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लीबिया को तबाही से बचाने के लिए एकजुट प्रयासों की अपील

त्रिपोली में हिंसा के दौरान ध्वस्त हुई इमारतें.
OCHA/Giles Clarke
त्रिपोली में हिंसा के दौरान ध्वस्त हुई इमारतें.

लीबिया को तबाही से बचाने के लिए एकजुट प्रयासों की अपील

शान्ति और सुरक्षा

लीबिया में संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी ने शांति प्रयासों के बावजूद देश में तेज़ होते हिंसक संघर्ष पर गहरी नाराज़गी और निराशा जताई है और सुरक्षा परिषद से हिंसा रोकने के लिए एकजुट होने की पुकार लगाई है. कुछ ही दिन पहले जर्मनी की राजधानी बर्लिन में लीबिया पर एक उच्चस्तरीय शिखर वार्ता का आयोजन किया गया था जिसमें हिंसा पर विराम लगाने और देश को शांति की दिशा में ले जाने के लिए आवश्यक क़दमों पर चर्चा हुई थी.

लीबिया में यूएन के विशेष प्रतिनिधि और मिशन के प्रमुख ग़स्सान सलामे ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद को बताया, “लीबिया के भीतर और देश के बाहर ऐसे विवेकहीन तत्व मौजूद हैं जो शांति को बढ़ावा देने के प्रयासों पर कुटिलता पूर्वक गर्दन हिलाते हैं और नज़रों से भी कुटिल इशारे करते हैं जबकि यूएन के लिए समर्थन की पुष्टि भी बड़ी संजीदगी से करते हैं.”

“इसी दौरान वे सैन्य समाधान को भी मज़बूती देना जारी रखते हैं जिससे व्यापक हिंसा भड़कने का भयावह अंदेशा बढ़ता है और लीबियाई नागरिकों व शरणार्थियों के लिए विकट हालात का, और सुरक्षा स्थिति बदहाल होने व वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में व्यवधान आने का भी.”

वर्ष 2011 में राष्ट्रपति मुआम्मर ग़द्दाफ़ी के पतन के बाद से ही लीबिया अस्थिरता और आर्थिक बदहाली का शिकार रहा है जबकि उसके पास प्रचुर मात्रा में तेल के भंडार मौजूद हैं.  

लीबिया के पूर्वी हिस्से में कथित लीबियन नेशनल आर्मी के कमांडर ख़लीफ़ा हफ़्तार के वफ़ादार सैनिकों और त्रिपोली में अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई में हज़ारों लोगों की मौत हो चुकी है.

महज़ नाम के लिए संघर्षविराम

19 जनवरी को बर्लिन में एक बैठक आयोजित की गई थी जिसकी पृष्ठभूमि में एक नाज़ुक संघर्षविराम था जिससे थोड़े समय के लिए हिंसा में कमी देखने को मिली.

लीबिया में यूएन के विशेष प्रतिनिध ग़स्सान सलामे.
Eskinder Debebe
लीबिया में यूएन के विशेष प्रतिनिध ग़स्सान सलामे.

इस बैठक में शामिल देशों और क्षेत्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने लीबिया के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने और हथियारों पर यूएन की पाबंदी का पालन करने पर सहमति जताई थी लेकिन उसके बाद भी गोलाबारी में तेज़ी आई है जिससे आम लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ा है.

अंधाधुंध गोलाबारी की तस्वीर को बयान करते हुए यूएन मिशन प्रमुख ने बताया कि इसमें बच्चों सहित अनेक लोग हताहत हुए हैं, और हाल के दिनों के घटनाक्रम के बाद यही कहा जा सकता है कि संघर्षविराम की महज़ खानापूर्ति की गई है.

फैलती हिंसा

बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र की पाबंदियों की अवहेलना की जा रही है और लीबिया में हिंसक संघर्ष में दोनों पक्षों को आधुनिक हथियार, लड़ाके और सलाहकार मुहैया कराए जा रहे हैं.

विशेष प्रतिनिधि के मुताबिक बर्लिन बैठक में शामिल देशों द्वारा लिए गए संकल्प तोड़े जा रहे हैं.

दोनों पक्षों को जिस तरह से सैन्य मदद मिल रही है उसके मद्देनज़र हिंसक संघर्ष का दायरा और ज़्यादा व्यापक होने की आशंका जताई गई है.

इस बीच लीबियन नेशनल आर्मी ने त्रिपोली में अग्रिम मोर्चों पर सैनिक, हथियार और अन्य साज़ोसामान तैनात कर दिए हैं जिनमें विदेशी लड़ाके भी शामिल हैं.

उधर अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार का समर्थन कर रहे हज़ारों विदेशी लड़ाके त्रिपोली पहुंचे हैं जिन्हें लीबियाई सुरक्षा बलों के साथ तैनात किया गया है.

ग़स्सान सलामे ने सभी पक्षों और उनके विदेशी मददग़ारों से आग्रह किया है कि लापरवाही भरी कार्रवाई से बचा जाना चाहिए और युद्धविराम के लिए नए सिरे से संकल्प लिया जाए.

अस्थिर अर्थव्यवस्था

लीबिया में हिंसक संघर्ष के कारण अर्थव्यवस्था बदहाली के कगार पर है और संस्थाएँ व बुनियादी ढाँचा दरक रहे हैं.

“लीबिया का राष्ट्रीय क़र्ज़ बढ़कर 100 अरब दीनार से ज़्यादा हो गया है और ये लगातार बढ़ रहा है.”

मानवीय हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं, लोगों को जबरन ग़ायब किए जाने और हथियारबंद गुटों द्वारा लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लेने की रिपोर्टें मिली हैं.

मिशन प्रमुख ने बताया कि देश में जिस तरह के हालात हैं उनसे लीबिया की संप्रभुता व नागरिकों के बुनियादी अधिकारों का हनन होता है और ये अंतरराष्ट्रीय आम सहमति व नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का खुला उल्लंघन है.

उन्होंने सुरक्षा परिषद के सदस्यों से इस मुद्दे पर एकजुट होने और लीबिया को तबाही के गर्त में जाने से रोकने की एक अपील जारी की है. “बहुत कुछ दाँव पर लगा है, हमारी सामूहिक विश्वसनीयता भी.”

इस बीच त्रिपोली में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने एक केंद्र पर अपना सहायता अभियान रोक दिया है क्योंकि उस केंद्र के हिंसा में निशाना बनने की आशंका जताई गई है.

इस केंद्र में शरणार्थियों व प्रवासियों को रखा गया है और आस-पास के इलाक़ों में पुलिस व सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण की रिपोर्टें मिली हैं.