प्रसव के दौरान महिलाओं के साथ हुआ दुर्व्यवहार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का एक नया अध्ययन दर्शाता है कि निम्न आय वाले चार देशों में कराए गए सर्वे में शामिल लगभग एक तिहाई महिलाओं ने बताया कि प्रसव के दौरान उनके साथ दुर्यवहार किया गया. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए रणनीति का ख़ाका भी साझा किया है. घाना, गिनी, म्यांमार और नाईजीरिया से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह अध्ययन ‘द लांसेट’ सायंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
इस अध्ययन में 2,016 महिलाओं की परिस्थितियों को परखने के बाद पाया गया कि इनमें से 42 फ़ीसदी महिलाओं ने प्रसव के दौरान शारीरिक और शाब्दिक दुर्व्यवहार, लांछन और भेदभाव का सामना किया.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार प्रसव के दौरान दाई की मदद सहित गुणवत्तापरक सहारे के अन्य ज़रिए जीवन और मौत के बीच का अंतर तय करते हैं.
A new WHO study shows alarming rates of mistreatment during childbirth.Across 4 countries, 4 in 10 women experienced physical or verbal abuse, stigma, or discrimination https://t.co/7GJFiDfJw9 pic.twitter.com/334p28QzdE
WHO
दाई का काम और प्रसूति विद्या से मातृत्व और नवजात शिशुओं की मौत के मामलों को 80 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिलती है और समय से पहले बच्चा होने के मामलों में 24 प्रतिशत तक की कमी आई है.
इसके बावजूद, 800 से ज़्यादा महिलाएं हर दिन प्रसव और मातृत्व के दौरान मौत का शिकार होती हैं. युवा व कम पढ़ी-लिखी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की संभावना ज़्यादा रहती है.
इसके अलावा उनके साथ भेदभाव, बिना सहमति के मेडिकल परीक्षण होने, जबरन चिकित्सा प्रक्रिया से गुज़रने और स्वास्थ्यकर्मियों की उपेक्षा का शिकार होने की आशंका बनी रहती है.
क़रीब 14 प्रतिशत महिलाओं ने थप्पड़ या मुक़्का मारे जाने सहित अन्य शारीरिक प्रताड़ना झेली है जबकि अन्य महिलाओं की सहमति के बिना ही गुप्त अंगों की जांच और सीज़ेरियन सेक्शन ऑपरेशन कर दिए गए.
बच्चों को जन्म दिए जाने के बाद की स्थिति वाली 2,672 महिलाओं के साथ इंटरव्यू किए गए लेकिन उनमें भी दुर्व्यवहार के ऐसे ही मामले देखने को मिले हैं.
शोधकर्ताओं ने अपनी जांच में पया कि सीज़ेरियन ऑपरेशन से बच्चे होने के ऐसे 35 मामले सामने आए जिनमें मां की सहमति नहीं ली गई थी जबकि 2,611 केस ऐसे थे जिनमें बिना अनुमति के यौन अंग की जांच की गई.
अध्ययन में लगभग 752 महिलाओं ने किसी ना किसी रूप में शाब्दिक प्रताड़ना – चिल्लाने डांटे जाने और मखौल उड़ाए जाने - का अनुभव किया है.
11 महिलाओं को उनकी नस्ल और जातीयता के आधार पर भेदभाव या कथित लांछन का सामना करना पड़ा है.
रोकथाम की रणनीति
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने रणनीतियों का एक फ़्रेमवर्क तैयार किया है जिसके तहत महिलाओं का इलाज करुणा और गरिमा के साथ किए जाने की अनुशंसा जारी की गई है.
इसके लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को जवाबदेह बनाने, गुणवत्तापरक स्वास्थ्य देखरेख के लिए पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित करने और महिला अधिकारों के लिए स्पष्ट नीतियां बनाना अहम होगा.
- प्रसव वार्ड बनाते समय महिलाओं की ज़रूरतों का ध्यान रखा जाना
- चिकित्सा परीक्षणों के दौरान उनकी सहमति का ख़याल रखा जाना
- गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवा के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को मदद प्रदान करना
- प्रसव पीड़ा और शिशु के जन्म के समय किसी के साथ होने का अधिकार सुनिश्चित करना
- ऐसी गुणवत्तापरक मातृत्व सेवाएं उपलब्ध कराना जहां दुर्व्यवहार के मामले अस्वीकार्य हों