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विश्व पर गहरी छाप छोड़ने वाले पूर्व महासचिव हावियर पेरेज़ डि कुएयर के निधन पर शोक

संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव पेरेज़ डी कुएइए ने 1989 में नामीबिया के कतातूरा इलाक़े का दौरा किया था.
UN Photo/Milton Grant
संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव पेरेज़ डी कुएइए ने 1989 में नामीबिया के कतातूरा इलाक़े का दौरा किया था.

विश्व पर गहरी छाप छोड़ने वाले पूर्व महासचिव हावियर पेरेज़ डि कुएयर के निधन पर शोक

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र के पाँचवें महासचिव रहे हावियर पेरेज़ डि कुएयर का 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. दो बार महासचिव रहे पेरेज़ डी कुएयर को शांतिवार्ता के रास्ते निकालने और कठिन दौर में विश्व संगठन का नेतृत्व करने के लिए याद किया जाता है.

पेरू के अनुभवी राजनयिक, वकील और प्रोफ़ेसर पेरेज़ डि कुएयर अभी तक संयुक्त राष्ट्र के महासचिव पद पर रहने वाले पहले लातीनी अमेरिकी व्यक्ति थे.

जेवियर पेरेज़ डी कुएइए संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए. उन्होंने महासचिव का अपना दूसरा कार्यकाल 1 जनवरी 1987 को शुरू किया था.

संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार शाम को जारी एक वक्तव्य में कहा कि वो पेरेज़ डि कुएयर के निधन पर बहुत दुखी हैं. एंतोनियो गुटेरेश ने यूएन प्रमुख के रूप में एक कामयाब स्टेट्समैन, प्रतिबद्ध राजनयिक और निजी रूप से प्रेरणास्रोत होने के लिए भी पूर्व महासचिव पेरेज़ डि कुएयर सराहना की. 

उन्होंने कहा कि पेरेज़ डि कुएयर ने संयुक्त राष्ट्र और विश्व पर बहुत गहरी छाप छोड़ी.

पेरेज़ डि कुएयर का जन्म 19 जनवरी 1920 को पेरू के लीमा में हुआ था और उन्हें 42 वर्ष की राजनयिक सेवा के बाद संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था.

प्रभावशाली राजनयिक करियर

मौजूदा महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, "पेरेज़ डि कुएयर का जीवन ना केवल एक सदी भरा लंबा रहा है बल्कि संयुक्त राष्ट्र के पूरे इतिहास से भी जुड़ा रहा है. पेरेज़ डि कुएयर ने 1946 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली बैठक में भी शिरकत की थी."

पेरेज़ डि कुएयर अपने राजनयिक करियर के दौरान अपने देश पेरू के स्विट्ज़रलैंड में राजदूत रहने के साथ-साथ सोवियत यूनियन, पोलैंड, वेनेज़ुएला में भी पेरू के राजदूत रहे.

पेरेज़ डि कुएयर पेरू के विदेश मंत्रालय में उच्चस्तरीय पद संभालने के अलावा 1971 में  संयुक्त राष्ट्र में पेरू के स्थाई प्रतिनिधि भी रहे.

पेरेज़ डि कुएयर ने जुलाई 1974 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में साइप्रस संकट को क़ाबिल तरीक़े से संभाला. एक वर्ष बाद उन्हें साइप्रस में दो वर्ष के लिए महासचिव का विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था. 

पेरेज़ डि कुएयर बाद में संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक मामलों के प्रमुख और अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि भी नियुक्त किए गए.

शीत युद्ध और यूएन की बढ़ती भूमिका

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि यूएन महासचिव के रूप में पेरेज़ डि कुएयर का कार्यकाल अंतरराष्ट्रीय संबंधों में दो बड़े दौर का गवाह बना: पहला था - शीत युद्ध के कुछ बहुत की सर्दीले वर्ष और उसके बाद, अंत में कुछ वैचारिक टकराव. ये ऐसे समय हुआ जब संयुक्त राष्ट्र जब अपने संस्थापकों द्वारा सौंपी गई भूमिका ज़्यादा सक्रिय और ठोस तरीक़े से निभाना शुरू किया.

पेरेज़ डि कुएयर ने 1982 में यूएन प्रमुख का अपना कार्यकाल फॉकलैंड द्वीप/मलविनस की विवादित संप्रभुता के मुद्दे पर ब्रिटेन और अर्जेंटीना  के बीच तनावपूर्ण स्थिति में गहन वार्ता के साथ शुरू किया.

पेरेज़ डि कुएयर ने अनगिनत चुनौतियों पर पार पाते हुए शांति वार्ताओं के बारे में एक वाक्य कहा था जो बाद में बहुत प्रसिद्ध हुआ - "मरीज़ गहन चिकित्सा कक्ष में है लेकिन जीवित तो है."

पेरेज़ डि कुएयर अपनी स्वास्थ्य संबंधी सीमितताओं के बावजूद यूएन प्रमुख के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए भी राज़ी हो गए थे. 1986 में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में उस समय जारी वित्तीय संकट का ज़िक्र करते हुए कहा था, "ऐसे कठिन दौर में इस पद की ज़िम्मेदारी को संभालने और निभाने से इनकार करना इस विश्व संस्था के प्रति अपने नैतिक कर्तव्यों से मुँह मोड़ने जैसा होता."

