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मानवाधिकार दिवस: युवाओं की सक्रियता व ऊर्जा पर ध्यान

न्यूयॉर्क के लॉंग आइलैंड की कुछ हाई स्कूल लड़कियाँ जिन्होंने अन्य युवा जलवायु कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन में शिरकत की. (20 सितंबर 2019)
© UNICEF David Berkwitz
न्यूयॉर्क के लॉंग आइलैंड की कुछ हाई स्कूल लड़कियाँ जिन्होंने अन्य युवा जलवायु कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन में शिरकत की. (20 सितंबर 2019)

मानवाधिकार दिवस: युवाओं की सक्रियता व ऊर्जा पर ध्यान

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2019 के मानवाधिकार दिवस के मौक़े पर ख़ासतौर से युवाओं की सक्रियता व ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी लोगों के लिए एक बेहतर भविष्य के निर्माण की दिशा में युवाओं की भूमिका को रेखांकित किया है.  मानवाधिकार दिवस हर वर्ष 10 दिसंबर को मनाया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को मनाए जा रहे मानवाधिकार दिवस पर जारी अपने संदेश में कहा, युवजन ही हैं जो "जीवन में मानवाधिकारों के लिए जगह बना रहे हैं". 

उन्होंने कहा, "वैश्विक स्तर पर, युवजन एक स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार के लिए, महिलाओं और लड़कियों के समान अधिकारों के लिए, निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी के लिए, और अपने विचार मुक्त रूप से अभियक्त करने के लिए: मार्च कर रहे हैं, संगठित हो रहे हैं और अपनी आवाज़ बुलंद तरीक़े से रख रहे हैं."

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"युवजन एक शांतिपूर्ण भविष्य, न्याय और समान अवसरों के अधिकार के लिए आगे बढ़ रहे हैं."

ध्यान दिला दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिरकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र को स्वीकार किया था और उसी की याद में 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है. इस घोषणा-पत्र में दुनिया के तमाम लोगों के लिए समान और अविच्छेद्य यानी अडिग अधिकार सुनिश्चित करने की बात कही गई है.

हर साल मनाया जाने वाला ये मानवाधिकार दिवस ये याद दिलाने वाला वार्षिक अवसर होता है कि दुनिया के हर एक व्यक्ति को सिविल, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकार हासिल हैं, भले ही उसकी नस्लीय, जातीय व धार्मिक पृष्ठभूमि, सामाजिक मूल, लिंग, यौन प्राथमिकता, विकलांगता और किसी भी तरह की अन्य स्थिति चाहे कुछ भी हो. यानी इन परिस्थितियों की वजह से किसी भी व्यक्ति के इन अधिकारों पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.

जलवायु कार्रवाई में युवा नेतृत्व की सराहना

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने भी मानवाधिकार दिवस के मौक़े पर कहा है कि इस वर्ष का ये दिवस ऐसे मौक़े पर मनाया जा रहा है जब जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर यूएन कॉप25 सम्मेलन के लिए देशों के प्रतिनिधि मैड्रिड में एकत्र हैं. 

मिशेल बाशेलेट ने कहा कि ये दिवस असाधारण सक्रियता (एक्टिविज़्म) का दौर भी देख रहा है, ख़ासतौर से युवजनों की तरफ़ से. उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के बाद के दौर में जलवायु आपदा को वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों के लिए सबसे गंभीर ख़तरा क़रार दिया है. जलवायु आपदा ने बहुत से अधिकारों को ख़तरे में डाल दिया है जिनमें जीवन का अधिकार, स्वास्थ्य, भोजन, जल, आवास, विकास और आत्म निर्णय के अधिकार शामिल हैं.

मानवाधिकार दिवस पर जारी अपने संदेश में मिशेल बाशेलेट ने कहा, "हम उन लाखों-करोड़ों बच्चों, किशोरों और युवाओं को धन्यवाद देने के क़र्ज़दार हैं जो पृथ्वी के सामने दरपेश संकट के बारे में एक दमदार रुख़ अपना रहे हैं और अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं."

"बिल्कुल सही तौर पर, ये युवजन ध्यान दिला रहे हैं कि दरअसल उनका भविष्य दाँव पर है, साथ ही उनका भी जो बच्चे अभी पैदा भी नहीं हुए हैं. मौजूदा दौर में सरकारों और कारोबारों पर क़ाबिज़ पुरानी पीढ़ी द्वारा किसी तरह की कार्रवाई करने या कार्रवाई नहीं करने के नतीजे भुगतने जिन्हें सबसे ज़्यादा भुगतने होंगे, ये वही लोग हैं... इस पुरानी पीढ़ी में निर्णय लेने वाले वो लोग भी शामिल हैं जिन पर निजी रूप में देशों, क्षेत्रों और सम्पूर्ण रूप से पृथ्वी का भविष्य निर्भर है."

शिक्षा से मानवाधिकारों का समर्थन

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने ज़ोर देकर कहा कि युवजन की आवाज़ अवश्य सुनी जानी चाहिए. ऐसी ही बात संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद बाँदे ने भी कही है. 

उन्होंने कहा कि युवजन की सक्रिय भागीदारी और उन्हें साथ लेकर चलना ऐसे समाजों के निर्माण के लिए बेहद ज़रूरी है जो समावेशी व स्थिर हों.

मानवाधिकार दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा, "हमें युवजन के आदर्शों का सदुपयोग करते हुए उन्हें सशक्त बनाना होगा ताकि वो  पूरी दुनिया में सभी के लिए समान अधिकारों और न्यायसंगत बर्ताव के समर्थन में खड़े हो सकें."

"हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि युवजन को निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाए और उनकी आवाज़ को वज़न दिया जाए."

तिजानी मोहम्मद बाँदे ने भरोसा जताते हुए कहा कि युवजन को समावेशी व गुणवत्ता वाली शिक्षा मुहैया कराने से उन्हें अपने अधिकार जानने में मदद मिलेगी और अंततः ज़्यादा सशक्त बनेंगे्.

विश्व मानवाधिकार दिवस के मौक़े पर संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में चला एक अन्य अभियान भी पूरा हुआ है. लिंग आधारित हिंसा के ख़िलाफ़ जागरूकता बढ़ाने के लिए 16 दिन तक चलाया गया सक्रियता अभियान भी समाप्त हुआ है. इस संदर्भ में महासभा अध्यक्ष ने विश्व भर में सामूहिक मानवाधिकारों की हिमायत के लिए इतना ज़ोरदार समर्पण दिखाने पर महिला कार्यकर्ताओं को बधाई भी दी.