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संयुक्त राष्ट्र महासभा: इन पांच सम्मेलनों पर रहेगी नज़र

2018 में 73वें सत्र के उदघाटन के अवसर पर तत्कालीन अध्यक्ष मारिया फ़र्नेंडा एस्पिनोसा (दाएँ). (18 सितंबर 2018)
UN Photo/Loey Felipe
2018 में 73वें सत्र के उदघाटन के अवसर पर तत्कालीन अध्यक्ष मारिया फ़र्नेंडा एस्पिनोसा (दाएँ). (18 सितंबर 2018)

संयुक्त राष्ट्र महासभा: इन पांच सम्मेलनों पर रहेगी नज़र

यूएन मामले

एक बार फिर वही समय आ गया है सितंबर महीने का जब पूरी दुनिया की नज़रें न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर आकर टिकती हैं. मौक़ा होता है महासभा के वार्षिक सत्र का जिसमें विश्व के नेता जनरल डीबेट में शिरकत करने के लिए मुख्यालय पहुँचते हैं. इस साल परपंरागत रूप में देशों के प्रतिनिधियों के संबोधन के अलावा पाँच अति महत्वपूर्ण सम्मेलन व उच्च स्तरीय बैठकें भी आयोजित हो रहे हैं जिनमें मौजूदा समय के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी.

जलवायु कार्रवाई शिखर वार्ता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जलवायु संकट के ख़िलाफ़ लड़ाई को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया है, इसी के तहत 23 सितंबर को जलवायु कार्रवाई सम्मेलन बुलाया गया है. महासचिव ने इस सम्मेलन के ज़रिए जलवायु संकट का सामना करने के लिए महत्वकांक्षाओं को हवा देने और देशों द्वारा 2015 में हुए पेरिस समझौते में वैश्विक तापमान से संबंधित वादों की पूर्ति के लिए जवाबदेह ठहराना मुख्य मक़सद होगा.

लघु द्वीपीय विकासशील जलवायु परिवर्तन के साथ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर हैं.
UNDP/Andrea Egan
लघु द्वीपीय विकासशील जलवायु परिवर्तन के साथ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर हैं.

इस सम्मेलन में देशों की सरकारों, निजी क्षेत्र, सिविल सोसायटी, स्थानीय प्रशासनों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे और छह क्षेत्रों में महत्वाकांक्षी समाधान तलाश करने के प्रयास किए जाएंगे:

  • वैश्विक स्तर पर नवीकरण ऊर्जा की ओर बढ़ना
  • टिकाऊ व मज़बूत बुनियादी ढाँचे व नगर
  • टिकाऊ कृषि
  • वनों व समुद्रों का प्रबंधन
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने के लिए मज़बूती और लचीलापन
  • नैट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन अर्थव्यवस्था के साथ सार्वजनिक और निजी वित्तीय संसाधनों का आबंटीकरण

महासचिव ने विश्व नेताओं को केवल भारी-भरकम भाषणों के अलावा, सम्मेलन में ठोस योजनाओं के साथ आने की चुनौती दी है.

महासचिव ने इन सम्मेलनों के ज़रिए अर्थव्यवस्थाओं को जीवाश्म ईंधन से हटकर नवीकरण ऊर्जा जैसे साफ़-सुथरे ईंधन स्रोतों के इस्तेमाल पर पहुँचने के लिए ज़ोरदार माहौल बनाने की अपेक्षा भी की है: मैं सुनना चाहता हूँ कि हम साल 2020 तक कार्बन उत्सर्जन किस तरह रोकना चाहते हैं, और कार्बन उत्सर्जन की मात्रा इस सदी के मध्य तक नेट शून्य उत्सर्जन के नाटकीय लक्ष्य तक कैसे हासिल कर सकते हैं.

जलवायु परिवर्तन को अंतरराष्ट्रीय एजेंडा पर लाने में युवाओं की अहम भूमिका को पहचानते हुए 21 सितंबर को ‘यूथ क्लाइमेंट समिट’ हो रही है.

यह युवा शिखर वार्ता युवा कार्यकर्ताओं, नवप्रवर्तकों (इनोवेटर) और उद्यमियों को समाधान प्रस्तुत करने के लिए एक मंच प्रदान करेगी.

सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज को वास्तविक बनाना

जलवायु शिखर वार्ता के ही दिन संयुक्त राष्ट्र एक और अहम बैठक की मेज़बानी कर रहा है जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज पर ध्यान केंद्रित होगा. सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को संभव बनाने के उद्देश्य से पहली बार ऐसी बैठक का आयोजन हो रहा है.

ज़ांबिया के एक अस्पताल में एक नर्स टीकाकरण की दवाइयों को फ्रिज में रखते हुए.
UNDP/Slingshot
ज़ांबिया के एक अस्पताल में एक नर्स टीकाकरण की दवाइयों को फ्रिज में रखते हुए.

