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यूएन महासभा में क्या होता रहता है!

महासभा की पाँचवीं समिति के सदस्य संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावित बजट पर विचार करते हैं.
UN Photo/Cia Pak
महासभा की पाँचवीं समिति के सदस्य संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावित बजट पर विचार करते हैं.

यूएन महासभा में क्या होता रहता है!

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्चस्तरीय सप्ताह (जनरल डिबेट) के दौरान जगमगाती चकाचौंध के बीच दुनिया भर के लोगों और मीडिया का ध्यान इसी पर केंद्रित हो जाता है. मगर जब ये सप्ताह समाप्त होने के साथ ही चकाचौंध कुछ धीमी पड़ती है तो महासभा का विस्तृत कामकाज जारी रहता है जो ये सदन अपनी मुख्य समितियों के माध्यम से करती है. यूएन महासभा मुख्य रूप में विचार-विमर्श और चर्चा के केंद्र है और इस विश्व संगठन का बहुत सारा कामकाज इन्हीं समितियों के ज़रिए किया जाता है.

 

छह दिन तक चलने वाली जनरल डिबेट के दौरान राष्ट्राध्यक्षों, सरकार अध्यक्षों, महारानियों, राजाओं, राष्ट्रपतियों व प्रधानमंत्रियों के भाषण दुनिया भर में हैडलाइन बनाते हैं. ऐसे में महासभी की समितियाँ मुश्किल से ही किसी का ध्यान आकर्षित करती हैं.

इन समितियों का प्रचलित नाम पहली समिति, दूसरी समिति... इसी तरह छठी समिति तक होता है  इसलिए इनके नाम से ये जानकारी नहीं मिल पाती है कि कौन सी समिति क्या काम करती है.

लेकिन ये समितियाँ निरस्त्रीकरण से लेकर पूर्व औपनिवेशिक क्षेत्रों को स्वतंत्र करना, आर्थिक प्रगति से लेकर मानवीय सहायता तक, जैसे मुद्दों पर हर सप्ताह काम करती हैं, चकाचौंध से दूर. उनके इस काम में शामिल होता है - राजनैतिक नेताओं और संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ नेताओं द्वारा घोषित नीतियों को असली दुनिया में लागू करने के लिए तैयार करना.

इस फ़ीचर श्रंखला में यूएन न्यूज़ ने महासभा की मुख्य समितियों के दैनिक कामकाज की कुछ झलक देने की कोशिश की है.

चूँकि बहुत सारा कामकाज पूरा करना होता है, इसलिए महासभा के प्रयासों को समितियों के ज़रिए अमल में लाया जाता है.

इन समितियों में मुद्दों पर विचार-विमर्श होता है, एक आम-सहमति बनाने की कोशिश की जाती है - ज़रूरत पड़े तो मतदान भी कराया जाता है - और आख़िर में सिफ़ारिशें 193 सदस्य देशों से बनी एसेंबली प्लेनरी को अंतिम निर्णय के लिए भेजी जाती हैं.

एजेंडा के कुछ विषयों पर भी जनरल एसेंबली प्लेनरी में विचार किया जाता है, जैसेकि फ़लस्तीन का मुद्दा.

महासभा की मुख्य छह समितियाँ इस प्रकार हैं:

  • प्रथम समिति - निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित एजेंडा विषय
  • द्वितीय समिति - आर्थिक व वित्तीय मामले
  • तीसरी समिति - सामाजिक, मानवीय सहायता, मानवाधिकार और सांस्कृतिक एजेंडा विषय
  • चौथी समिति - इसे विशिष्ट राजनैतिक व उपनिवेश स्वतंत्रता समिति भी कहा जाता है, ये उन विषयों पर चर्चा करती है जिन पर पहली समिति में चर्चा नहीं होती है.
  • पाँचवीं समिति - यूएन प्रशासन और .... बजट
  • छठी समिति - अंतरराष्ट्रीय क़ानून से संबंधित मामले

प्रत्येक समिति अपने आप में संपूर्ण होती है और महासभा के सभी 192 सदस्य देश हर समिति के भी सदस्य होते हैं. हर एक सदस्य को एक वोट हासिल होता है यानी यहाँ सभी सदस्य देश बराबर हैं. 

महासभा के प्रक्रिया नियमों के अनुसार समितियों में मौजूद सदस्यों के बहुमत और मतदान के ज़रिए निर्णय लिए जाते हैं. समिति के सदस्य आम सहमति के ज़रिए भी निर्णय ले सकते हैं.

