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सीरिया पर ऐतिहासिक बातचीत शुरू, नागरिकों को राहत पर ज़ोर

सुरक्षा परिषद से हिरासत में लिए गए लोगों की मदद करने की अपील.
UNICEF/Rami Zayat
सुरक्षा परिषद से हिरासत में लिए गए लोगों की मदद करने की अपील.

सीरिया पर ऐतिहासिक बातचीत शुरू, नागरिकों को राहत पर ज़ोर

शान्ति और सुरक्षा

अनेक वर्षों से हिंसक संघर्ष से त्रस्त सीरिया के लिए नए संविधान का मसौदा तैयार करने पर संयुक्त राष्ट्र के जिनीवा कार्यालय में बुधवार को काम शुरू हो गया. सीरियाई सरकार और विपक्ष के प्रतिनिधि नौ साल में पहली बार आमने-सामने बैठकर देश के भविष्य पर विचार-विमर्श करेंगे. सीरिया के लिए यूएन के विशेष दूत ने कहा है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य वर्षों से पीड़ा झेल रहे नागरिकों को राहत प्रदान करना है. 

यूएन के विशेष दूत गेयर पेडरसन ने दोनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडलों और सीरिया के नागरिक समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह को संबोधित करते हुए उनसे आग्रह किया कि सीरियाई जनता की भलाई के लिए इस ऐतिहासिक अवसर को हाथ से नही जाने देना चाहिए.

नई शुरुआत की संभावना

उन्होंने कहा कि भावी संविधान सीरियाई आवाम के लिए है और इस पर सिर्फ़ उन्हीं का अधिकार है. “आज कुछ नई शुरुआत होने की संभावना है, सीरिया और सभी सीरियाई नागरिकों के लिए कुछ अर्थपूर्ण होने की, और यह आपके नेतृत्व में होगा, सिर्फ़ आपके, जैसा दोनों सह-प्रमुखों ने रेखांकित किया है.”

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संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में हो रही इस वार्ता के प्रक्रिया संबंधी नियमों के अनुसार, 150 सदस्यों वाली समिति की बैठकों के समानांतर संविधान का मसौदा तैयार करने वाले एक छोटे समूह की भी बैठकें होंगी जिसमें तीनों पक्षों से 15-15 सदस्य हैं.

बड़ी समिति जिन बिंदुओं पर वोट करेगी उसी आधार पर छोटे समूह पर नया संविधान का ख़ाका तैयार करने की ज़िम्मेदारी है.

विशेष दूत पेडरसन ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 2254 के तहत सीरिया के मौजूदा संविधान को फिर से परखा जा सकता है.

इस प्रस्ताव को 18 दिसंबर 2018 को न्यूयॉर्क में सर्वसम्मति से पारित किया गया था.

हिंसक संघर्ष में शामिल पक्षों में समझौते के रोडमैप के अलावा सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में राष्ट्रव्यापी संघर्षविराम और निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनावों का भी समर्थन किया गया है.

जिनीवा में 150 सदस्यों वाली समिति की आधिकारिक बैठक से पहले, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सीरियाई सरकार और विरोधी पक्षों के एक साथ बैठने और संघर्ष की त्रासदी से बाहर निकलने के लिए राजनैतिक रास्ता ढूंढने का स्वागत किया है. 

यूएन प्रमुख ने कहा कि इस समिति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व क़रीब 30 फीसदी  है और यह न्यूनतम सीमा है जिसकी मांग संयुक्त राष्ट्र की ओर से होती रही है.

हिंसा से प्रभावित समुदायों की व्यापक हिस्सेदारी के नज़रिए से सभी के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किए जाने को अहम बताया गया है.

सकारात्मक बदलाव का एजेंडा

सीरियाई सरकार के प्रतिनिधि अहमद कुज़बरी ने फ़ोरम को संबोधित करते हुए कहा है कि देश के मौजूदा संविधान की समीक्षा करने के लिए सरकार खुले मन से तैयार है.

कुज़बरी के मुताबिक़ सरकार शांति प्रक्रिया के इस हिस्से को सफल बनाने के लिए संकल्पित है लेकिन उन्होंने सीरियाई क्षेत्र में क़ब्ज़ा जमाने, देश के संसाधनों को नष्ट करने और एकतरफ़ा आर्थिक पाबंदियां लगाने वाली ताक़तों को चेतावनी भी जारी की है.

उन्होंने कहा कि ऐसे तत्व पूरी शांति प्रक्रिया को ख़तरे में डाल सकते हैं और इससे यूएन चार्टर और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का भी उल्लंघन होता है.

विरोधी पक्ष से समिति के उप-प्रमुख हादी अलबाहरा ने बताया कि उनके प्रतिनिधिमंडल की इच्छा बातचीत में प्रगति होते देखना है, भले ही 150 सदस्यों में कई मुद्दों पर मतभेद हों.

“सीरिया में आठ साल की पीड़ा के बाद, हम यहां मज़बूत इरादे के साथ समानताएं देखने आए हैं, भिन्नताएं नहीं.”

उन्होंने सीरिया में लंबे समय से चली आ रही हिंसा पर दुख ज़ाहिर करते हुए कहा कि अब तक दस लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ा है.

“हम पूरे देश की आकांक्षाओं के प्रति पूरी तरह सजग हैं जो बयान भी ना की जा सकने वाली पीड़ा से मुक्ति की प्रतीक्षा में है.”

साथ ही उन्होंने ज़मीनी स्तर पर भरोसा बढ़ाने वाले क़दम उठाए जाने की भी अपील की है जिनमें बंदियों की रिहाई या उनके बारे में सूचना का आदान-प्रदान शामिल है.