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शांति निर्माण में 'बराबर के साझेदार' हैं युवा

सुरक्षा परिषद को संबोधित करतीं युवा मामलों पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत जयाथमा विक्रमानायके.
UN Photo/Loey Felipe
सुरक्षा परिषद को संबोधित करतीं युवा मामलों पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत जयाथमा विक्रमानायके.

शांति निर्माण में 'बराबर के साझेदार' हैं युवा

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत जयाथमा विक्रमानायके ने सुरक्षा परिषद को अपने संबोधन में कहा है कि उनका अनुभव बताता है कि युवा शांति की परवाह करते हैं. उन्होंने जॉर्डन में शरणार्थी शिविरों से लेकर ग़ाज़ा में यूएन राहत एवं कार्य एजेंसी के स्कूलों तक, कोसोवो में म्यूनिसपैलिटी से लेकर डेनमार्क में युवा परिषदों तक जारी प्रयासों को नज़दीक से देखने के बाद ये बात कही.

विश्व में इस समय  क़रीब 1 अरब 80 करोड़ युवा हैं जो अब तक युवाओं की सबसे बड़ी पीढ़ी है.

इनमें 90 फ़ीसदी से ज़्यादा युवा विकासशील देशों में रहते हैं जहां वे जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा हैं. 

लेकिन 40 करोड़ से ज़्यादा युवा ऐसे भी हैं जो सशस्त्र संघर्ष से पीड़ित देशों में रहने को मजबूर हैं.

युवा मामलों की दूत ने कहा कि विश्व में युवा पीढ़ी को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

हर पांच में से एक व्यक्ति के पास रोज़गार, शिक्षा या ट्रेनिंग नहीं है; हर साल लाखों लड़कियां बहुत उम्र में ही मां बन रही हैं जबकि वे ख़ुद बच्चियां जैसी हैं; और युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामले बढ़ रहे हैं.

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर असमानता, असहिष्णुता और जलवायु आपात स्थिति जैसी चुनौतियों से नहीं निपटा गया तो युवाओं की इस पीढ़ी को विनाशकारी परिणाम झेलने पड़ सकते हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि युवाओं को योजनाओं से लाभान्वित होने वाले लोगों के तौर पर नहीं बल्कि हमारे प्रयासों में बराबर के साझेदार के तौर पर देखा जाना चाहिए – विशेषरूप में अशांति दूर करने और शांति निर्माण में.

युवा मामलों की दूत ने संतोष जताया कि मिथकों, ग़लत धारणाओं और झूठी ख़बरों और सूचनाओं के बावजूद युवा अपने समुदायों में लोकतांत्रिक मूल्यों, सुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं.

लेकिन उन्होंने ऐसे युवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की अपील की है जो अपनी सक्रियता की वजह से चर्चा में आ जाते हैं. 

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में कुछ चिंताजनक मामले सामने आए हैं - कुछ ऐसी घटनाएं जिनमें शांति प्रक्रिया में शामिल युवाओं और मानवाधिकार रक्षकों को धमकियां दी गई हैं, उन्हें डराया-धमकाया गया, हिंसा हुई, और मनमाने ढंग से गिरफ़्तारियां भी. 

उन्होंने युवा कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ ऐसी कार्रवाई के बजाय  सभी सरकारों से युवाओं के मूलभूत अधिकारों की रक्षा किए जाने की अपील की है.

युवा, शांति और सुरक्षा से जुड़े एजेंडा को संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में ज़्यादा पहचान देने के साथ-साथ उसे यूएन प्रणाली में जगह दी जा रही है.

युवाओं को प्राथमिकता दिए जाने की यूएन की पहल का यह अहम हिस्सा है.

युवाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र की रणनीति, यूथ 2030, में शांति और सहनशीलता निर्माण को पांच अहम प्राथमिकताओं में जगह दी गई है. 

"पहली बार यूएन की ओर से युवाओं के लिए रणनीति बनी है जिसके ज़रिए नया रास्ता तलाश किया गया है और विविध क्षेत्रों में सक्रिय युवाओं को शिक्षा, अच्छा और उपयुक्त रोज़गार, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य" मुहैया कराने पर ज़ोर होगा.

साथ ही अन्याय का विरोध करने और उनके साथ मिलकर अशांति दूर करने और शांति निर्माण की पहल का प्रयास होगा. 

उन्होंने आगाह किया कि अगर युवाओं को एक समस्या या ख़तरे के तौर पर देखा जाए तो वे अलग-थलग पड़ कर दिए जाने के बर्ताव का शिकार हो सकते हैं.