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लीबिया में हथियार प्रतिबन्ध बिल्कुल बेअसर - यूएन विशेषज्ञ पैनल

पश्चिमी लीबिया के ज़ुवाराह तट पर एक जहाज़ और क्षतिग्रस्त बख़्तरबन्द वाहन.
UNICEF/Alessio Romenzi
पश्चिमी लीबिया के ज़ुवाराह तट पर एक जहाज़ और क्षतिग्रस्त बख़्तरबन्द वाहन.

लीबिया में हथियार प्रतिबन्ध बिल्कुल बेअसर - यूएन विशेषज्ञ पैनल

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ पैनल ने कहा है कि वर्ष 2011 में, लीबिया पर, सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए हथियार प्रतिबन्ध पूर्ण रूप से बेअसर साबित हुए हैं. विशेषज्ञ समूह के अनुसार प्रवासियों व शरणार्थियों सहित आम लोगों को व्यापक स्तर पर मानवाधिकार हनन व दुर्व्यवहारों का सामना करना पड़ रहा है. 

लीबिया पर विशेषज्ञों के समूह ने अपनी अन्तिम रिपोर्ट में बताया कि ऐसे अनेक कृत्यों की शिनाख़्त की गई, जिनसे देश की शान्ति, स्थिरता व सुरक्षा के लिये ख़तरा उत्पन्न हुआ और सरकारी संस्थाओं व प्रतिष्ठानों पर हमले बढ़े.

“चिन्हित आतंकी गुट लीबिया में सक्रिय रहे, हालाँकि उनकी गतिविधियों में कमी आई.”

“उनके हिंसक कृत्यों से देश की सुरक्षा व स्थिरता पर व्यवधानकारी असर जारी है.”

वर्ष 2011 में लगाए गए हथियार प्रतिबन्ध के तहत, लीबियाई नागरिकों द्वारा सभी हथियारों व सम्बन्धित सामग्रियों के निर्यात पर पाबन्दी थी. 

साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को लीबिया में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से हथियारों की आपूर्ति की रोकथाम करने का दायित्व सौंपा गया था, लेकिन पैनल ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि यह बिलकुल बेअसर साबित हुआ है. 

“जो देश, हिंसक संघर्ष में शामिल पक्षों को सीथे तौर पर समर्थन दे रहे थे, उनके लिये ये उल्लंघन, विस्तृत, खुले और पाबन्दी उपायों के लिये पूर्ण बेपरवाही दिखाते हैं.”

“पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर उनका नियन्त्रण होने के कारण, हथियारों की आपूर्ति के बारे में जानकारी हासिल करना और उसमें व्यवधान पैदा करना जटिल हो जाता है. ये दो कारण हथियारों पर पाबन्दी को लागू करना और ज़्यादा मुश्किल बनाते हैं.” 

इसके अतिरिक्त, चिन्हित व्यक्तियों की सम्पत्तियों को ज़ब्त करने और उन पर यात्रा प्रतिबन्ध उपाय भी बेअसर रहे हैं.   

विस्तृत ब्यौरा

विशेषज्ञों के पैनल ने 548 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में, सिलसिलेवार ढंग से लीबिया में राष्ट्रीय समझौते वाली सरकार के सुरक्षा बलों, जनरल ख़लीफ़ा हफ़्तार के वफ़ादार सुरक्षा बलों और अज्ञात आपूर्तिकर्ताओं व उपायोक्ताओं द्वारा हथियार प्रतिबन्ध के उल्लंघन के मामले पेश किये गए हैं.

रिपोर्ट में पेश की गई जानकारी के मुताबिक़, उल्लंघन के मामलों की तारीख़, उसका प्रकार, उपकरण व गतिविधियाँ स्पष्टता से दर्शाते हुए ये भी बताया गया है कि कौन सा सदस्य देश या पक्ष इसके लिये ज़िम्मेदार है. 

पैनल ने बताया कि कुछ सदस्य देशों और क्षेत्रीय संगठनों ने अपने क्षेत्र में स्थित और पंजीकृत तत्वों द्वारा हथियार प्रतिबन्ध का पालन ना किये जाने पर विविध प्रकार की कार्रवाई भी की.

विशेषज्ञ समूह ने बताया कि लीबिया के पूर्वी हिस्से में स्थानीय प्रशासन ने ग़ैरक़ानूनी ढंग से कच्चे तेल का  निर्यात करने और विमान चालन के लिये ईंधन का आयात करने के प्रयास जारी रखे हैं. हालाँकि ये प्रयास पहले से कमज़ोर हुए हैं. 

पैनल के अनुसार, कोविड-19 महामारी के, वैश्विक मांग पर हुए असर के कारण, परिशोधित पैट्रोलियम उत्पादों का समुद्री मार्ग से ग़ैरक़ानूनी निर्यात अस्थाई रूप से रुका है. लेकिन भूमि मार्ग से ईंधन की तस्करी जारी है, मगर इसका स्तर कम है.   

पैनल के मुताबिक़, लीबिया के पश्चिमी इलाक़े ज़ुवाराह और अबू कमश तटीय शहरों में तस्करी का नैटवर्क अब भी मज़बूत बना हुआ है और ग़ैरक़ानूनी निर्यात के लिये उनकी तैयारियों में कमी नहीं आई है.

विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि बंकर ईंधन के लिये वैश्विक मांग में सुधार आते ही, उनकी ग़ैरक़ानूनी गतिविधियाँ फिर से शुरू होने की सम्भावना है. 

सिफ़ारिशें

विशेषज्ञ पैनल ने सुरक्षा परिषद को पेश रिपोर्ट में अनेक अनुशंसाएँ शामिल की हैं.

इनमें परिषद से आग्रह किया गया है कि समिति को विमान चिन्हित करने, झण्डे का पंजीकरण निरस्त करने, लीबिया में उड़ानों पर पाबन्दी लगाने और विमानों के उतरने पर प्रतिबन्ध लगाने के लिये, शासनादेश (Mandate) जारी किये जाने पर विचार करने की बात कही गई है. 

साथ ही सुरक्षा परिषद से आग्रह किया गया है कि सदस्य देशों को लीबिया से आने वाले या जाने वाले जहाज़ों पर, ग़ैरक़ानूनी ढंग से कच्चे तेल या परिशोधित उत्पादों के निर्यात या उसके प्रयास कर रहे जहाज़ के निरीक्षण का अधिकार मिलना चाहिये.