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यूएन भविष्य: गुटेरेश की पुकार, विशाल सोचने की ज़रूरत

वियतनाम में, हनोई के एक स्कूल में कुछ बच्चे
UN Photo/Mark Garten
वियतनाम में, हनोई के एक स्कूल में कुछ बच्चे

यूएन भविष्य: गुटेरेश की पुकार, विशाल सोचने की ज़रूरत

यूएन मामले

वर्ष 2020 में संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगाँठ मनाने के दौरान, संगठन के भविष्य के बारे में प्रमुख आन्तरिक चर्चाएँ हुईं, और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के इसके शुरुआती दिनों से अलग, एकदम नई दिशा बनाने पर आम सहमति हुई. इन चर्चाओं का परिणाम था ‘हमारा साझा एजेण्डा’ नामक एक नई ऐतिहासिक रिपोर्ट, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने शुक्रवार को जारी किया है. ये एजेण्डा, वैश्विक सहयोग के भविष्य के लिये उनका दृष्टिकोण दर्शाता है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, शुक्रवार को यूएन महासभा की एक बैठक में ये एजेण्डा पेश किया है जिसमें उन्होंने विश्व की ताज़ा स्थिति का एक ख़ाका पेश किया गया है जिसे बेहद दबाव वाली स्थिति क़रार दिया गया है.

उन्होंने साथ ही चेतावनी भरे शब्दों में ये भी कहा है कि दुनिया के सामने एक गम्भीर अस्थिरता और जलवायु संकट के भविष्य का जोखिम मौजूद है.

यूएन महासचिव ने कहा, “जलवायु संकट से लेकर प्रकृति पर आत्मघाती युद्ध तक, और जैव विविधता को व्यापक नुक़सान, इन सभी के लिये, वैश्विक कार्रवाई बहुत कम है, और उसमें भी बहुत देर हो रही है.”

“बेलगाम असमानता के कराण सामाजिक समरसता की अहमियत कम हो रही है, इसके कारण ऐसे नाज़ुक हालात पैदा हो रहे हैं जिससे हम सभी प्रभावित हो रहे हैं. टैक्नॉलॉजी भी बिना किसी चौकसी के आगे बढ़ रही है जिसमें इसके अदृश्य परिणामों से बचाने के ऐहतियाती उपाय नज़र नहीं आते हैं.”

यूएन प्रमुख ने ये रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि व्यापक विचार विमर्श के बाद ये एजेण्डा तैयार किया गया है. इसमें व्यापक स्तर पर लोगों की बात सुनी गई जिसमें संयुक्त राष्ट्र इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि दुनिया के संकटों से निपटने के लिये, वृहद बहुपक्षवाद को एक रास्ते के रूप में देखा जा रहा है.

बिखर जाएँ या रास्ता बना लें

हेती में, तूफ़ान मैथ्यू ने व्यापक तबाही मचाई थी (फ़ाइल).
UN Photo/Igor Rugwiza
हेती में, तूफ़ान मैथ्यू ने व्यापक तबाही मचाई थी (फ़ाइल).

इस रिपोर्ट में दो विरोधाभासी भविष्यों पर विचार किया गया है: एक है बिखराव और लगातार संकटों की स्थिति, और दूसरा है – जिसमें आगे बढ़ने का एक रास्ता है, जोकि ज़्यादा हरित और सुरक्षित भविष्य की रास्ता है.

एक निराशाजनक व हताशा वाली स्थिति में, ऐसा परिदृश्य पेश किया गया है जिसमें दुनिया, कोविड-19 वायरस ख़ुद को लगातार विकसित करते हुए अपने रूप बदल रहा है, क्योंकि धनी देशों के पास तो वैक्सीनें अत्यधिक मात्रा में मौजूद हैं, दुनिया भर की स्वास्थ्य प्रणालियाँ अत्यधिक दबाव में हैं.

भविष्य में, तापमान वृद्धि और चरम मौसम की घटनाओं के कारण ये पृथ्वी रहने के लायक़ नहीं रह जाएगी, साथ ही, लाखों प्रजातियाँ, लुप्त होने के कगार पर होंगी.

ये स्थिति, लगातार मानवाधिकार उल्लंघन, आमदनियों और आजीविकाओं के व्यापक नुक़सान, और बढ़ते प्रदर्शनों व अशान्ति के कारण और भी ज़्यादा विकट नज़र आती है, जिन्हें  दबाने के लिये हिंसक बल प्रयोग का भी सहारा लिया जाता है.

