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अरब जगत में चुनौतियों पर पार पाने के लिये, यूएन और अरब लीग में सहयोग अहम

यमन की अल-धलेए गर्वनरेट में एक आन्तरिक विस्थापन का शिकार परिवार.
© UNOCHA/Mahmoud Fadel-YPN
यमन की अल-धलेए गर्वनरेट में एक आन्तरिक विस्थापन का शिकार परिवार.

अरब जगत में चुनौतियों पर पार पाने के लिये, यूएन और अरब लीग में सहयोग अहम

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद में एक चर्चा को सम्बोधित करते हुए सचेत किया है कि दुनिया की नज़रें फ़िलहाल यूक्रेन में बर्बर युद्ध पर केंद्रित हैं, मगर मध्य पूर्व और उत्तर अफ़्रीका में लाखों-करोड़ों ज़रूरतमन्दों की व्यथा को नहीं भूला जाना होगा. यूएन प्रमुख ने अरब क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग के बीच सहयोग पर बल दिया है.

यूएन प्रमुख ने संयुक्त राष्ट्र और 22 सदस्य देशों वाली अरब लीग के बीच सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित एक बैठक के दौरान अपने सम्बोधन में यह चेतावनी जारी की है. 

बताया गया है कि अरब लीग के अधिकारियों और संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूतों के बीच नियमित रूप से बैठकें होती रही हैं और वर्ष 2019 में मिस्र की राजधानी काहिरा में यूएन सम्पर्क कार्यालय की भी स्थापना की गई थी. 

पारस्परिक सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित इन प्रयासों के ज़रिये हिंसक संघर्ष की रोकथाम, निरस्त्रीकरण और महिलाओं व युवाओं के मुद्दों को प्राथमिकता दी जाती है.

इस बैठक में अरब लीग के प्रतिनिधियों ने एक अध्यक्षीय वक्तव्य पारित किया है, जिसमें इस अति-महत्वपूर्ण साझीदारी की सराहना की गई है. 

महासचिव गुटेरेश ने लेबनान से सीरिया तक, अरब क्षेत्र में अनेक हिंसक संघर्षों व मानवीय संकटों का उल्लेख करते हुए, अरब लीग की साझेदारी में संयुक्त राष्ट्र के कामकाज का वर्णन किया.  

“हम अरब जगत और उससे परे सिलसिलेवार चुनौतियों के बहुपक्षीय जवाब ढूँढने के हमारे प्रयासों में एकजुट हैं.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने लीबिया में राजनैतिक उठापठक, इसराइल और फ़लस्तीन के बीच शान्ति प्रक्रिया में अवरोध और यमन में लाखों लोगों के लिये उत्पन्न मानवीय संकट पर चिन्ता जताई.

साथ ही, उन्होंने सचेत किया कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से उपजे प्रभावों की आँच महसूस की जा रही है, विशेष रूप से अरब देशों में, जोकि बड़ी मात्रा में रूसी महासंघ या यूक्रेन से गेहूँ का आयात करते हैं.  

महासचिव ने बताया कि सप्लाई चेन में गम्भीर व्यवधान पैदा हुआ है, और भोजन, ईंधन व उर्वरक की क़ीमतों में उछाल आया है. 

इस युद्ध से उन संकट प्रभावित देशों व क्षेत्रों पर असर भी असर पड़ रहा है, जिन्हें संसाधनों व सहायता की आवश्यकता है. 

यमन में पीड़ा, लीबिया में जोखिम

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि अनेक देशों में बद से बदतर होती परिस्थितियों के कारण, निर्बल व निर्धन समुदाय सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं और दुनिया भर में राजनैतिक अस्थिरता व अशान्ति की ज़मीन तैयार हो रही है.

उन्होंने निराशा जताई कि पिछले सप्ताह, मानवीय सहायता संकल्प सम्मेलन के दौरान, जितनी रक़म के लिये अपील जारी की गई थी, उसके एक-तिहाई से भी कम धनराशि का ही प्रबन्ध हो पाया है.

उन्होंने यमन में हिंसक संघर्ष में फँसे आम लोगों की व्यथा पर चिन्ता जताते हुए कहा कि दो करोड़ लोगों को जीवनरक्षक मानवीय राहत व संरक्षण के लिये अपील जारी की है. 

लीबिया में हालात पर उन्होंने अक्टूबर 2020 में युद्धविराम समझौते के बाद, एकता व स्थिरता को बनाये रखने के लिये अरब लीग द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की.

यूएन प्रमुख ने सदस्य देशों से आग्रह किया कि शान्तिकाल संविधान की दिशा में एक व्यापक राजनैतिक प्रक्रिया के लिये समझौते को प्राथमिकता दिया जाना जारी रखना होगा.

लेबनान में बड़ी संख्या में सीरियाई शरणार्थी रहते हैं.
© UNHCR/Diego Ibarra Sánchez
लेबनान में बड़ी संख्या में सीरियाई शरणार्थी रहते हैं.

संकटग्रस्त सीरिया

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अपने सम्बोधन में सूडान में जारी राजनैतिक संक्रमणकालीन प्रक्रिया, लेबनान में पनपी आर्थिक चुनौतियों और सीरिया में पिछले 11 वर्षों से जारी हिंसक संघर्ष का उल्लेख किया.

महासचिव ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग के देश सीरियाई जनता के लिये समर्थन में एकजुट हैं, जिन्हें महसूस होता है कि दुनिया ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है. एक दशक से जारी युद्ध के कारण देश बर्बादी में खड़ा है.

यूएन प्रमुख के मुताबिक़, इस गतिरोध का तोड़ने का एकमात्र तरीक़ा, एक विश्वसनीय राजनैतिक प्रक्रिया है, जिससे सतत शान्ति की दिशा में बढ़ा जा सके और सभी सीरियाई नागरिकों की आवाज़ को सुना जाए.

यूएन प्रमुख ने इसराइल और फ़लस्तीन के बीच शान्ति वार्ता के लिये मार्ग ढूँढने और लम्बे समय से चले आ रहे इसराइली क़ब्ज़े का अन्त करने की भी प्रतिबद्धता दोहराई.