यूएन महासभा के 73वें सत्र की अध्यक्ष मारिया फ़र्नेंडा एस्पिनोसा महासभा की बैठक की अध्यक्षता करते हुए
UN Photo/Loey Felipe
यूएन महासभा के 73वें सत्र की अध्यक्ष मारिया फ़र्नेंडा एस्पिनोसा महासभा की बैठक की अध्यक्षता करते हुए

मुख्य समितियों के अलावा महासभा की नौ साख़ समितियाँ भी होती हैं. ये समितियाँ सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के आधिकारिक पहचान संबंधी मामलों और दस्तावेज़ों को देखती है. एक जनरल कमेटी होती है जो महासभा सामान्य प्रगति की समीक्षा करती है. इनके अलावा अनेक सहायक समितियाँ भी होती हैं. इन सहायक समितियों में सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों की शिरकत ज़रूरी नहीं होती. 

समिति के पदाधिकारियों के कामकाज

प्रत्येक मुख्य कमेटी में एक अध्यक्ष, तीन उपाध्यक्ष और एक रिपोर्टर होते  हैं. ये सब मिलकर कमेटी रिपोर्ट तैयार करते हैं. इन सभी का चुनाव भी महासभा के अध्यक्ष के चुनाव के दिन ही हो सकता है या फिर कमेटी की पहली मीटिंग के दौरान. 

महासभी के प्रक्रिया नियमों के अनुसार कोई भी सदस्य देश एक ही सत्र या बैठक में मुख्य कमेटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर विराजमान नहीं हो सकता. दिलचस्प बात है कि कमेटी के चैयरपर्सन मतदान में हिस्सा नहीं लेते लेकिन उनके स्थान पर उनके प्रतिनिधिमंडल के कोई अन्य सदस्य मतदान में हिस्सा ले सकते हैं.

मुख्य कमेटी के चेयरपर्सन जनरल कमेटी के भी सदस्य होते हैं जिसकी अध्यक्षता महासभा के अध्यक्ष करते हैं.

कान्फ्रेंस अधिकारी महासभा की छह मुख्य समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान होने से पहले ख़ाली मतपेटियों के साथ.
UN Photo/Kim Haughton
कान्फ्रेंस अधिकारी महासभा की छह मुख्य समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान होने से पहले ख़ाली मतपेटियों के साथ.

तरह-तरह की बैठकें (संयुक्त राष्ट्र की अनूठी विशेषता)

ये समितियाँ भी अपनी अभिभावक महासभी की ही तरह औपचारिक व अनौपाचिरक दोनों तरह की बैठकें करती हैं. 

औपचारिक बैठक में सिर्फ़ उन्हीं विषयों पर चर्चा होती है जो किसी कमेटी के विशेष एजेंडा में शामिल होते हैं. साथ ही ये भी ध्यान रखने योग्य है कि प्लेनेरी के विचार के लिए भेजे जाने वाले कोई भी निर्णय या मसौदा प्रस्ताव एक औपचारिक बैठक में ही लिए जा सकते हैं.

एक अनौपचारिक बैठक अनेक कारणों से हो सकती है. इस तरह की बैठकों में सचिवालय के अधिकारी या तकनीकि विशेषज्ञ भी जानकारियाँ पेश कर सकते हैं, सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ संवाद, सलाह मश्वरिया सौदेबाज़ी भी हो सकती है. कमेटी का कोई भी निर्णय अनौपचारिक बैठकों में नहीं लिया जा सकता. अनौपचारिक कमेटियों में आमतौर पर अनुवाद सेवाएँ भी नहीं होती हैं जोकि कोई समझौता होने के लिए स्वभाविक रूप से अनिवार्य है. 

औपचारिक व अनौपचारिक बैठकों के अलावा कुछ बैठकें मुक्त और बंद भी हो सकती हैं. 

जैसाकि मुक्त बैठकों के नाम से ज़ाहिर होता है, ये बैठकों सदस्य देशों, पर्यवेक्षकों, यूएन एजेंसियों, सिविल सोसायटी, मीडिया और आम नागरिकों सभी के लिए खुली होती हैं. (सुरक्षा ज़रूरतें और सीटों की उपलब्धता की वजह से बैठने के स्थान सीमित हो सकते हैं.) इन बैठकों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण भी किया जा सकता है, मीडिया भी इन बैठकों की कार्यवाही को कवर कर सकता है और इन बैठकों का रिकॉर्ड भी प्रकाशित किया जाता है.

दूसरी तरफ़ बंद बैठकों के लिए अनेक तरह की पाबंदियाँ लागू होती हैं. आमतौर पर सदस्य देश, पर्यवेक्षक और आमंत्रित भागीदार ही इन बैठकों में शिरकत कर सकते हैं. यूएन पत्रिका में ये दिखाया गया होता है कि किसी दिन कौन सी बैठकें मुक्त होंगी या कौन सी बंद. किसी मुक्त बैठक को अगर बंद की श्रेणी में रखना है, इसका फ़ैसला बैठक के दौरान ही लिया जा सकता है.