या फिर हम एक दूसरा रास्ता अपना सकते हैं, वैक्सीनें समान रूप से उपलब्ध हों, और एक ऐसी टिकाऊ पुनर्बहाली की ओर आगे बढ़ें जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था, को ज़्यादा टिकाऊ, सहनशील, और समावेशी बनाया जाए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त बनाने से, तापमान वृद्धि सीमित होगी, जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सहायता की जाएगी, और भविष्य की पीढ़ियों के लिये, पारिस्थितिकी तंत्रों की हिफ़ाज़त की जाएगी.

अगर ये रुख़ अपनाया जाता है तो, बहुपक्षवाद का एक नया दौर शुरू होगा, जिसमें तमाम देश, वैश्विक समस्याओं की समाधान तलाश करने के लिये, एकजुटता के साथ काम करेंगे; आपदाओं की स्थिति में, सभी प्रभावितों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था तेज़ी से काम करेगी; और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक स्तर पर, सहभागिता के एक भरोसेमन्द मंच के रूप में पहचाना जाएगा.

एक बेहतर भविष्य: लक्ष्य और समाधान

बांग्लादेश में, कोरोनावायरस महामारी के दौरान, खाद्य सामग्री का वितरण (फ़ाइल)
UNDP/Fahad Kaizer
बांग्लादेश में, कोरोनावायरस महामारी के दौरान, खाद्य सामग्री का वितरण (फ़ाइल)

यह सुनिश्चित करने के लिये कि हम ऐसी दुनिया में रहें जिसमें सफलता का परिदृश्य हावी हो, रिपोर्ट में प्रमुख प्रस्ताव पेश किये गए हैं.

कमज़ोर समूहों की रक्षा करने के महत्व को लैंगिक समानता और किसी को पीछे नहीं छोड़ने की प्रतिबद्धताओं में पहचाना जाता है, जिनमें सामाजिक सुरक्षा को मज़बूत करना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना शामिल है.

एक अधिक टिकाऊ वैश्विक अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करना, एक लक्ष्य के रूप में पहचाना जाता है, जिसमें सबसे ग़रीब लोगों को सहायता व समर्थन मिलें और एक निष्पक्ष अन्तरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली लागू हो.

रिपोर्ट में जलवायु कार्रवाई को एक विशेष उल्लेख मिला है, तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित करने और वर्ष 2050 तक नैट शून्य कार्बन उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी का ख़ात्मा, खाद्य प्रणालियों में परिवर्तन के लक्ष्य की प्रतिबद्धताओं के साथ विकासशील देशों के लिये समर्थन के पैकेज जारी करने सहित.

रिपोर्ट में, शान्ति और सुरक्षा के लगातार जारी मुद्दों पर भी ध्यान दिया गया है. रिपोर्ट में "शान्ति के लिये नए एजेण्डे" की बात भी कही गई है, जिसमें शान्ति निर्माण के लिये अधिक संसाधन निवेश, क्षेत्रीय संघर्षों की रोकथाम के लिये सहाता व समर्थन देना, परमाणु हथियारों और साइबर युद्ध जैसे रणनैतिक जोखिमों में कमी लाना - और बाहरी अन्तरिक्ष का शान्तिपूर्ण व स्थाई उपयोग सुनिश्चित करने के लिये एक सम्वाद शामिल है.

सुरक्षा मुद्दे से जुड़ी हैं अन्तरराष्ट्रीय न्याय के प्रति प्रतिबद्धताएँ; वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट के हिस्से के रूप में ऑनलाइन मंचों पर भी मानवाधिकारों का क्रियान्वयन, और संस्थानों में विश्वास बनाने के लिये भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई तेज़ किया जाना.

संयुक्त राष्ट्र में बदलाव

माली में संयुक्त राष्ट्र मिशन के शान्तिरक्षक, गश्त लगाते हुए.
MINUSMA
माली में संयुक्त राष्ट्र मिशन के शान्तिरक्षक, गश्त लगाते हुए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र ख़ुद में एक ऐसा संस्थान है जिसमें ज़्यादा भागीदारी और विमर्श रुख़ के साथ, बदलाव करने की ज़रूरत है.

इस विश्व संगठन में, वर्ष 2028 तक लिंग समानता का लक्ष्य भी हासिल होना चाहिये.