संयुक्त राष्ट्र की स्थाई वैधता में अपना अटूट विश्वास दोहराते हुए उन्होंने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र के "कठिन दौर" ने नई ऊर्जा फूँकने और सुधारों के लिए एक "रचनात्मक अवसर" मुहैया कराया है.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव जेवियर पेरेज़ डी कुएइर 1985 में मदर टेरेसा के साथ बातचीत करते हुए.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि यूएन महासचिव के रूप में पेरेज़ डि कुएयर का कार्यकाल अंतरराष्ट्रीय संबंधों में दो बड़े दौर का गवाह बना: पहला था - शीत युद्ध के कुछ बहुत की सर्दीले वर्ष और उसके बाद, अंत में कुछ वैचारिक टकराव. ये ऐसे समय हुआ जब संयुक्त राष्ट्र ने अपने संस्थापकों द्वारा सौंपी गई भूमिका ज़्यादा सक्रिय और ठोस तरीक़े से निभाना शुरू की.

पेरेज़ डि कुएयर ने 1982 में यूएन प्रमुख का अपना कार्यकाल फॉकलैंड द्वीप/मलविनस की विवादित संप्रभुता के मुद्दे पर ब्रिटेन और अर्जेंटीना  के बीच तनावपूर्ण स्थिति में गहन वार्ता के साथ शुरू किया.

पेरेज़ डि कुएयर ने अनगिनत चुनौतियों पर पार पाते हुए शांति वार्ताओं के बारे में एक वाक्य कहा था जो बाद में बहुत प्रसिद्ध हुआ - "मरीज़ गहन चिकित्सा कक्ष में है लेकिन जीवित है."

दूसरा कार्यकाल 'रचनात्मक अवसर'

पेरेज़ डि कुएयर अपनी स्वास्थ्य संबंधी सीमितताओं के बावजूद यूएन प्रमुख के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए भी राज़ी हो गए थे.

1986 में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में उस समय जारी वित्तीय संकट का ज़िक्र करते हुए कहा था, "ऐसे कठिन दौर में इस पद की ज़िम्मेदारी को संभालने और निभाने से इनकार करना इस विश्व संस्था के प्रति अपने नैतिक कर्तव्यों से मुँह मोड़ने जैसा होता."

संयुक्त राष्ट्र की स्थाई वैधता में अपना अटूट विश्वास दोहराते हुए उन्होंने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र के "कठिन दौर" ने नई ऊर्जा फूँकने और सुधारों के लिए एक "रचनात्मक अवसर" मुहैया कराया है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, "पेरेज़ डि कुएयर ने अनेक राजनयिक सफलताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई - इनमें नामीबिया की स्वतंत्रता, ईरान-इराक़ युद्ध की समाप्ति, लेबनान में बंधक बनाए गए अमेरिकी नागरिकों की रिहाई, कंबोडिया में शांति समझौता, और उनके कार्यकाल के बिल्कुल आख़िरी दिन - अल सल्वाडोर में ऐतिहासिक शांति समझौता शामिल हैं."

पेरेज़ डि कुएयर का दूसरा कार्यकाल भी अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत संघ के सैनिकों की वापसी का गवाह रहा. इसके अलावा उनकी टीम ने निकारागुआ में राजनैतिक स्थिरता बहाल करने में भूमिका निभाई.

आइबेरो-अमेरिकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उन्हें 1987 में प्रिंस ऑफ़ ऑस्ट्रियस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

अंतरराष्ट्रीय समझ व आम सुरक्षा के लिए उन्हें 1989 में ओल्फ़ पाल्मे पुरस्कार और अंतरराष्ट्रीय समझ के लिए जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.

1991 में यूएन प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद भी वो जीवन पर्यंत संयुक्त राष्ट्र के मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध रहे और शांति, न्याय, मानवाधिकार और मानव गरिमा के लिए काम करते रहे. 

लगभग 25 देशों से सम्मानित होने के साथ-साथ पेरेज़ डी कुएयर को अनेक मानद उपाधियाँ भी मिलीं.

1989 में यूएन शांतिरक्षा अभियानों को नोबेल पुरस्कार दिया गया था. नोबेल कमेटी के सामने अपने भाषण में पेरेज़ डी कुएयर ने संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरसरकारी संगठनों की भूमिका "जद्दोजहद और अशांत संघर्ष" के बीच रेखा खींचने के लिए परिभाषित की थी. 

उनकी असाधारण दृढ़ता की बदौलत ही उन्होंने अनेक देशों को इस रेखा के सही तरफ़ रहने का फ़ैसला करने में महत्वपूर्ण मदद की.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है, "मैं पेरेज़ डि कुएयर के परिवार, पेरू के लोगों और दुनिया भर में उन सभी लोगों को गहरी संवेदनाएँ भेजता हूँ जिनकी ज़िंदगियाँ एक संवेदनशील वैश्विक नेता के रूप में पेरेज़ डि कुएयर की सेवाओं से प्रभावित हुईं और इस नेता ने विश्व के एक बेहतर जगह बनाया."