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घरेलू विस्थापितों की पीड़ा दूर करने के उपायों पर चर्चा

घरेलू विस्थापन पर उच्चस्तरीय पैनल की उदघाटन बैठक.
UN Photo/Jean-Marc Ferré
घरेलू विस्थापन पर उच्चस्तरीय पैनल की उदघाटन बैठक.

घरेलू विस्थापितों की पीड़ा दूर करने के उपायों पर चर्चा

मानवीय सहायता

विश्व भर में चार करोड़ से ज़्यादा लोग घरेलू विस्थापन का शिकार है और वर्ष 2020 की शुरुआत से अब तक हज़ारों-लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस स्थिति को अस्वीकार्य क़रार देते हुए घरेलू विस्थापितों की समस्याओं के लिए नए समाधानों की तलाश करने का आग्रह किया है.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंलगलवार को जिनीवा में घरेलू विस्थापन पर उच्चस्तरीय पैनल की उदघाटन बैठक को संबोधित करते हुए हिंसक संघर्षों की वजह से विस्थापन का शिकार हुए लोगों के दर्दनाक हालात और मानवाधिकार उल्लंघनों की ओर ध्यान आकृष्ट किया.

शुरुआती विस्थापन के कई सालों बाद भी कई विस्थापितों को बिना घर, नौकरी, शिक्षा, जीवन में आगे बढ़ने के अवसरों व अन्य ज़रूरतों के पूरा हुए बग़ैर रहना पड़ रहा है.  

यूएन प्रमुख ने सदस्यो से जबरन विस्थापन को रोकने, विस्थापितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन तक जल्द मदद पहुंचाने के लिए नए उपायों को सुझाने का आग्रह किया है.

यूएन महासचिव ने कहा कि, “यह अस्वीकार्य है कि लाखों लोग इतने क्रूर तरीक़े से अपने घर से विस्थापित हो जाएं और फिर बना समाधान के अधर में सालों तक लटके रहें. विस्थापित होना कभी ना ख़त्म होने वाली समस्या नहीं होना चाहिए.”

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश बैठक को संबोधित करते हुए.

योरोपीय संघ के पूर्व विदेश नीति की मुखिया और पैनल की सह-प्रमुख फ़ेदेरिका मोघेरिनी ने बताया कि यह कार्य सामयिक है. “इस साल की शुरुआत से अब तक, सीरिया के इदलिब में हमले के बीच क़रीब दस लाख लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं.”

अधिकांश विस्थापितों में महिलाएं व बच्चे हैं जो बेहद विकट परिस्थितियों में रह रहे हैं. हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका के देशों के अलावा विस्थापन अफ़ग़ानिस्तान, कैमरून, कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य, दक्षिण सूडान और यमन में भी हो रहा है.

सह-प्रमुख ने प्रक्रिया को समझबूझकर आगे बढ़ाने की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि पारदर्शिता व समर्थन को आगे भी सुनिश्चित रखे जाने की ज़रूरत है जिससे स्वतंत्र रूप से सोचने व कार्रवाई को पूर्ण करना संभव हो सके.

भावी चुनौतियों के मद्देनज़र उन्होंने कहा कि पैनल के सदस्य विविध पृष्ठभूमि व अनुभवों के साथ आते हैं जिससे नए परिप्रेक्ष्यों और तरीक़ों से घरेलू विस्थापन के मुद्दे को समझने में मदद मिलेगी.

“आप साथी पैनल सदस्यों से मेरा संकल्प नेतृत्व प्रदान करने का प्रयास है...यह सुनिश्चित करते हुए कि हमारी एक मज़बूत आवाज़ हो, और घरेलू विस्थापन से निपटने हेतु नए विचारों के लिए जगह हो.”

ग्लोबल फ़ंड टू फ़ाइट एड्स, टीबी एंड मलेरिया के प्रमुख और पैनल के सह प्रमुख डॉनल्ड काबेरूका ने कहा कि इतने जटिल और विशाल मुद्दे का हल निकालने के लिए सीमित समय है इसलिए चर्चा के दायरे को व्यापक बनाया जाना होगा.

“आंतरिक रूप से विस्थापितों सहित घरेलू विस्थापन से प्रभावित लोगों से सीधे तौर पर उनके अनुभवों का सुनना महत्वपूर्ण है ताकि हम उन प्राथमिकता वाले मुद्दों को ठीक ढंग से समझ सकें जिन पर हमें ध्यान केंद्रित करना है”

उन्होंने माना कि घरेलू विस्थापन के मानवीय पहलुओं के उपायों के तौर पर प्रयास किए गए हैं लेकिन इन प्रयासों का दायरा और व्यापक बनाए जाने की आवश्यकता है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ग़रीबी, असमानता, हाशिए पर धकेले जाने, पर्यावरणीय व प्रशासनिक चुनौतियों समेत विस्थापन के अंतर्निहित सामाजिक व आर्थिक कारणों और विस्थापन के समाजों व देशों पर प्रभाव के असर की जांच करने की ज़रूरत है ताकि सही समाधानों को सुझाया जा सके.

पैनल की ज़िम्मेदारी वैश्विक स्तर पर जागरूकता का प्रसार करना और इस गंभीर मुद्दे के ठोस दीर्घकालीन समाधानों की तलाश करना है. अगले 12 महीनों में पैन की चार बार बैठक होने की उम्मीद है जिसमें प्रांसगिक संगठन व देश आपसी विचार-विमर्श के बाद फ़रवरी 2021 तक अपनी सिफ़ारिशें संयुक्त राष्ट्र महासचिव को सौंपेंगे.

इसे पिछले वर्ष अक्टूबर में गठित किया गया था जिसमें सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, नागरिकम समाज, निजी क्षेत्र और उन देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं जो विस्थापन से प्रभावित रहे हैं. इसका उद्देश्य विस्थापन का दंश झेल रहे विस्थापितों व उनकी मेज़बानी कर रहे समुदायों की मदद करना है.