कोलंबिया: 2019 में बड़ी संख्या में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मौतें
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने कोलंबिया में वर्ष 2019 में बड़ी संख्या में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मौतों पर गहरी चिंता जताई है. कार्यालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को एक वक्तव्य जारी करके ये जानकारी दी है. "सबसे ज़्यादा ऐसे समूहों के लोगों को निशाना बनाया गया जो अपने समुदायों के लोगों के लिए मानवाधिकारों की हिमायत कर रहे थे और उनमें आदिवासी और अफ्रो-कोलंबियन जैसे जातीय समुदाय प्रमुख हैं."
मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता मार्टा हुरतैदो ने जिनीवा में मंगलवार को बताया कि महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मौतों की संख्या "वर्ष 2018 की तुलना में 2019 में लगभग 50 प्रतिशत बढ़ी है".
“The single most targeted group was #humanrights defenders advocating on behalf of community-based and indigenous peoples and Afro-Colombians. The killings of female human rights defenders increased by almost 50% in 2019 compared to 2018,” --@UNHumanRights on #Colombia pic.twitter.com/fwC0YhBDuW
UNGeneva
मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार कोलंबिया में वर्ष 2019 के दौरान 107 मानवाधिकार कार्यकर्ता मारे गए. मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के कर्मचारी अब भी वहाँ 13 अन्य ऐसे व्यक्तियों की मौत के मामलों की पुष्टि करने की प्रक्रिया में हैं जिनकी अगर पुष्टि हो गई तो ये संख्या 120 मौतों तक पहुँच जाएगी.
वर्ष 2018 में भी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़ गए थे और उस वर्ष भी संयुक्त राष्ट्र ने 115 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मौतें होने की पुष्टि की थी.
हिंसा का कुचक्र तुरंत रुके
प्रवक्ता ने क्रोधित अंदाज़ में कहा, "मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाए जाने की इस प्रवृत्ति में कोई कमी नज़र नहीं आ रही है, इस दहला देने वाला चलन से वर्ष 2020 शुरू होने के शुरूआती 13 दिनों में ही कम से कम 10 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की हत्या की ख़बरें आई हैं."
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने कोलंबिया सरकार से मानवाधिकार की रक्षा के लिए काम करने वाले लोगों पर इस तरह के हमले रोकने के लिए ठोस कार्रवाई करने की अपनी पुकार दोहराई है.
साथ ही हर मामले की व्यापक जाँच-पड़ताल करने और उन हत्याओं के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर क़ानूनी कार्रवाई करने का भी आहवान किया है.
इनमें उन लोगों पर भी क़ानूनी कार्रवाई हो जो इस तरह के जानलेवा हमले करने में मदद करते हैं या उकसाते हैं.
प्रवक्ता मार्टा हुरतैदो ने कहा, "हिंसा का ये जानलेवा कुचक्र और क़ानून का डर नहीं होने का माहौल तुरंत बंद होना चाहिए. इस हिंसा का शिकार होने वाले लोगों और उनके परिवारों को न्याय पाने, सच्चाई जानने और क्षति-पूर्ति का पूरा अधिकार है."
नाज़ुक स्थिति वाले गाँव
वर्ष 2019 के दौरान मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सबसे ज़्यादा मौतें ग्रामीण इलाक़ों में हुईं. उनमें से लगभग 98 प्रतिशत ऐसे नगरपालिका क्षेत्रों में हुई जहाँ काले धन का बोलबाला है, और जहाँ आपराधिक और सशस्त्र गुटों का बहुत ज़्यादा दबदबा है.
लगभग 86 फ़ीसदी मौतें ऐसे गाँवों में हुईं जहाँ ग़रीबी बहुत ज़्यादा है जिसकी दर राष्ट्रीय स्तर के औसत से कहीं ज़्यादा है.
वैसे तो मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मौतों की आधी से ज़्यादा संख्या चार प्रांतों - एंटियोकुइया, अराउका, काउका और कैक्वेटा में हुईं. अन्य 21 प्रांतों में मौतें दर्ज की गईं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मौतों की संख्या से स्थिति की गंभीरता तो नज़र आती है, साथ ही एक ऐसा ढाँचा भी नज़र आता है जिसमें मानवाधिकारों की हिफ़ाज़त के लिए काम करने वाले लोगों पर हिंसा होते हुए सहन की जा सकती है.
प्रवक्ता ने कहा, "मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं पर किसी भी तरह के हमले स्वीकार्य नहीं हैं और इस तरह के हमले दरअसल लोकतंत्र पर हमले समझे जाते हैं. इस तरह के हमलों से लोगों की भागीदारी व अपने मानवाधिकार हासिल करने की प्रक्रिया बाधित होती है."