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दुनिया भर में बिगड़ रही है मानवाधिकारों की स्थिति: मानवाधिकार उच्चायुक्त

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र को जिनीवा में संबोधित किया. (सितंबर 2019)
UN Photo/Jean-Marc Ferré
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र को जिनीवा में संबोधित किया. (सितंबर 2019)

दुनिया भर में बिगड़ रही है मानवाधिकारों की स्थिति: मानवाधिकार उच्चायुक्त

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया है कि दुनिया भर में बहुपक्षवाद के लिए चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं जिन्हें नकारा नहीं जा सकता, अलबत्ता मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र में हुई ऐतिहासिक सहमतियों को मज़बूत करने के लिए सदस्य देशों के साथ मिल-जुलकर काम किया जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार पदाधिकारी मिशेल बाशेलेट ने मंगलवार को महासभा की तीसरी कमेटी के सामने वार्षिक रिपोर्ट पेश करते हुए ये बात कही. इस कमेटी पर दुनिया भर में सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक मुद्दों से निपटने की ज़िम्मेदारी है.

न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में चल रही तीसरी कमेटी की बैठक में विश्व भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के बारे में मंगलवार को भी चर्चा जारी रही. मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने वार्षिक रिपोर्ट पेश करते हुए दुनिया भर में अनेक क्षेत्रों में बढ़ती असमानता की समस्या पर भी गंभीर चिंता जताई.

मिशेल बाशेलेट ने कहा, "हम विदेशी या अनजान लोगों से डर का माहौल, नफ़रत भरी भाषा, महिलाओं की समानता की स्थिति और अल्पसंख्यकों के अधिकारों में गिरावट होते देख रहे हैं."

उनकी रिपोर्ट में कहा गया है, "इसके बावजूद, मैं विश्वस्त हूँ कि हम मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र में हुई सहमतियों को मज़बूत करने के लिए सदस्य देशों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं."

उन्होंने ये भी कहा कि अर्थव्यवस्थाओं, सरकार, संस्कृति में अंतर होने के बावजूद लोगों के आर्थिक, सामाजिक, सिविल व राजनैतिक अधिकारों का सम्मान करना सभी देशों की ज़िम्मेदारी है.

वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने दुनिया भर के अनेक क्षेत्रों में 1500 गतिविधियों को लागू करने में मदद की है जिसमें देशों की सरकारों, मानवाधिकार संगठनों, सिविल सोसायटी और कारोबारी संस्थानों का भी सहयोग मिला. 

मिशेल बाशेलेट ने प्रतिनिधियों को बताया कि मानवाधिकार कार्यालय ने लोगों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए जो प्रयास किए हैं वो 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा के लक्ष्यों को हासिल में सही रफ़्तार क़ायम रखने के वास्ते बहुत ज़रूरी कड़ियाँ हैं. 

मानवाधिकार कार्यालय के इन प्रयासों में मेडागास्कर में वकीलों के अधिकारों की हिफ़ाज़त कराना, अर्जेंटीना, चिली और उरुग्वे में आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों के मानकों को बढ़ावा देना और; मानवाधिकार मुद्दों पर सही निर्णय जारी करने के लिए घरेलू न्यायालयों की क्षमता विकसित करना भी शामिल था.

उनका कहना था कि लिंग समानता मानवाधिकार कार्यालय के तमाम कामकाज के केंद्र में है.

इसी मिशन के तहत अर्जेंटीना, पनामा, तंज़ानिया और उरुग्वे में न्यायिक व्यवस्थाओं में लिंग पर आधारित पूर्वाग्रहों और रूढ़िवादी परंपराओं को दूर करने में सक्रिय सहयोग दिया.

साथ ही टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लख्य संख्या 16 के तहत शांतिपूर्ण व समावेशी समाजों का निर्माण करने की दिशा में सक्रिय काम किया है. 

मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा कि मानवाधिकार परिषद विश्व भर में मानवाधिकारों की स्थिति की जो सामयिक समीक्षा करती है, उसकी सिफ़ारिशों के लिए अब सदस्य देशों में ज़्यादा स्वीकार्यता देखी जा रही है.

धन की कमी से मुश्किलें

इस समय दुनिया भर में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार करने और मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों से निपटने में मानवाधिकार परिषद की ये सामयिक समीक्षा ही एक सार्वभौमिक व्यवस्था के रूप में उपल्बध है.

मिशेल बाशेलेट ने जलवायु आपदा से उत्पन्न ख़तरों का ज़िक्र करते हुए कहा कि मानवाधिकार कार्यालय तमाम देशों को जलवायु संकट के प्रभावों के सामना करने में मदद देने के लिए संकल्पबद्ध है, वो भी इस तरह की नीति निर्माण और रणनीतियाँ बनाने में मानवाधिकारों का समुचित ख़याल रखा जाए.

पृथ्वी को एक स्वस्थ ग्रह बनाने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए मानवाधिकार कार्यालय ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के साथ अगस्त में एक समझौता भी किया है.

मिशेल बाशेलेट ने बताया कि 2020 में मानवाधिकार संधि संस्था की समीक्षा की जाएगी जोकि छह वर्षीय सुधार योजना के तहत प्रावधान रखा गया है.

इस समीक्षा का उद्देश्य मानवाधिकार संधि संस्था की प्रणाली में सुधार करते हुए उसे मज़बूती भी प्रदान करना है.  उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों को मानवाधिकार संरक्षण के प्रयासों में रीढ़ की हड्डी क़रार दिया.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने अफ़सोस जताते हुए कहा कि मानवाधिकारों से संबंधित संधियों का बढ़ता कामकाज जारी रखने के लिए महासभा द्वारा अपेक्षित धन नहीं मुहैया कराया गया है. 

पर्याप्त व समुचित साधनों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र की कमेटियाँ मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में सदस्य देशों के साथ नियमित संवाद क़ायम नहीं रख पाएंगे.

कामकाज के सही समय पर पूरा नहीं होने से मानवाधिकारों से संबंधित संधियों, मानवाधिकार कार्यालय और सदस्य देशों की साख पर भी असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि इससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण ये है कि इस स्थिति से मानवाधिकार उल्लंघन का शिकार होने वाले लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित नहीं होता.

उन्होंने कहा, "मानवाधिकार कार्यालय कुछ अंतरिम समाधानों की तलाश कर रहा है, लेकिन इसके लिए कुछ अन्य गतिविधियाँ ठंडे बस्ते में डालनी पड़ती हैं जिसकी वजह से सामयिक व महत्वपूर्ण मुद्दों को नहीं सुलझाया जा सकता.