संवैधानिक समिति का गठन सीरिया के लिए आशा की किरण

सीरिया में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गेयर पेडरसन ने कहा है कि लंबे समय से हिंसक संघर्ष से पीड़ित लोगों के लिए आशा की किरण दिखाई दे रही है. यूएन के विशेष दूत का इशारा सीरिया में संवैधानिक समिति के गठन से था जिसकी रूप रेखा तैयार हो गई है और अब उसे अक्तूबर महीने से संविधान निर्माण पर विचार विमर्श करना है.
यह समिति सीरियाई सरकार और विपक्षी गुटों में पहली ठोस राजनैतिक सहमति है जिसके तहत सभी प्रक्रिया में शामिल लोग आमने-सामने बैठक, संवाद और बातचीत मे हिस्सा लेने के लिए राज़ी हुए हैं.
साथ ही इसके ज़रिए नागरिक समाज के लिए भी बातचीत की मेज़ पर जगह बनी है.
कई वर्षों तक चली वार्ताओं के बाद यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने पिछले सोमवार को घोषणा की थी सरकार और सीरियाई वार्ता आयोग में एक विश्वसनीय, संतुलित और समावेशी संवैधानिक समिति के गठन पर सहमति बन गई है. ये कमेटी जिनीवा में यूएन के सहयोग से गठित की गई है.
"The future constitution of #Syria belongs to the Syrian people and them alone," Special Envoy @GeirOPedersen stressed during today's @UN Security Council briefing. Full statement here: https://t.co/J2AOpIYwfP pic.twitter.com/GkA7aYEAuP
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उन्होंने बताया कि एक टूटे हुए देश को फिर से संवारने का प्रयास है जिससे व्यापक राजनैतिक प्रक्रिया का दरवाज़ा खुल सकता है.
इसे मज़बूती से आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अन्य क़दम उठाने पर भी ज़ोर दिया है ताकि सीरियाई नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भरोसा क़ामय हो सके.
इस सहमति के मुख्य बिंदु यूएन चार्टर , संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों, सीरिया की सार्वभौमिकता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के अहम सिद्धांतों के आधार पर तैयार किए गए हैं.
यूएन दूत ने स्पष्ट किया है कि जिन संवैधानिक सुधारों को समिति ने पारित किया है उन्हें लोकप्रिय ढंग से मंज़ूरी मिलनी ज़रूरी है.
कमेटी के ढांचे के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसमें सरकार और विपक्ष की ओर से दो उप प्रमुख होंगे; 45 सदस्यों के एक समूह में 15 सदस्य सरकार से, 15 विपक्ष से और 15 नागरिक समाज से होंगे जिनकी ज़िम्मेदारी प्रस्तावों का मसौदा तैयार करना होगा.
इसके अलावा 150 सदस्यों वाले एक समूह में प्रस्तावों पर विचार विमर्श किया जाएगा और निर्णय लेने के लिए 75 फ़ीसदी की सीमा तय की गई है.
बताया गया है कि नागरिक समाज के 50 सदस्य विविध धार्मिक, जातीय और भौगोलिक पृष्ठभूमियों से आते हैं, कुछ सीरिया में रह रहे हैं जबकि अन्य का निवास देश से बाहर है. इनमें क़रीब पचास फ़ीसदी महिलाएं हैं.
“दोनों पक्षों ने मुझे बताया है कि उनका संयुक्त राष्ट्र में भरोसा है और वे हमारे साथ रचनात्मक और सतत रूप से काम करना चाहते हैं. हम उनकी आशाओं पर खरा उतरने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे.”
यूएन दूत के मुताबिक़ पर्याप्त विश्वसनीयता, संतुलन और समावेशन को सुनिश्चित करना एक मुख्य प्राथमिकता रहा है. हालांकि उन्होंने माना कि इस प्रक्रिया का नतीजा बातचीत के बाद सामने आया समझौता है और हमेशा की तरह कोई भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है.
सीरियाई विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक और नागरिक बहस के लिए एक नया सार्वजनिक मंच बना है लेकिन हर कोई समिति में शामिल नहीं हो सकता है. इसके बावजूद आशा जताई गई है कि उनकी आवाज़ें सुनी जाती रहेंगी.
यूएन दूत ने आशा जताई कि सीरिया का भावी संविधान सिर्फ़ और सिर्फ़ सीरियाई जनता के लिए ही है. इसका मसौदा सीरिया के नागरिक तैयार करेंगे और सीरियाई जनता को ही इसे मंज़ूर करना होगा.