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जलवायु सम्मेलन में सार्थक नतीजे हासिल करने की पुकार

वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी से चरम मौसम की घटनाओं की संख्या व तीव्रता बढ़ने की आशंका है.
WMO/Injoo Hong
वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी से चरम मौसम की घटनाओं की संख्या व तीव्रता बढ़ने की आशंका है.

जलवायु सम्मेलन में सार्थक नतीजे हासिल करने की पुकार

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बांडे ने कहा है कि स्पेन में हो रहे जलवायु सम्मेलन से जलवायु संकट से निपटने के लिए ठोस नतीजों का सामने आना अनिवार्य है. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में जारी कॉप-25 सम्मेलन के दौरान विज्ञान की स्पष्टता के बारे में बताते हुए कहा गया है वैश्विक और राष्ट्रीय स्तरों पर तत्काल असरदार जलवायु कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है.

यूएन महासभा अध्यक्ष ने पेरिस समझौते में हुई उस सहमति का ज़िक्र किया जिसके तहत वैश्विक तापमान में अधिकतम बढ़ोत्तरी को औद्योगिक काल के पूर्व औसत तापमान से दो डिग्री सेल्सियम और संभव हो तो 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना है.

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लेकिन अगर विश्व में कार्बन उत्सर्जन के मौजूदा रुझान जारी रहे तो तापमान का बढ़ना जारी रहेगा जिससे मानव समाज को चरम मौसम वाली घटनाओं की तीव्रता व संख्या बढ़ने का सामना करना पड़ेगा.

महासभा प्रमुख ने बताया कि भूमि का क्षरण हो रहा है. वन, पारिस्थितिकी तंत्र और जैव-विविधता खो रही है. महासागर प्रदूषण और अम्लीकरण के शिकार हैं और तटीय पर्यावासों को नुक़सान पहुंच रहा है.

बार-बार होने वाली जलवायु आपदाएं वैश्विक रूप धारण कर रही हैं और सीमाओं से परे जाकर अपना रूप दिखा रही है. इसकी अभूतपूर्व मानवीय और सामाजिक-आर्थिक क़ीमत चुकानी पड़ सकती है – साथ ही वैश्विक ग़रीबी और लोगों के जीवन में बेहतरी लाने के प्रयासों में प्रगति अधर में लटक सकती है.  

उन्होंने बताया कि अगर जोखिम कम करने के लिए प्रयास किए जाएँ तो समुद्री जल का स्तर बढ़ने से लगभग 28 करोड़ लोगों के विस्थापन की आशंका को दूर किया जा सकता है.

“जहाज़ के साथ डूब जाने का या फिर तत्काल रास्ता बदलने का निर्णय हमारा है. यह समय कार्रवाई का है.”

“हमारे काम ही हमारी पहचान निर्धारित करते हैं, और हर दिन हमारा नैतिक दायित्व बनता है कि आने वाली पीढ़ियों के भले के लिए कार्रवाई की जाए. मुझे उम्मीद है कि हम इस चुनौती का सामना कर लेंगे.”

परमाणु ऊर्जा का विकल्प

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक के तौर पर पहली बार आधिकारिक यात्रा कर रहे राफ़ाएल मरियानो ग्रोसी ने स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने में परमाणु ऊर्जा की भूमिका को रेखांकित किया.

"सौर और पवन ऊर्जा जैसी परिवर्तनशील नवीकरणीय ऊर्जा - स्वच्छ ऊर्जा हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ने में अहम हैं लेकिन बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को सिर्फ़ उनसे पूरा नहीं किया जा सकता.”

उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा निरंतर, कम कार्बन उत्सर्जन के साथ ऊर्जा प्रदान कर सकती है.

उन्होंने परमाणु ऊर्जा को एक ऐसी चाबी क़रार दिया जो अपनी पूर्ण संभावनाओं के दरवाज़े खोल सकती है – चाहे दिन हो या रात, बारिश हो या फिर तेज़ धूप.

कई सदस्य देशों का मानना है कि बिना परमाण ऊर्जा के इस्तेमाल के टिकाऊ विकास और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पाना बेहद मुश्किल होगा. मौजूदा समय में कम कार्बन उत्सर्जन बिजली का लगभग एक तिहाई हिस्सा परमाणु ऊर्जा से आता है और इसलिए जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने से पहले से ही उसकी भूमिका रही है.

बीता जा रहा है समय

जलवायु परिवर्तन पर यूएन संस्था (UNFCCC) की कार्यकारी सचिव पैट्रीशिया एस्पिनोसा ने जलवायु कार्रवाई की तात्कालिकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि हर वर्ष कॉप बैठक में बताया जाता है कि कारर्वाई का समय निकला जा रहा है.

“मेरा संदेश स्पष्ट है. हमें आपके निर्णयों की ज़रूरत है. हमें आपका नेतृत्व चाहिए. हमारे पास समय नहीं बचा है.”

विश्व भर में लोग चरम मौसम की एक के बाद एक घटनाओं से प्रभावित हो रहे हैं. लेकिन शरणार्थी, राष्ट्र विहीन और आंतरिक विस्थापितों को अक्सर जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से संवेदनशील इलाक़ों में रहना पड़ता है.

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संस्था (UNHCR) ने कहा है कि इससे उन लोगों के नए सिरे से विस्थापित होने का ख़तरा बढ़ जाता है.

मंगलवार को 12 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने साथ मिलकर ‘एलायंस फ़ॉर हायड्रोमेट डवेलेपमेंट’ शुरू किया है. इसके तहत विकासशील देशों में उच्च गुणवत्ता वाले मौसम पूर्वानुमानों, पूर्व चेतावनी प्रणालियों और अन्य सेवाओं की क्षमता विकसित करने और मज़बूत बनाने के प्रयास होंगे.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के प्रमुख पेटेरी टालास ने बताया कि विज्ञान ने स्पष्ट बता दिया है, “महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई की ज़रूरत है कि देशों को विश्वसनीय चेतावनी और सर्वश्रेष्ठ जलवायु सूचना सेवाओं से लैस किया जाए. यह अलायंस एक ज़रिया है ताकि सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंदों को सहारे का दायरा बढ़ाया जा सके.”

कॉप-25 बैठक में अगले साल होने वाली बेहद अहम जलवायु शिखर वार्ता की ज़मीन तैयार की जा रही है, जब सभी देश पेरिस समझौते के अनुरूप अपनी जलवायु कार्रवाई योजनाओं के बारे में जानकारी साझा करेंगे.