विश्व में आधी आबादी के पास ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच नहीं है और स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से हर साल 10 करोड़ लोग चरम ग़रीबी में पहुंच जाते हैं.

यह बैठक राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों के लिए एक बड़ा अवसर है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज में निवेश को प्राथमिकता बनाया जाए.

सभी देश वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए संकल्पित हैं जिसमें वित्तीय जोखिम के लिए संरक्षण, गुणवत्तापरक सेवाएं, और ज़रूरी दवाओं और वैक्सीन तक पहुंच सुलभ बनाना शामिल है.

टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास

टिकाऊ विकास से जुड़ा 2030 एजेंडा एक ऐसी कार्ययोजना बताई गई है जिसके ज़रिए विश्व की कायापलट की जा सकती है और पर्यावरण के संरक्षण के साथ-सभी, सभी के कल्याण सुनिश्चित किया जा सकता है. टिकाऊ विकास एजेंडा में 17 लक्ष्य तय किए गए हैं जिनके मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:

  • ग़रीबी और भुखमरी का अंत; स्वास्थ्य, शिक्षा, न्याय और नौकरियों तक पहुंच को आसान बनाना है
  • समावेशी और निरंतर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
  • पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करना और जलवायु संकट से दुनिया को उबारना

वर्ष 2015 में टिकाऊ विकास एजेंडा को पारित किए जाने के बाद यह पहली बार है जब 24-25 सितंबर को यह बैठक हो रही है.

पिछले चार सालों में प्रगति की बात कही गई है लेकिन ग़रीबी और असमानता, स्वचालन (ऑटोमेशन), जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से चुनौतियां बरक़रार है जिसके मद्देनज़र इस दिशा में प्रगति तेज़ करने के समाधान ढूंढे जाएंगे.

2030 एजेंडा में 17 टिकाऊ विकास लक्ष्य शामिल हैं.
UN Photo/Manuel Elias
2030 एजेंडा में 17 टिकाऊ विकास लक्ष्य शामिल हैं.

 

विकास के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने पर बैठक

किसी भी वैश्विक लक्ष्य को हासिल करने के लिए धनराशि का इंतज़ाम करना बेहद आवश्यक है लेकिन उसे जुटा पाना चुनौतीपूर्ण है.

क़र्ज़ का जोखिम बढ़ने और व्यापार पर पाबंदी लगने से टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा के लिए वित्तीय समर्थन आसान नहीं है.

विकास गतिविधियों के लिए धन का इंतज़ाम करने पर उच्च स्तरीय संवाद में सरकार, व्यवसायी और वित्तीय क्षेत्र के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे ताकि संसाधन और साझेदारियाँ जुटा कर प्रगति तेज़ की जा सके.

एक अनुमान के अनुसार टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हर क्षेत्र में हर साल पांच से सात ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने एक ऐसा माहौल तैयार करने की अपील की है जिससे टिकाऊ विकास में दीर्घकालीन निवेश को बढ़ावा दिया जाए और लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित किया जा सके.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने निम्न स्तर वाले तवालू द्वीप का मई 2019 में दौरा किया - ये जायज़ा लेने के लिए कि प्रशांत समुद्री देश समुद्रों का जल स्तर बढ़ने से किस तरह प्रभावित होंगे.
UN Photo/Mark Garten
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने निम्न स्तर वाले तवालू द्वीप का मई 2019 में दौरा किया - ये जायज़ा लेने के लिए कि प्रशांत समुद्री देश समुद्रों का जल स्तर बढ़ने से किस तरह प्रभावित होंगे.

लघु द्वीपीय देशों के लिए समर्थन जुटाने पर बैठक

आख़िरी बैठक में ‘समोआ पाथवे’ की उच्च स्तरीय समीक्षा की जाएगी. इस महत्वाकांक्षी समझौते पर पांच साल पहले सहमति हुई थी जिसके ज़रिए लघु द्वीपीय विकासशील देशों में टिकाऊ विकास के लिए सहायता दी जाएगी.

जलवायु परिवर्तन के ख़तरे का सामना कर रहे देशों में सबसे ऊपर लघु द्वीपीय (small islands) देशों का स्थान आता है.

उनका आकार छोटा है, वे दूर-दराज़ के क्षेत्रों में स्थित हैं और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.

इस बैठक के ज़रिए जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम टालने और आर्थिक व पर्यावरण सहनशीलता के निर्माण में अब तक हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी.

यही विषय उसी सप्ताह हो रही अन्य चार बैठकों में भी छाया रहेगा.

सरकारों, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और शिक्षा जगत सहित अन्य क्षेत्रों के प्रतिनधियों से नई साझेदारियों की अपेक्षा रहेगी ताकि ‘समोआ पाथवे’ के तहत तय की गई प्राथमिकताओं को आगे बढ़ा जा सके.