जलवायु की ख़ातिर छोड़नी होगी कोयले की लत - महासचिव
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने थाईलैंड में हुए आसियान सम्मेलन के दौरान शनिवार को राजधानी बैंकाक में नए शताब्दी पार्क का दौरा किया जहाँ एक नया क्लाइमेट मिटिगेशन प्रोजेक्ट बनाया गया है. महासचिव ने इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कोयले का इस्तेमाल करने के चलन को अब हल हाल में बंद करना होगा.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया भर में बड़े पैमाने पर कोयले का इस्तेमाल होने से जलवायु के लिए बड़ा ख़तरा पैदा हो रहा है.
आसियान सम्मेलन में एक प्रमुख संदेश बहुत स्पष्ट तरीक़े से दिया जाएगा कि इस क्षेत्र में बहुत से देश जलवायु परिवर्तन के नज़रिए से बहुत नाज़ुक हालात का सामना कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने प्रेस का ध्यान हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट की तरफ़ खींचते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्रों का जल स्तर पहले व्यक्त किए गए अनुमानों से कहीं ज़्यादा रफ़्तार से बढ़ रहा है.
“नई रिपोर्ट कहती है कि सही समय पर अगर हम जलवायु परिवर्तन को रोकने में कामयाब नहीं होते हैं तो शोध के अनुमानों के अनुसार वर्ष 2050 में दुनिया भर में लगभग 30 करोड़ लोगों को समुद्री जल स्तर बढ़ने के कारण भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ेगा.”
उन्होंने जलवायु परिवर्तन को मौजूदा समय में पृथ्वी ग्रह के लिए सबसे बड़ा ख़तरा क़रार देते हुए कहा कि यही मुद्दा वर्तमान का सबसे ज्वलंत और महत्वपूर्ण विषय है.
महासचिव ने वैज्ञानिकों द्वारा पेश किए जा रहे तथ्यों की तरफ़ दुनिया भर का ध्यान खींचने लिए प्रयास करते रहने के प्रति अपना संकल्प दोहराते हुए तर्क दिया कि “हम सभी को 21वीं सदी के अंत तक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक ही सीमित करना होगा.”
और वर्ष 2050 तक कार्बन शून्यता का स्थिति हासिल करनी होगी, इसके लिए अगले दशक में कार्बन उत्सर्जन में 45 फ़ीसदी तक की कमी करनी होगी.
यूएन प्रमुख का कहना था, “हमें कार्बन पर महंगाई की मोहर लगानी होगी और जीवाश्म ईंधन के लिए दी जाने वाली वित्तीय मदद रोकनी होगी...साथ ही भविष्य में ऐसे ऊर्जा प्लांट बनाने से भी बचना होगा जो कोयले से चलें.”
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों को इस क्षेत्र में एक मिसाल क़ायम करनी होगी.
“कार्बन को महंगा बनाने के उपायों में बढ़त लेकर, जीवाश्म ईंधन पर वित्तीय सहायता बंद करके और कोयले से चलने वाले ऊर्जा प्लांटों का निर्माण रोककर जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने में ठोस मदद मिलेगी.”
एंतोनियो गुटेरेश का कहना था ऐसे ही उपायों के ज़रिए बैंकाक व अन्य ऐसे ही सुंदर शहरों की ख़ूबसूरती बरक़रार रखी जा सकेगी, हम सभी ऐसी ही विरासत मानवता के लिए छोड़ना चाहते हैं.”