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कॉप-25: जलवायु कार्रवाई में व्यवसायों को सहारा देने की पुकार

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश स्पेन की राजधानी मैड्रिड में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के उच्चस्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए. (11 दिसंबर 2019)
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यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश स्पेन की राजधानी मैड्रिड में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के उच्चस्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए. (11 दिसंबर 2019)

कॉप-25: जलवायु कार्रवाई में व्यवसायों को सहारा देने की पुकार

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने तमाम व्यवसायों और सिविल सोसायटी का आहवान किया है कि वो सरकारों पर ऐसी बेहतर नीतियाँ बनाने के लिए दबाव डालें जिनके ज़रिए जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने में निजी क्षेत्र के प्रयासों को भी सहारा दिया जा सके.

यूएन महासचिव ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड में बुधवार को जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप-25 के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए कहा, "मैं ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में कारोबारी नेताओं से मुलाक़ात कर रहा हूँ जो ऐसी शिकायतें करते हैं कि जैसा वो करना चाहते हैं, सरकारें उन्हें  करने का मौक़ा नहीं देतीं , ऐसा इसलिए क्योंकि अब भी नौकरशाही, प्रशासनिक, टैक्स नियम और अन्य ढाँचे इस तरह से बनाए जाते और काम करते हैं कि पूरा नियंत्रण सरकारों के हाथों में रहता है."

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व्यवसायों की जद्दोजहद

'केयरिंग फॉर क्लाइमेट' नामक इस उच्च स्तरीय सत्र में जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने के लिए समाधान तलाश करने और ठोस नीतियाँ बनाने और उन्हें लागू करने के लिए कारकोबारी नेताओं को प्रोत्साहित किया जाता है.

ये 2007 में शुरू किया गया था और यह एक यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट, यूएन फ्रेमवर्क ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफ़सीसीसी) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की देखरेख में संचालित होता है.

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसे में जबकि जलवायु संकट के कारण पृथ्वी ग्रह पर जीवन लगातार ख़तरे में पड़ता जा रहा है, सरकारों, क्षेत्रों, नगरों, व्यवसायों और सिविल सोसायटी के और ज़्यादा एकजुट प्रयासों की ज़रूरत है.

महासचिव ने कहा, "वैसे तो हम टिुकाऊ कारोबारी मॉडल की दिशा में कुछ सराहनीय प्रगति देख रहे हैं, लेकिन ये रफ़्तार उस मुक़ाम या गति के नज़दीक कहीं भी नहीं है जिसकी वास्तव में ज़रूरत है."

"हमें सिर्फ़ सराहनीय नज़रिए या प्रयासों भर की ज़रूरत नहीं है, बल्कि काया पलट कर देने वाले प्रयास व गति की दरकार है. और कारोबारों को अपने तमाम कामकाज में तेज़ी से और महत्वाकांक्षी कार्रवाई करके वैज्ञानिक प्रयासों को सहारा देना होगा."

विज्ञान तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक काल के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने पर ज़ोर दे रहा है, जोकि 2015 में जलवायु परिवर्तन पर हुए पेरिस समझौते में किए गए प्रावधानों के अनुरूप होगा.

ये लक्ष्य हासिल करने और वर्ष 2050 तक कार्बन शून्यता की स्थिति हासिल करने के लिए ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन वर्ष 2030 तक लगभग 45 प्रतिशत तक कम कहना होगा. ध्यान रहे कि कार्बन उत्सर्जन का वैश्विक तापमान वृद्धि में ख़ासा बड़ा हिस्सा है.

व्यवसाय और वित्तीय क्षेत्रों का एकजुटता

महासचिव ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि कारोबारी और वित्तीय क्षेत्रों के नेता जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने में अपने अहम भूमिका निभा रहे हैं. 

वो ये देखकर उत्साहित महसूस करते हैं कि विश्व की 170 विशाल कंपनियों ने ‘Business Ambition for 1.5 degrees’ यानी '1.5 डिग्री के लिए व्यवसाय की महत्वकांक्षा' के ज़रिए वैज्ञानिक व कार्बन उत्सर्जन के माप योग लक्ष्य निर्धारित करने के लिए संकल्प व्यक्त किए हैं. 

