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कॉंगो में हिंसा में फंसे आम लोगों की सुरक्षा के लिए चिंता

उत्तर किवू में म्बूती आदिवासी समुदाय एक अस्थाई शिविर में रहने के लिए मजबूर है.
@ UNHCR/Natalia Micevic
उत्तर किवू में म्बूती आदिवासी समुदाय एक अस्थाई शिविर में रहने के लिए मजबूर है.

कॉंगो में हिंसा में फंसे आम लोगों की सुरक्षा के लिए चिंता

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) और उसके साझेदार संगठनों ने कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में लाखों आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई है. देश के पूर्वी हिस्से के बेनी क्षेत्र में घातक हिंसा और व्यापक प्रदर्शनों से हालात बिगड़ गए हैं और प्रभावित इलाक़ों में मानवीय सहायता पहुंचाना मुश्किल हो गया है.

डीआरसी के उत्तर किवू प्रांत में तनाव अक्टूबर महीने में बढ़ा जब सरकारी सुरक्षा बलों ने हथियारबंद गुट एलाइड डेमोक्रेटिक फ़ोर्सेज़ के ख़िलाफ़ 30 अक्टूबर को अभियान शुरू किया.

इस इलाक़े में हथियारबंद गुट आम लोगों को निशाना बनाकर हमले करते रहे हैं जिनमें कई मासूम लोगों की जान गई है.

अभी तक के अनुमान के मुताबिक़ बेनी क्षेत्र में 2 नवंबर को शुरू हुए हिंसक हमलों में कम से कम 100 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और हज़ारों विस्थापित हुए हैं जिनमें अधिकांश महिलाएं व बच्चे हैं.

म्बाऊ और ओयचा इलाक़ों से भी बड़े पैमाने पर विस्थापन की रिपोर्टें मिली हैं. लोगों ने हमलों और सुरक्षा बलों व सशस्त्र गुटों के बीच हिंसा से बचने के लिए बेनी क़स्बे में भी शरण ली है.

अभी तक जो रिपोर्टें मिली हैं उनकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि कर पाना संभव नहीं हो पाया है. वहां व्याप्त असुरक्षा और हिंसा के कारण मानवीय राहतकर्मियों की आवाजाही पर भी असर पड़ा है.

लोगों को अगवा किए जाने, स्कूलों व स्वास्थ्य केंद्रों पर हमला होने और आदिवासी समुदायों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखी गई है.

हालात को सामान्य बनाने के लिए यूएन शरणार्थी एजेंसी ने तत्काल सुरक्षा बहाल करने और प्रभावित समुदायों तक मदद पहुंचाने की पुकार लगाई है.

सशस्त्र गुटों द्वारा बच्चों को जबरन सैनिकों के रूप में भर्ती किए जाने और व्यापक पैमाने पर महिलाओं के यौन हिंसा का शिकार होने को एक बड़ी चुनौती बताया गया है.

कई बच्चों ने अपने माता-पिता खो दिए हैं जिसके कारण उन्हें तत्काल सहारा दिए जाने की आवश्यकता है. इलाक़े में मानवीय मदद पहुंचाने में विफलता कई अन्य लोगों की मौतों का सबब बन सकती है.

यूएन एजेंसी बेनी और उसके आस-पास के इलाक़े में मानवीय संरक्षण, शरण और समन्वयन के लिए अन्य साझेदार संगठनों के साथ मिलकर काम कर रही है.

इसके तहत विस्थापितों के लिए आपात शिविर बनाए जा रहे हैं, विस्थापितों और मेज़बान समुदायों में शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा दिया जा रहा है और स्थानीय प्रशासन के साथ विस्थापितों के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी एकत्र की जा रही है ताकि उन्हें लक्षित सहायता उपलब्ध काई जा सके.  

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ बेनी शहर में क़रीब पांच लाख लोग रहते हैं. विस्थापितों की संख्या पौने तीन लाख होने का अनुमान है.

उत्तर किवू प्रांत में बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था ईबोला वायरस से निपटने की कोशिशों पर भी असर डाल रही है.