महासचिव के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड की पुन: स्थापना के साथ ही, लोगों की उम्र, लिंग और विविधता को संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के केन्द्र में रखने वाली एक नीति लागू होगी.

अन्य प्रस्तावों में, राजनैतिक प्रक्रिया में युवाओं की बेहतर भागीदारी और युवा बेरोज़गारी में कमी लाने के प्रयासों से सम्बन्धित हैं; सरकारों, बहुपक्षीय संगठनों, निजी क्षेत्र और सिविल सोसायटी के बीच बेहतर भागीदारी; और मज़बूत वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ वैश्विक संकटों की रोकथाम और उनका सामना करने के लिये बेहतर तैयारी के वास्ते एक आपातकालीन मंच का गठन होगा.

विदित है कि संयुक्त राष्ट्र ने कार्रवाई के दशक की शुरुआत की है तो उसके पास वर्ष 2030 तक, एक टिकाऊ और बेहतर भविष्य का वादे पूरा करने में वास्तविक प्रगति के लिये 10 साल का समय है - इस प्रक्रिया के केन्द्र में बहुपक्षवाद को रखकर, दुनिया को बेहतर बनाने का अवसर मौजूद है.

हालाँकि, जैसा कि "ब्रेकडाउन परिदृश्य" से पता चलता है, एक साथ प्रभावी ढंग से काम करने में विफलता हुई, तो पृथ्वी, और यहाँ तक ​​​​कि जीवन को भी महत्वपूर्ण क्षति का जोखिम उठाना पड़ सकता है, जिसे बदलना सम्भव नहीं होगा.

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, महासभा को दिये अपने भाषण में ध्यान दिलाया कि हमारा साझा एजेण्डा, एकजुटता से प्रेरित है, “मिलजुलकर व साथ काम करने के सिद्दान्त” ये स्वीकार करना कि हम सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और कोई भी एक समुदाय या देश, चाहे वो कितने भी शक्तिशाली हों, इन चुनौतियों का सामना अकेले नहीं कर सकते.”

हमारा साझा एजेण्डा: सन्दर्भ

  • चूँकि संयुक्त राष्ट्र 75 वीं वर्षगाँठ एक वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के दौर में आई, इससे बहुपक्षीय सोच का महत्व उजागर हुआ: 2020 में कोविड-19 महामारी का फैलाव हुआ, वो भी जलवायु संकट पर बढ़ती चिन्ता के बीच - जो एक और ऐसा ज़रूरी मुद्दा है, जो राष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान नहीं करता.
  • 2020 के शुरू में, 15 लाख लोगों ने, “अन्तरराष्ट्रीय सहयोग भविष्य को कैसे प्रभावित कर सकता है” विषय पर लोगों की प्राथमिकताएँ और अपेक्षाएँ जानने के लिये, संयुक्त राष्ट्र की एक वर्ष तक चले कार्यक्रम में भाग लिया.
  • उन्होंने अपनी आशाएँ और आशंकाएँ साझा कीं, एक अधिक पारदर्शी, समावेशी संयुक्त राष्ट्र का आहवान किया, और जलवायु परिवर्तन व पर्यावरणीय मुद्दों को, सबसे ऊपर दीर्घकालिक वैश्विक चुनौती माना.
  • हमारा साझा एजेण्डा इस पहल के निष्कर्षों के साथ-साथ विचारक नेताओं, ‘द एल्डर्स’ जैसे प्रख्यात समूहों, राजनयिकों और अन्य भागीदारों के सुझावों व समाधानों की पेशकश व कार्रवाई योजनाओं पर चलकर, संयुक्त राष्ट्र के अगले 25 वर्षों का भविष्य निर्धारित करेगा.
  • रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के मूल मूल्यों की फिर से पुष्टि करने का आहवान किया गया है, और यह स्वीकार किया गया है कि आज की दुनिया को बेहतर ढंग से प्रतिबिम्बित करने के लिये, संगठन की नींव को फिर से आकार देने की आवश्यकता है.
  • इसने कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को भी रेखांकित किया है: जलवायु संकट समस्त मानव जीवन के लिये वजूद का संकट है, और केवल तभी हल किया जा सकता है जब अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, मानव गतिविधि के कारण पृथ्वी के बढ़ते तापमान को सीमित करने के लिये, सीमाओं से परे, एक साथ मिलकर प्रभावी ढंग से काम करे, और पहले से हो चुके नुक़सान का अनुकूलन करे.