हालाँकि उन्होंने ये भी कहा कि व्यवसाय और वित्तीय क्षेत्र अलग-थलग रहकर काम नहीं कर सकते.

अगले वर्ष यानी 2020 में बहुत से देश 2015 के पेरिस समझौते के लक्ष्यों के मद्देनज़र कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के लिए अपनी योजनाएँ पेश करेंगे.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि राष्ट्रीय स्तरों पर निर्धारित ये लक्ष्य या योगदान कारकों (Nationally Determined Contributions - NDCs) में ऐसी कार्बन शून्यता वाली रणनीतियाँ और हरित पहल शामिल होंगी जो ऊर्जा, उद्योग, निर्माण और परिवहन क्षेत्रों के लिए होंगी.

महासचिव का कहना था, "इन प्रयासों के समर्थन में, मैं आप सभी, निजी क्षेत्र और सिविल सोसायटी के नेताओं का आहवान करता हूँ कि अपनी-अपनी सरकारों से अपनी स्पष्ट आर्थिक विकास नीतियाँ तैयार करने की माँग उठाएँ जिनसे आपकी कंपनियों को नैट ज़ीरो कार्बन वाले भविष्य को संभव बनाने के प्रयासों में धन निवेश करने का निर्णायक मौक़ा दे."

यूएन प्रमुख का कहना था कि दुनिया भर में करोड़ों लोग, ख़ासतौर पर युवजन ये समझते हैं कि जलवायु परिवर्तन के घातक प्रभावों को सीमित करने के लिए अभी बहुत ज़्यादा कार्रवाई किए जाने की ज़रूरत है.

"इसीलिए वो तमाम क्षेत्रों के नेताओं का आहवान कर रहे हैं कि जलवायु आपदा का सामना करने के लिए असाधारण रूप से और भी ज़्यादा कार्रवाई करें. इतिहास में सही तरफ़ रहने के प्रयासों में हम सभी अपना अंतिम मौक़ा भी गँवा देने के बहुत नज़दीक पहुँच चुपके हैं."

ग्रेटा की मौजूदगी

स्वीडन मूल की किशोरी जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी बुधवार को कॉप-25 जलवायु सम्मेलन में शिरकत की और सभी प्रतिभागियों से जलवायु परिवर्तन को स्पष्ट करने वाले वैज्ञानिक तथ्यों पर ध्यान देने पर ज़ोर दिया. 

ग्रेटा ने स्पष्ट करते हुए कहा कि ये बहुत ज़रूरी है कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जाए क्योंकि हम देख रहे हैं कि सिर्फ़ एक डिग्री की बढ़ोत्तरी पर भी लोग जलवायु आपदा संबंधी घटनाओं में मारे जा रहे हैं.

ग्रेटा थनबर्ग ने कहा, "क्योंकि एकीकृत विज्ञान इसी के लिए आहवान कर रहा है, जलवायु को और ज़्यादा अस्थिर ना बनाया जाए ताकि हम ऐसे घटनाक्रमों को होने से पहले ही रोक दें जिन्हें हो जाने के बाद बदलकर पहले की स्थिति में नहीं लाया जा सकेगा. इनमें हिमनदों और पोलर हिम के पिघलने जैसी घटनाएँ शामिल हैं. एक डिग्री का आंशिक हिस्सा भी बहुत अहम है."

ग्रेटा थनबर्ग ने सितंबर में यूएन मुख्यालय में आयोजित किए गए जलवायु कार्रवाई सम्मेलन मेंआए विश्व नेताओं से कहा था कि वो जलवायु आपदा का सामना करने के प्रयासों में त्वरपित कार्रवाई नहीं करके उसकी पीढ़ी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं.

16 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग को टाइम पत्रिका ने बुदवार को 2019 का पर्सन ऑफ़ द ईयर यानी वर्ष की सर्व लोकप्रिय व्यक्ति का ख़िताब भी दिया.

ध्यान रहे कि ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के बारे में युवा पीढ़ी में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों के तहत स्कूल हड़ताल आंदोलन भी शुरू किया है.