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कोविड-19: खाद्य असुरक्षा और विस्थापन बढ़े

कोविड-19 के कारण दुनिया भर के अनेक स्थानों पर नाज़ुक हालात में रहने वाले लोगों के लिये पोषण का भी ख़तरा पैदा हो गया है, ख़ासतौर से बच्चे और गर्भवती महिलाएँ ज़्यादा प्रभावित हैं.
WFP/Oluwaseun Oluwamuyiwa
कोविड-19 के कारण दुनिया भर के अनेक स्थानों पर नाज़ुक हालात में रहने वाले लोगों के लिये पोषण का भी ख़तरा पैदा हो गया है, ख़ासतौर से बच्चे और गर्भवती महिलाएँ ज़्यादा प्रभावित हैं.

कोविड-19: खाद्य असुरक्षा और विस्थापन बढ़े

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी शुरू होने के समय ही रिकॉर्ड स्तर पर रही वैश्विक भुखमरी और आबादी के विस्थापन की स्थिति और ज़्यादा ख़राब हो सकती है क्योंकि प्रवासी जन व बाहर से भेजी जाने वाली रक़म पर निर्भर लोगों को अपने परिवारों की गुज़र-बसर चलाने की ख़ातिर कामकाज पाने के लिये मजबूर होना पड़ रहा.

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और अन्तरराष्ट्रीय प्रवासी संगठन (IOM) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में वैश्विक समुदाय से तात्कालिक व बढ़ती मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये मानवीय सहायता बढ़ाने का आग्रह किया गया है.

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साथ ही, विशेष रूप से बहुत नाज़ुक हालात में रहने वाले लोगों पर कोविड-19 महामारी के गम्भीर परिणामों का सामना करने के लिये ठोस उपाय करने का भी आग्रह किया गया है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने कहा है कि ख़ुद महामारी से कहीं ज़्यादा, उसका सामाजिक-आर्थिक प्रभाव लोगों के लिये विनाशकारी है.

उन्होंने कहा, “निम्न व मध्यम आय वाले अनेक देशों में बहुत से लोग, कुछ महीनों पहले तो ग़रीब थे, लेकिन अब वो देख रहे हैं कि उनकी आजीविकाएँ ही तबाह हो चुकी हैं.” 

“विदेशों में रहने वाले परिजनों से जो रक़म मूल देशों में रहने वाले परिवारों को भेजी जाती थी, उसमें बहुत कमी हुई है जिससे वित्तीय कठिनाइयाँ बहुत बढ़ गई हैं. परिणामस्वरूप, दुनिया भर में अनेक स्थानों पर भुखमरी की दर बहुत तेज़ी से बढ़ी है.”

इस मुद्दे पर अपनी तरह की ये पहली रिपोर्ट है जिसमें दुनिया भर में भुखमरी व प्रवासियों के प्रमुख स्थानों पर रहने वाले लोगों की खाद्य सुरक्षा पर कोविड-19 महामारी के विनाशकारी प्रभावों का आकलन किया गया है.

अभूतपूर्व प्रभाव

दोनों यूएन एजेंसियों का कहना है कि महामारी ने लोगों के आवागमन पर भी अभूतपूर्व रूप में प्रभावित किया है.

महामारी पर क़ाबू पाने के लिये किये गए उपाय और प्रतिबन्धों के कारण इनसानों की गतिविधियाँ सीमित हुई हैं, जिसके कारण उनके कामकाज करने और आमदनी के अवसर भी सीमित हुए हैं.

इन सबके कारण प्रवासियों और विस्थापित लोगों की खाद्य व अन्य बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने की सामर्थ्य पर बहुत बोझ बढ़ा है.

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के महानिदेशक एंतोनियो वितोरिनो ने कोविड-19 के प्रभावों की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए आगाह किया कि इससे ना केवल वैश्विक संकल्प जोखिम में पड़ गए हैं, बल्कि मौजूदा सहायता कार्यक्रमों पर भी ख़तरा मँडराने लगा है. 

उन्होंने कहा, “कोविड-19 के लोगों के स्वास्थ्य व उनके आवागमन पर प्रभावों के कारण वैश्विक ज़िम्मादारियों को समेटने का जोखिम पैदा हो गया है, इनमें प्रवासन पर ग्लोबल कॉम्पैक्ट भी शामिल है."

"साथ ही ज़रूरमन्द लोगों की मदद करने के मौजूदा प्रयासों में भी बाधाएँ आ रही हैं.” 

उन्होंने कहा, “ये हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि हम प्रवासियों और विस्थापित लोगों के अधिकारियों की हिफ़ाज़त करें और उनकी हिफ़ाज़त को और ज़्यादा नुक़सान होने से बचाएँ.”

भुखमरी व विस्थापन

रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य असुरक्षा व विस्थापन घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं. दुनिया भर में मौजूद 10 में से 9 सबसे भीषण खाद्य संकट ऐसे देशों में हैं जहाँ देश के भीतर ही विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या भी बहुत बड़ी है.

साथ ही विस्थापित लोगों की बड़ी संख्या भी ऐसे देशों में स्थित है जहाँ खाद्य असुरक्षा और कुपोषण के हालात गम्भीर हैं.

कोविड-19 से वो प्रवासी कामकाजी लोग ज़्यादा प्रभावित हुए हैं जो ख़ासतौर से अस्थायी या अनौपचारिक सैक्टर में काम करते हैं.

एक टिकाऊ व स्थायी आमदनी के अभाव में इनमें से बहुत से लोगों को ना केवल अपने घरों को वापिस लौटना पड़ेगा, बल्कि इस कारण से उनके द्वारा विदेशों से भेजी जाने वाली रक़म में भी गिरावट होगी.

खाद्य असुरक्षा और विस्थापन एक दूसरे से नज़दीकी से जुड़े हुए हैं
Source: WFP-IOM Report
खाद्य असुरक्षा और विस्थापन एक दूसरे से नज़दीकी से जुड़े हुए हैं

ध्यान रहे कि विदेशों में रहने वाले लोगों द्वारा अपने मूल स्थानों में रहने वाले परिवारों को भेजी जाने वाली रक़म से लगभग 80 करोड़ लोगों की जीविका चलती है. ये संख्या दुनिया भर में हर 9 में से एक व्यक्ति के बराबर है.

इसके साथ ही, मौसमी खेतीबाड़ी कार्य में आई बाधाओं के कारण कृषि उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण और वितरण पर भी असर पड़ सकता है. जिससे स्थानीय व क्षेत्रीय स्तरों पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और क्रय क्षमता पर भी प्रभाव पड़ेगा.

संयुक्त राष्ट्र की दोनों एजेंसियों ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि बेहद नाज़ुक हालात में रहने वाले लोगों पर तत्काल पड़ने वाले प्रभाव को रोकने के लिये हर सम्भव कार्रवाई की जाए. साथ ही पुनर्बहाली के रास्ते पर दीर्घकालीन निवेश भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है.