवजनों की बात ज़रूर सुनें जो एक बेहतर विश्व बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
पोप फ्रांसिस ने कहा, “ये बहुत ज़रूरी है कि हम सभी एक इंसानियत के सदस्य के रूप में पहचाने जाएँ और उस पृथ्वी का ख़याल रखें जो ईश्वर ने पीढ़ी दर पीढ़ी के ज़रिए हमें सौंपी है, ताकि हम इस ज़मीन का इस्तेमाल तो कर लें लेकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत में भी छोड़ जाएँ."
"प्रदूषण फैलाने वाले कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना और पारिस्थितिकी के लिए एक व्यापक रणनीति बहुत ज़रूरी है. इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, आइए, हम सभी को कुछ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.”
पोप ने अन्य लोगों की तकलीफ़ों की तरफ़ से आँख मूंदने के ख़िलाफ़ आगाह भी किया.
“दुनिया भर में कहीं भी हो रहे अन्याय, असमानता, भुखमरी, ग़रीबी, ऐसे बच्चों से जो इसलिए मौत का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनके पास पीने के लिए पानी नहीं है, भोजन, ज़रूरी स्वास्थ्य सेवा जैसी समस्याओं से हमें ना तो मुँह फेरना चाहिए और ना ही हम मुँह फेर सकते हैं.”
दुनिया भर में कहीं भी हो रहे अन्याय, असमानता, भुखमरी, ग़रीबी, ऐसे बच्चों से जो इसलिए मौत का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनके पास पीने के लिए पानी नहीं है, भोजन, ज़रूरी स्वास्थ्य सेवा जैसी समस्याओं से हमें ना तो मुँह फेरना चाहिए और ना ही हम मुँह फेर सकते हैं.
“बच्चों पर हो रहे किसी भी तरह के अत्याचारों की तरफ़ से हम मुँह नहीं फेर सकते हैं. हमें इस तरह के अभिशापों से एकजुट होकर लड़ना होगा.”
विश्व के दो बड़े नेताओं के बीच ये मुलाक़ात क्रिसमस के त्यौहार से कुछ ही दिन पहले हुई है. महासचिव ने इस त्यौहार को शांति और सदभावना का समय क़रार दिया है.
हालाँकि उन्होंने अफ़सोस भी ज़ाहिर किया कि कुछ ईसाई समुदाय इस त्यौहार और छुट्टियों का ये समय सुरक्षित माहौल में नहीं बिता पाते. साथ ही यहूदी और मुस्लिम समुदाय भी उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, अन्य धर्मों के सदस्य भी अपनी आस्था के कारण मौत का शिकार हुए हैं, और उनमें से बहुत से तो प्रार्थनास्थलों में ही.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि बढ़ती नफ़रत का मुक़ाबला करने और आपसी समझ व भाईचारा बढ़ाने के लिए और ज़्यादा उपाय किए जाने की ज़रूरत है.
“इस उथल-पुथल वाले और मुश्किलों से भरे समय में हम सभी को शांति व सामंजस्य की ख़ातिर एकजुट होना चाहिए.”
पोप फ्रांसिस ने दुनिया भर के लोगों का आहवान किया कि वो अंतरराष्ट्रीय समुदाय में और ज़्यादा भरोसा क़ायम करें.
“एक शांतिपूर्ण विश्व बनाने के लिए लोगों और राष्ट्रों के बीच बातचीत में भरोसा, बहुपक्षवाद में भरोसा, अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भूमिका में भरोसा और समझ बढ़ाने के लिए कूटनीति के एक उपकरण के रूप में काम करने पर भरोसा होना बहुत ज़रूरी है.”