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प्रथम कमेटी: निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे

मध्य अफ्रीकी गणराज्य के बमबारी के पूर्वोत्तर इलाक़े में यूएन शांतिरक्षक सितंबर 2018 में यूनिसेफ़ के एक काफ़िले को सुरक्षा मुहैया कराते हुए.
UNICEF/Ashley Gilbertson
मध्य अफ्रीकी गणराज्य के बमबारी के पूर्वोत्तर इलाक़े में यूएन शांतिरक्षक सितंबर 2018 में यूनिसेफ़ के एक काफ़िले को सुरक्षा मुहैया कराते हुए.

प्रथम कमेटी: निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे

शान्ति और सुरक्षा

हर साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर के नेता एकत्र होते हैं और लगभग एक सप्ताह के लिए दुनिया की नज़रें इस पर टिक जाती हैं. इस सत्र में अगले वर्ष के लिए एजेंडा तय किया जाता है जिस पर काम भी इसी वक़्त शुरू हो जाता है. लेकिन फ़ैसलों को किस तरह एक्शन में बदला जाए, उसके लिए सदस्य देशों के प्रतिनिधि छह प्रमुख कमेटियों के रूप में अपना कामकाज आगे बढ़ाते हैं. महासभा की छह कमेटियों के परिचय की इस श्रंखला में पेश है प्रथम कमेटी के बारे में कुछ जानकारी. प्रथम कमेटी पर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और निरस्त्रीकरण से संबंधित मुद्दों की ज़िम्मेदारी है.

रसायनिक हथियारों के हमलावरों की जवाबदेही कैसे सुनिश्चित हो? दुनिया भर में डिजिटल टैक्नोलॉजी के ग़लत इस्तेमाल के इरादों को कैसे रोका जाए? परमाणु हथियार मुक्त दुनिया कैसे बनाई जा सकती है, जिसमें सभी देश एक साथ हों, नए व शक्तिशाली स्वचालित हथियारों – ऑटोनोमस वैपन्स – के इस्तेमाल के बारे में क्या सीमाएँ निर्धारित होनी चाहिए? अवैध हथियारों की बिक्री पर कैसे क़ाबू पाया जा सकता है?

महासभा की पहली कमेटी इसी तरह के कुछ टेढ़े और मुश्किल सवालों से जूझती है, साथ ही दुनिया भर में इंसानों और देशों की सुरक्षा के लिए किसी भी तरह के ख़तरे संबंधी मुद्दों पर भी यही समिति ग़ौर करती है.

संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय स्तंभ, विश्व युद्ध के मलबे से उपजा वजूद

महासभा की छह प्रमुख कमेटियों का गठन 1945 में, संयुक्त राष्ट्र के गठन के साथ ही हुआ था. चूँकि दुनिया भारी तबाही करने वाले दूसरे विश्व युद्ध से उबरने की कोशिश कर रही थी, जिनमें परमाणु हथियारों का प्रथम इस्तेमाल भी शामिल था, युद्ध और शांति के मुद्दे इस विश्व संगठन के संस्थापकों के शीर्ष एजेंडा पर थे.

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जो बिल्कुल पहला प्रस्ताव पारित किया उसे महासभा की प्रथम कमेटी ने ही तैयार किया था. इस प्रस्ताव के तहत परमाणु ऊर्जा की खोज से उत्पन्न हुई समस्याओं से निबटने के लिए विशेष आयोग गठित करने की सिफ़ारिश की गई थी.

उसके बाद से तो प्रथम कमेटी ने युद्ध और शांति संबंधित सैकड़ों प्रस्ताव तैयार किए हैं जिन्हें महासभा ने पारित किया है. अलबत्ता, ये प्रस्ताव सदस्य देशों के लिए क़ानूनी रूप बाध्य नहीं होते हैं, फिर भी इन प्रस्तावों के ज़रिए महत्वपूर्ण मानक व सिद्धांत निर्धारित होते हैं.

साथ ही इन प्रस्तावों से ये भी सुनिश्चित होता है कि दुनिया भर में तमाम समाजों की सुरक्षा को सीधे तौर पर जोखिम में डालने वाले मुद्दों पर लगातार बातचीत होती रहे.

प्रथम कमेटी का गठन कैसे होता है?

महासभा के संपूर्ण सत्र की ही तरह, सभी 193 देशों के प्रतिनिधियों को भी प्रत्येक कमेटी में प्रतिनिधित्व मिलता है. इस कमेटी के पदाधिकारियों का चुनाव आमतौर पर जून में होता है. इनमें एक अध्यक्ष और तीन उपाध्यक्ष के पद होते हैं.

विश्व शांति के मुद्दे पर कैसे बात होती है?

73वें के दौरान कमेटी की कुल 31 बैठकें हुईं जो 4 अक्तूबर से लेकर 8 नवंबर तक चलीं. ये पूरी प्रक्रिया महासभा की जनरल डिबेट के साथ शुरू हुई जहाँ सदस्य देशों, उच्च स्तरीय अधिकारियों और ग़ैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने वक्तव्य पेश किए.

प्रथम कमेटी दुनिया भर में हथियारों से छुटकारा पाने के मुद्दे पर भी विचार करती है और निरस्त्रिकरण संधियों के लिए माहौल तैयार करती है.
UNMISS/Isaac Billy
प्रथम कमेटी दुनिया भर में हथियारों से छुटकारा पाने के मुद्दे पर भी विचार करती है और निरस्त्रिकरण संधियों के लिए माहौल तैयार करती है.

दूसरे चरण में संस्थागत चर्चा सात मुद्दों पर के इर्द-गिर्द रही: परमाणु हथियार, जनसंहार के अन्य हथियार, बाहरी अंतरिक्ष निरस्त्रीकरण, परंपरागत हथियार, क्षेत्रीय निरस्त्रीकरण और सुरक्षा, अन्य निरस्त्रीकरण उपाय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, और निरस्त्रीकरण मशीनरी.

इस स्तर पर ही वो प्रस्ताव तैयार और पारित किए जाते हैं जिन्हें अपनाए जाने के लिए महासभा को भेजा जाता है.

प्रथम कमेटी की उपलब्धि 

8 नवंबर को कंपनी ने 68 मसौदा प्रस्ताव और निर्णय महासभा को भेजने के साथ अपना कार्यक्रम समेटा. इनमें से 26 प्रस्ताव मतदान के बिना ही मंज़ूर कर दिए गए थे. इस वर्ष जो प्रस्ताव मंज़ूर किए गए उनमें सायबरस्पेस में देशों की  ज़िम्मेदारियाँ निर्धारित करने वाले नियम बनाने के लिए वर्किंग ग्रुप बनाने की सिफ़ारिश भी शामिल थी.

इसके अलावा विकसित और विकासशील देशों के बीच बढ़ती खाई को पाटने के लिए प्रथम कमेटी ने एक मसौदा प्रस्ताव को मंज़ूरी दी जिसका नाम था – विकास व निरस्त्रीकरण के बीच संबंध.

कमेटी की आख़िरी बैठक में अध्यक्ष ने अपने समापन भाषण में देशों के प्रतिनिधियों को बताया कि “निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सदस्य देशों के फ़ैसलों और कार्रवाइयों पर निर्भर है जिनके परिणामों का सामना पूरी दुनिया को करना पड़ता है.”

निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रथम कमेटी के 8 नवंबर से शुरू हुए सत्र की कार्यवाही आप यहाँ देख देख सकते हैं...

संयुक्त राष्ट्र महासभा की अन्य प्रमुख समितियों के बारे में ज़्यादा जानकारी:

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तीसरी कमेटी

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